गोवा की पहाड़ी पर बने प्राचीन मंदिर चंद्रेश्वर भूतनाथ की यात्रा ज़रूर करें: Chandreshwar Bhootnath
Chandreshwar Bhootnath

गोवा की पहाड़ी पर बना चंद्रेश्वर भूतनाथ मंदिर

इस मंदिर की इसी वजह से बहुत ही ज़्यादा मान्यता है और देश भर से लोग इस जगह पर भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। 

Chandreshwar Bhootnath: गोवा की पहाड़ी पर बने चंद्रेश्वर भूतनाथ मंदिर के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस मंदिर ने गोवा की प्राचीन राजधानी को कभी अपना नाम प्रदान किया था, चंद्रपुर, जिसे अब चांदोर कहा जाता है। यह मंदिर गोवा के पारोड़ा नामक स्थान पर स्थित गोवा के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की इसी वजह से बहुत ही ज़्यादा मान्यता है और देश भर से लोग इस जगह पर भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। 

चंद्रेश्वर भूतनाथ से जुड़ी पौराणिक कथाएँ 

Chandreshwar Bhootnath
Chandreshwar Bhootnath Katha

चंद्रेश्वर भूतनाथ मंदिर से कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। पहली कथा भगवान शिव और समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है जिसकी एक कड़ी चंद्रेश्वर मंदिर से भी मिलती है। क्योंकि चंद्रेश्वर का मतलब होता है चन्द्रमा का ईश्वर और इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर सागर मंथन का भित्तिचित्र है। सागर मंथन में प्राप्त बहुमूल्य वस्तुओं में एक चन्द्रमा भी है जो अमृत प्राप्ति से पूर्व प्राप्त हुआ था। साथ ही यह बात भी सभी को पता है कि भगवान शिव अपने माथे पर अर्धचंद्र धारण करते हैं, यह भगवान शिव का ही एक नाम है।  एक मान्यता यह भी है कि गोमान्तक के पर्वतों पर ही कृष्ण एवं बलराम ने जरासंध से युद्ध किया था। इस बात का भी कहीं कहीं ज़िक्र मिलता है कि कृष्ण का शंख भी इसी क्षेत्र से प्राप्त हुआ था। इस मंदिर का निर्माण 4थी शताब्दी या उससे पूर्व का बताया जाता है। 

चंद्रेश्वर भूतनाथ मंदिर

चंद्रेश्वर भूतनाथ मंदिर
Chandreshwar Bhootnath Temple

दक्षिण गोवा में स्थित यह मंदिर मडगांव से तक़रीबन 25 किलोमीटर दूर पड़ता है। इस जगह पर जाने पर मुख्य मार्ग से ही मंदिर का महाद्वार दिखाई देता है। इस जगह से ही मन दर्शन को लालायित होने लगता है। यहीं से हमें मंदिर के लिए मुड़ना होता है। महाद्वार पर भैरवों, स्कंदों तथा स्वयं भगवान शिव की सुन्दर मूर्तियां लगी हुई हैं। सूर्य के अस्त होते ही यह रोशनी से जगमगाया उठता है।

शंख भैरव मंदिर

Bhairav Mandir
Bhairav Mandir

महाद्वार के अंदर घुसते ही नज़र जिस मंदिर पर पड़ती है वह है शंख भैरव मंदिर। इस मंदिर का पूरा पूरा निर्माण गोवा शैली में हुआ है और यह देखने में बहुत ही ख़ूबसूरत लगता है। इस मंदिर में शंख भैरव की लिंग रूप में उपासना की जाती है। मंदिर पूर्णिमा के दिन बंद रहता है और बाकी दिनों में सिर्फ़ सुबह और शाम की आरती के लिए ही खोला जाता है। इस जगह से ही पहाड़ी की चोटी तक पहुँचने के लिए चढ़ाई आरम्भ हो जाती है।

सिद्ध भैरव, काल भैरव तथा कमण्डलु तीर्थ

सिद्ध भैरव, काल भैरव तथा कमण्डलु तीर्थ
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इस पहाड़ी की आधी चढ़ाई चढ़ने के उपरांत एक ऐसी जगह आती है जहां पर आप अपनी गाड़ी को खड़ी करके विश्राम और जलपान कर सकते हैं। इस जगह पर आपको दो छोटे छोटे मंदिर और एक जलकुंड भी देखने को मिलेगा। जिसमें से एक मंदिर सिद्ध भैरव, और काल भैरव का है। जलकुंड को कमण्डलु तीर्थ की संज्ञा दी जताई है, इस तीर्थ के जल से चन्द्रनाथ का अभिषेक किया जाता है। कमण्डलु तीर्थ के अलावा इस जगह पर मंदिर के कपिल तीर्थ तथा गणेश तीर्थ नामक दो अन्य तीर्थ भी हैं। इस जगह पर भी लोग जाना पसंद करते हैं, लोग इन दोनों तीर्थों पर पहुँचकर अपनी आस्था और श्रद्धा को ज़ाहिर करते हैं। 

चंद्रेश्वर भूतनाथ मुख्य मंदिर

मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियाँ चढ़नी होती है। सीढ़ियाँ के समाप्त होते ही एक तोरण से सजा द्वार आता है जिसके आधार को देखना चाहिए। भीतर प्रवेश करने पर एक गोवा शैली में बना मंदिर दिखाई देता है। यह मंदिर अश्वों एवं हाथियों से युक्त रथों के लिए लोकप्रिय है। मंदिर के पास ही एक यज्ञशाला है जहां पर हवन आदि किया जाता है। फिर आता है मुख्य मंदिर का द्वार जसी जगह पर सागर मंथन से निकली हर एक वस्तु को चित्रित किया गया है। यह जगह बहुत ही अच्छी और देखने लायक़ है। इस जगह पर पहुँचकर बहुत सारे पौराणिक संदर्भ अनायास ही याद आने लगते हैं। 

Chandreshwar Bhootnath Temple
Chandreshwar Bhootnath Main Temple

चंद्रेश्वर मंदिर एक अत्यंत आकर्षक मंदिर है। मंडप के चारों ओर लकड़ी पर विभिन्न रंगों में नक्काशी की गयी है। मुख्य मंदिर के भीतर स्थापित स्वयंभू शिवलिंग पर एक आवरण चढ़ाया हुआ है। शिवलिंग के पीछे चंद्रेश्वर की प्रतिमा है। मुख्य मंदिर के चारों ओर नवदुर्गा, गणपति, विष्णु तथा महालक्ष्मी की शैल प्रतिमाएं हैं। कुछ लोग बताते हैं कि पूर्णिमा की रात्रि में चन्द्रमा का प्रकाश शिवलिंग पर पड़ता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस जगह पर लेटराइट के लिंग से जल रिसता है परंतु इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए आपको पूर्णिमा की संध्या का इंतज़ार करना होता है। दूसरी बात यह की कुछ निर्माण कार्यों की वजह से अब ये दृश्य पूरी तरह से दिखाई भी नहीं देता। 

चोटी से देखें अद्भुत दृश्य 

चोटी से देखें अद्भुत दृश्य 
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देवदर्शन एवं मंदिर की आतंरिक सुन्दरता का मन भर के आनंद लेने के बाद भी इस जगह पर काफ़ी कुछ बचा रहा जाता है। गोवा की इस सबसे ऊँचाई पर स्थित जगह से आपको आसपास के परिदृश्यों को देखना बिल्कुल भी नहीं भूलना चाहिए। इस जगह पर आकर इस बात का अहसास और भी गहरा हो जाता है कि प्रकृति ने खुले मन से इस जगह को सजाया और सँवारा है। चारों ओर हरियाली से घिरा चन्द्रनाथ पर्वत बहुत ही ख़ूबसूरत दिखाई देता है। इस जगह को निहारते हुए आप घंटों बिता सकते हैं। यह जगह काफ़ी ऊंचाई पर स्थित है जिसकी वजह से बहुत ही अच्छी हवा बहती रहती है। इस जगह पर एक अलग तरह का सकून का अहसास होता है।