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श्रद्धा, आस्था, उल्लास, उत्साह और समर्पण का पर्व छठ हमें कई संदेश भी देता है। इस पर्व का जितना धार्मिक महत्व है, उतना ही प्राकृतिक और वैज्ञानिक भी है।
Chhath Puja Surya Arghya: सनातन धर्म का हर पर्व हमें अनेकों सीख देते हैं। छठ पर्व भी ऐसी ही कई महत्वों का प्रतीक है। जी हां, श्रद्धा, आस्था, उल्लास, उत्साह और समर्पण का पर्व छठ हमें कई संदेश भी देता है। इस पर्व का जितना धार्मिक महत्व है, उतना ही प्राकृतिक और वैज्ञानिक भी है। यह महापर्व प्रकृति को आभार प्रकट करने का उत्सव है। इसमें सूर्य, चंद्रमा, जल जैसे विभिन्न तत्वों की पूजा की जाती है। ऐसे में यह पर्व सभी को प्रकृति संरक्षण का महत्व सिखाता है। इस महापर्व में सूर्य उपासना का विशेष विधान होता है। छठ पूजा में सूर्योदय के साथ ही सूर्यास्त का भी बहुत महत्व है। यह छठी मैया के साथ ही सूर्य पर्व भी है। इसलिए छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। आखिर क्यों है छठ पूजा में सूर्य इतना महत्वपूर्ण, आज जानते हैं इससे जुड़े हर पहलू को।
इसलिए दिया जाता है सूर्य को अर्घ्य

छठ पूजा में सूर्य अर्घ्य देकर भक्त जीवन के देवता सूर्यदेव का आभार व्यक्त करते हैं। क्योंकि सूर्य ही हमें रोशनी देता है। यह प्रकृति के लिए बहुत आवश्यक है और प्रकृति इंसान के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि सूर्य ही पृथ्वी और जीवन का आधार है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में सूर्य अर्घ्य का विशेष स्थान है। प्राचीन काल से लेकर आज तक भी सूर्य अर्घ्य को पूजा विधान में शामिल रखा गया है। छठ पूजा में सूर्य को जल के साथ ही दूध का अर्घ्य भी दिया जाता है। क्योंकि जल और दूध दोनों को ही पवित्र माना जाता है।
सूर्य है नवग्रहों का राजा
सूर्य इस जगत की ‘आत्मा’ है। इसी के साथ इसे नवग्रहों का राजा भी माना जाता है। वेदों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है। सूर्य से संबंधित कई महत्वपूर्ण अध्याय हैं। सूर्य उत्पत्ति से लेकर उसकी स्तुति और मंत्रों आदि का भी वर्णन वेदों में है। ऐसे में छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य और फल, मिठाई आदि भेंट करके उसका आभार व्यक्त किया जाता है।
जीवन के लिए जरूरी है सूर्य
सूर्य प्रकृति के साथ ही पृथ्वी पर मौजूद हर जीव जंतु के लिए महत्वपूर्ण है। इंसानों के लिए यह एक जरूरी पोषक तत्व है। सूरज की रोशनी से ही हमें विटामिन डी मिलता है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी और जरूरी है। इससे हमें ऊर्जा मिलती है। साथ ही हम कई प्रकार की बीमारियों से भी बचे रहते हैं। ऐसे में छठ पूजा में सूर्य अर्घ्य इन सभी का आभार व्यक्त करने का एक माध्यम माना जाता है।
इसलिए देते हैं ढलते सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा में तीन दिन ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। इसके पीछे एक मान्यता भी है। माना जाता है कि शाम के समय सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं। माता प्रत्यूषा जीवन में सम्पन्नता और समृद्धि की प्रतीक मानी जाती हैं। ऐसे में शाम के समय सूर्य अर्घ्य देने से सम्पन्नता और समृद्धि मिलती है।
