Breastfeeding Problems: शिशु के जन्म के बाद उसकी सेहत का ख्याल रखना एक मां की ही जिम्मेदारी होती है। मां का स्तनपान शिशु के लिए किसी अमृत से कम नहीं होता है। मां का दूध ना केवल शिशु का पेट भरता है, बल्कि इससे उसे वह सभी पोषक तत्व मिलते हैं, जो उसके लिए आवश्यक होते हैं। इतना ही नहीं, स्तनपान करते समय मां और बच्चे के बीच एक रिश्ता कायम होता है। हालांकि, कभी-कभी यह सुखद और सुकून देने वाला अनुभव एक दुःस्वप्न बन सकता है, जब आपका बच्चा नर्सिंग के दौरान या बाद में रोना शुरू कर देता है। जिसके कारण माता बहुत अधिक परेशान हो जाती है और वह अपने बच्चे को शांत करना चाहती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ब्रेस्टफीड करते हुए शिशु के रोने के कारणों के बारे में बता रहे हैं-
1) ब्रेस्टमिल्क का प्रवाह
कई बार दूध के प्रवाह के कारण भी शिशु ब्रेस्टफीड करते समय रोते हैं। यदि आपका शिशु ब्रेस्टफीड करते हुए खांसता है या फिर उल्टी करता है, तो हो सकता है कि ब्रेस्टमिल्क का प्रवाह बहुत अधिक हो और उसके लिए इसे मैनेज करन मुश्किल हो। इस स्थिति में आप प्रवाह को कम करने के लिए ब्रेस्ट कंप्रेशन का प्रयास कर सकते हैं।
2) बेबी का हवा पास ना होना

अक्सर शिशु स्तनपान करते समय दूध के साथ-साथ बहुत अधिक हवा भी निगल लेते हैं। ऐसे में उन्हें बीच-बीच में डकार या गैस पास करने की जरूरत होती है। इस अतिरिक्त गैस के कारण बच्चे ब्रेस्टफीड करते हुए रोने लगते हैं। इसलिए, शिशु को एक स्तन से दूसरे स्तन पर ले जाते समय धीरे से उसकी पीठ को सहलाएं, ताकि वह डकार ले सके। हालांकि, एक बार जब आपका शिशु छह महीने या उससे अधिक का हो जाता है, तो वह अपने आप ही डकार ले सकता है।
3) आसपास के माहौल से घबरा जाना
तीन महीने या उससे अधिक उम्र के शिशु आसानी से अपने परिवेश से विचलित हो जाते हैं। इसलिए, यदि आपका शिशु तेज आवाज सुनता है, तो ऐसे में वह विचलित हो सकता है और रोना शुरू कर सकता है। इसलिए, उसे शांत रखने के लिए आप ऐसी जगह पर उसे ब्रेस्टफीड करवाएं, जहां पर बहुत अधिक शोर ना हो।
4) शिशु के दांत निकलना
अगर आपके शिशु के दांत निकल रहे हैं तो हो सकता है कि वह ब्रेस्टफीड करते हुए रोने व चिल्लाने लग जाए। दरअसल, इस दौरान उन्हें ना केवल मसूड़ों में खुजली का अहसास होता है, बल्कि वे स्वभाव से भी काफी चिड़चिड़े हो जाते हैं। इतना ही नहीं, इस स्थिति में शिशु को ब्रेस्ट को चूसने से दर्द और परेशानी होती है। जिसके कारण वे ब्रेस्टफीड करते हुए रोते हैं।
5) नींद पूरी ना होना
अगर आपका शिशु थका हुआ है या फिर वह ठीक ढंग से सोया नहीं है तो इससे शिशु बहुत अधिक चिड़चिड़ा हो जाता है। ऐसे बच्चे तनावग्रस्त होने के कारण दूध पिलाते समय रोते हैं या चिल्लाते हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि शिशु को पर्याप्त आराम करने दिया जाए। ध्ध्यान रखें कि तीन महीने की उम्र के बाद शिशु अपनी दिनचर्या को फॉलो करना शुरू कर देते हैं। उससे पहले उनके सोने व जागने का कोई तय समय नहीं होता है।
6) शिशु का भूखा ना होना
अधिकतर घरों में माताएं अपने शिशु को एक तय समय पर ब्रेस्टफीड करवाती हैं। लेकिन कभी-कभी शिशु को ओवरफीड करवाना भी उसके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। यदि आपका शिशु भूखा नहीं है या उसका पेट भर गया है, तो ऐसे में वह ब्रेस्टफीड करते हुए परेशान हो सकता है। ऐसे में वह दूध पीने से इंकार कर सकता है या फिर रोने लगता है। यदि ऐसा है, तो अपने बच्चे को मजबूर न करें और उसे कुछ वक्त बाद ही ब्रेस्टफीड करवाएं।
7) स्तन का चयन करना
कुछ शिशु ऐसे भी होते हैं, जिन्हें मां के किसी एक खास स्तन से ही दूध पीना पसंद करते हैं। ऐसे में अगर शिशु को दूसरे स्तन से स्तनपान करवाया जाता है तो वह असहज हो जाते हैं। कभी-कभी वे इसके कारण रोना भी शुरू कर सकते हैं। शिशु की यह स्थिति कभी-कभी कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भी हो सकती है। मसलन, अगर शिशु को कान में संक्रमण या दर्द हो, तो ऐसे में शिशु को एक खास स्थिति में ब्रेस्टफीड करने में समस्या हो सकती है और वह रोना शुरू कर सकते हैं। ऐसे में सबसे अच्छा तरीका होता है कि आप अपने शिशु को दूसरे स्तन से स्तनपान करवाएं।
8) शिशु को टंग-टाई की समस्या होना
कुछ शिशु को टंग-टाई की समस्या भी हो सकती है। यह एक ऐसी स्थिति जिसमें जीभ का निचला हिस्सा पूरी तरह से अलग नहीं होता है। जिन शिशुओं को यह समस्या होती है, उन्हें स्तन को ठीक से पकड़ने की उनकी क्षमता को बाधित होती है। जब वे स्तनपान करते हैं तो उनकी स्तन पर पकड़ खो सकता है। जिसके कारण उन्हें फीडिंग में परेशानी हो सकती है और वे चिड़चिड़े हो सकते हैं। ऐसे में शिशु फीडिंग सेशन के दौरान रो सकते हैं।
9) बच्चे की नाक बंद होन
अगर शिशु की ठंड के कारण नाक बंद है तो ऐसे में जब वे फीड करते हैं तो उन्हें सांस लेने में बहुत अधिक परेशानी होती है। जिसके कारण शिशु चिड़चिड़ा हो जाता है और वे जोर-जोर से रोना शुरू कर देते हैं। कई बार नाक बंद होने और असहजता के कारण वे ब्रेस्टफीड करने से बचते हैं।
