bold dreams of half the population
bold dreams of half the population

Indian Women Achieving: क्षेत्र कोई भी हो महिलाएं लगातार अपनी कुशलता से अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही हैं और वैश्विक स्तर पर देश का नाम रौशन कर रही हैं। आज हम कुछ ऐसी ही शख्सियत के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो अपने दम पर दुनियां में चमक रही हैं।

मीनू काले एक उभरती हुई अभिनेत्री और गज़ल गायिका हैं, जिन्होंने अपने प्रभावशाली अभिनय और दिल को छू लेने वाली आवाज़ के दम पर भारतीय मनोरंजन जगत में एक खास जगह बनानी शुरू कर दी है।
उनका अभिनय केवल परफॉर्मंेस नहीं, बल्कि एक एहसास है। मीनू हर किरदार में इस तरह ढल जाती हैं कि दर्शक उन्हें नहीं, उनके निभाए किरदारों को महसूस करते हैं। उनकी एक्टिंग जर्नी में स्कैम 2003 में नगमा बी की भूमिका ने उन्हें दर्शकों और क्रिटिक्स के बीच खास पहचान दिलाई।
उनके अभिनय की गहराई, सहजता और भावनात्मक पकड़ यह दिखाती है कि वे एक जन्मजात कलाकार हैं। वे हर किरदार को आत्मसात करती हैं, उसे जमीनी, सच्चा और दिल से जुड़ा बनाती हैं।
गज़ल गायन में भी मीनू का योगदान बेहद खास है। उनकी आवाज में एक मिठास और ठहराव है, जो श्रोताओं को भीतर तक छू जाता है। वे गज़ल को न केवल एक संगीत शैली के रूप में अपनाती हैं, बल्कि उसे आत्मा की जुबान मानती हैं। उनकी गायकी में उर्दू शायरी का दर्द, मोहब्बत और नज़ाकत साफ झलकती है। एक कलाकार के रूप में मीनू काले हर दिन खुद को निखारने में लगी हैं। वे एक्टिंग और संगीत-दोनों के जरिए कहानियां सुनाना चाहती हैं जो दिलों को छू सकें, सोच को
झकझोर सकें और समाज को कुछ नया दिखा सकें। मंच हो या कैमरा, मीनू अपनी उपस्थिति से हर दृश्य में जान डाल देती हैं। वे आज की तारीख में एक नया चेहरा हैं,

लेकिन आने वाले समय की बेहद वादाशील और दमदार कलाकार। अभिनय और संगीत के प्रति उनका समर्पण उन्हें जल्द ही इंडस्ट्री के चमकते सितारों में शामिल करेगा।

Indian Women Achieving-A life in acting
A life in acting

चैताली कोहली का जन्म मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ और उन्होंने मात्र छह वर्ष की उम्र में अभिनय की शुरुआत की। उनके दादाजी ने उन्हें एक बच्चों की एक्टिंग वर्कशॉप से परिचित कराया। एक्टिंग
से तुरंत प्रभावित होकर उन्होंने स्कूल और कॉलेज के दौरान लगातार एक्टिंग की। हालांकि एक रूढ़िवादी परिवार से होने के कारण, उन्होंने पहले अपनी पढ़ाई पूरी करने, नौकरी करने और परिवार बसाने को प्राथमिकता दी। अपने दूसरे बच्चे के जन्म के बाद उन्होंने आदिशक्ति संस्थान से ट्रेनिंग ली, मिस्नेर तकनीक में खुद को तराशा और अरण्य नगर में ऑडिशन की दुनिया में कदम रखा।
लॉकडाउन के बाद उन्हें फोनपे के लिए सीमा आंटी की भूमिका मिली, जिससे उनके पेशेवर करियर की शुरुआत हुई। चैताली ने विज्ञापन जगत में एक मजबूत पहचान बनाई है और अब तक 50 से अधिक विज्ञापनों में काम कर चुकी हैं। उनके कई प्रोजेक्ट्स को खासी सराहना मिली है, जैसे- मिल्कबास्केट विज्ञापन जिसने प्रतिष्ठित ब्लू एलीफेंट अवॉर्ड जीता, और बोल्ड केयर, कॉइन डीसीएक्स और कराटे गर्ल्स जैसे वायरल कैंपेन, जिनमें उनका जीवंत अभिनय झलकता है। उनका बहुपरती व्यक्तित्व उन्हें टेलीविजन, वेब सीरीज और थिएटर के बीच सहज रूप से स्थानांतरित होने

की क्षमता देता है, जिससे वे उद्योग की सबसे पसंदीदा अभिनेत्रियों में से एक बन गई हैं। उन्होंने कई बड़े ब्रांड्स के साथ काम किया है और अपने भावपूर्ण अभिनय से किरदारों में जान डाली है। वर्तमान में चैताली एक आगामी वेब सीरीज विषानृत में मुख्य भूमिका निभा रही हैं, जिसमें वह सावी नाम की एक महत्वाकांक्षी एचआर प्रोफेशनल की भूमिका में हैं, जिसकी भावनात्मक असुरक्षा उसके जीवन
को मोड़ देती है। उनके पास कई अन्य रोचक प्रोजेक्ट्स भी हैं, जो उन्हें इंडस्ट्री में और मजबूती से स्थापित करेंगे। थिएटर में भी उनकी सक्रियता बनी हुई है। एक खास नाटक विषमृत, जो एक मराठी कमॢशयल प्ले है और प्रसिद्ध निर्देशक विजय केणकारे द्वारा निर्देशित है, महाराष्ट्र में 25 से अधिक शो पूरे कर चुका है। वेब सीरीज में वह भावनात्मक निरंतरता को अपनाकर किरदारों में गहराई और सच्चाई लाती हैं। थिएटर में उनका अभिनय अभ्यास से परिपूर्ण और दर्शकों से गहरे जुड़ाव वाला
होता है।

Tradition taken abroad
Tradition taken abroad

कठपुतली एक ऐसी प्राचीन कला है जो आज के समय में आमतौर पर दिखाई नहीं देती। लेकिन भीमव्वा डोड्डाबलप्पा शिल्लेक्यथारा एक ऐसा नाम है जिन्होंने इस विरासत को संजोय रखा। हाल ही में 96 साल की कठपुतली कलाकार भीमव्वा को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया है। कर्नाटक के कोप्पल जिले के मोरनाल गांव में रहने वालीं भीमव्वा का जन्म 1929 में पारंपरिक कठपुतली कलाकार परिवार में हुआ था। भीमव्वा की उम्र मात्रा 14 साल थी जब उन्होंने तोगलु गोम्बेयाटा कला में प्रवेश किया। वह 7 दशकों से भी अधिक समय से रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों का कठपुतली के जरिये मंचन करती आ रही हैं। उन्होंने भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका, फ्रांस, इटली, ईरान, इराक, स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड्स जैसे देशों में अपनी कला का सफल प्रदर्शन किया है। उनके इस प्रयास ने भारत की इस अतुल्य प्राचीन कला को संरक्षित रखने के साथ उसको अगली पीढ़ी तक विरासतस्वरूप पहुंचाया है। उनके इन्ही प्रयासों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। कठपुतली एक ऐसी मनोरंजन कला है जिसमें कपड़े और लकड़ी की मदद से कठपुतली बनाकर नाटकों, साहित्य और कहानियों का मंचन किया जाता है। इसमें कठपुतली को नियंत्रित करने के लिए धागे का इस्तेमाल किया जाता है और कलाकार आवाज के जरिये प्रस्तुति देता है। कठपुतलियों को विभिन्न प्रकार की गुड्डे-गुड़ियों, जोकर आदि पात्रों के रूप में बनाया जाता है।

Batool Begum's singing is a symbol of communal harmony
Batool Begum’s singing is a symbol of communal harmony

मुस्लिम समुदाय से होने के बावजूद बतूल बेगम भगवान के भजन गाती हैं, इसलिए उन्हें भजनों की बेगम के नाम से भी जाना जाता है। बतूल बेगम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। बतूल बेगम जयपुर की एक लोक संगीत गायिका हैं जो मांड व भजन गाने के लिए लोकप्रिय हैं। उनकी ये कला उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिला चुकी है। मिरासी समुदाय से आने वाली बतूल बेगम का जन्म राजस्थान के डीडवाना जिले के केराप गांव में हुआ था। मांड गायन में उनकी रूचि उनकी पारिवारिक परंपरा का हिस्सा है। लेकिन भजन गायन में उनकी रूचि तब आई जब 8 वर्ष की थीं। बतूल अपनी सहेलियों के साथ नागौर के केराप गांव स्थित ठाकुर जी के मंदिर के सामने गाती थीं और यहीं से उनकी भजन गायन में रूचि पैदा हुई। मुस्लिम होने
के बावजूद हिन्दू देवी-देव के भजन गाने पर बतूल को ताने भी सुनने पड़े लेकिन उन्होंने गायन को धर्म से अलग रखा। उनकी शादी 16 साल की उम्र में फिरोज खान, जो की एक कंडक्टर के साथ हुआ। शादी के बाद उनके तीन बेटे हुए। गरीबी में उनका जीवन संघर्ष भरा रहा। लेकिन उन्होंने गायन नहीं छोड़ा और अपनी गायकी से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता हासिल की। बतूल बेगम
इटली, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, अमेरिका, जर्मनी, और ट्यूनेशिया जैसे देशों में अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं। उनकी इस लगन का नतीजा है कि वह पेरिस में यूरोप के सबसे बड़े होली फेस्टिवल में 5 साल से प्रस्तुति दे रही हैं।