baljeet kaur
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Baljeet Kaur: देश की बेटियां अपनी उड़ान से हर दिन नया इतिहास रच रही हैं और दुनिया भर में भारत का नाम रौशन कर रही हैं। इन्हीं नामों में एक नाम बलजीत कौर का जुड़ गया है जो एक ऐसी पहली भारतीय पर्वतारोही बन गई हैं जिसने 30 दिनों में 8,000 मीटर की 5 चोटियों पर फतह कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है जो कि भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। बलजीत कौर ने सबसे पहले 28 अप्रैल को माउंट अन्नपूर्णा (8091 मीटर), 12 मई को माउंट कंचनजंगा (8586 मीटर) और 21 मई को माउंट एवरेस्ट (8849 मीटर), 22 मई माउंट ल्होत्से (8516 मीटर), 28 मई को माउंट मकालू (8463 मीटर) की चढ़ाई की। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले की कंडाघाट तहसील के एक छोटे से गांव की रहने वाली बलजीत कौर ने गृहलक्ष्मी से बात करते हुए अपनी सफलता के कई राज खोलें।

प्र. एक नया रिकॉर्ड बनाने के बाद आपके जीवन में क्या बदलाव आए हैं?


बदलाव की बात करें तो ऐसा कुछ खास बदलाव अभी नहीं आया है। मीडिया में खबर जरूर आई है कि मैंने 25 दिनों में 8,000 मीटर की 4 चोटियों पर चढ़ाई की है लेकिन कई लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है और सच यह है कि मैंने पांच चोटियों पर चढ़ाई की है। आशा करती हूं की आने वाले समय में जल्द ही अच्छे बदलाव देखने को मिले।

प्र. एक पर्वतारोही होने के लिए खास तौर पर महिलाओं को क्या-क्या तैयारी करनी पड़ती है। यह कितना जोखिम भरा होता है?


पर्वतारोही होने के लिए एक महिला को कई तरह की तैयारी करनी होती है। पुरूषों को जहां दो पहाड़ चढ़ना होता है उसी जगह महिलाओं को तीन पहाड़ चढ़ना पड़ता है। पहला पहाड़ है जहां एक ऐसे समाज से बाहर निकला जो बात-बात पर आपको पीछे खींचता है। लोगों की मानसिकता जो महिलाओं को पहाड़ चढ़ने से रोकता है उससे हमें निकलना पड़ता है और कई जोखिम को उठाना पड़ता है। वहीं दूसरा वित्तीय पहाड़ है, किसी भी पर्वतारोही को पैसे बचत करना पड़ता है क्योंकि पहाड़ चढ़ने के लिए आपको एक वित्त तौर पर मजबूत होना बहुत जरूरी है और यह अपने आप में एक बड़ी चुनौती की तरह है। तीसरा हम उस पहाड़ की चढ़ाई करते हैं जो हमारे लिए सपना होता है।

प्र.महिलाओं के साथ खास कर कई परेशानियां होती है जैसे पीरियड्स, अपने ऐसे समय को कैसे डील किया?

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Baljit Kaur, a resident of a small village in Kandaghat tehsil of Solan district of Himachal Pradesh


महिला होने के नाते हर महीने में महामारी से गुजरना पड़ता है, और पहाड़ों पर जब हम चढ़ाई करते हैं तो यह बहुत चुनौती भरा हो जाता है कि इसे कैसे टैकल करना है। उस समय होने वाली परेशानियों के साथ ही आपको पहाड़ की चढ़ाई करना ही पड़ता है,आप आराम नहीं कर सकते ऐसा करने पर आपको देरी हो सकती है या मौसम खराब हो सकता है। ऐसे में महिलाओं के लिए इतना आसान नहीं होता पहाड़ चढ़ना। मैंने ऐसे समय में सोते समय गरम पानी का इस्तेमाल किया हॉट वाटर बोतल पेट पर रख कर इस परेशानी से बची, दवाई नहीं ली क्योंकि आप उचाई पर दवाइयां नहीं ले सकते। लेकिन बावजूद इसके अगर आपकी ट्रेनिंग अच्छी है और आपने ठान लिया की आपको पढ़ाई करनी है तो आप कर लेंगी।

प्र. फिजिकली अगर बात करूं तो आपने इसके लिए खुद को कब से तैयार किया करना शुरू किया और क्या तैयारी की?


खुद को पहाड़ पर ले जाने के लिए तैयार करना एक दिन का काम नहीं था। 2016 में पहाड़ चढ़ने की कोशिश में असफल रही थी, इसके बाद मैंने तैयारी तेज कर दी। हर दिन जो दौर लगाने का समय था उसे मैंने बढ़ाया। मेरे दिमाग हमेशा यही था कि अगर कोई मौका मुझे मिलता है तो मेरे फिजिकली कभी के कारण वह मौका हाथ से न जाय। ऐसे में मुझे हमेशा इसके लिए तैयार रहना था और जब मुझे मौका मिला तब मैंने छह: महीने पहले ही अपनी ट्रेनिंग बढ़ा दी थी और इसके लिए स्पेशल ट्रेनिंग किया। जिसके बाद मुझे यह सफलता मिली है।

प्र. पांचों पहाड़ों पर चढ़ने के लिए कोई विशेष तरह की डाइट भी आपने अपनाया है?


सच कहूं तो जिस तरह की डाइट की जरूरत थी उसके लिए मेरे पास पैसे नहीं थे। ऐसे में जो घर में साधारण खाना रोटी, सब्जी, चावल-दाल खा लिया, कोई स्पेशल डाइट मैं नहीं ले पाई।

प्र. आपको पर्वतारोही बनने के लिए प्रोत्साहन कहा से मिला?


मैं बचपन से ही जब भी पहाड़ की तरफ देखती थी तो मुझे वो अपनी तरफ बुला रहे हैं मुझसे वह मिलना चाह रहे हैं और मुझे उनसे मिलना है। मैं हमेशा से वहां पहुंचने का सोचती रहती थी। पहाड़ों को देखकर ही मुझे प्रोत्साहन मिला। यह कह सकते हैं कि पहाड़ों के आस-पास रहने का भी यह असर हो सकता हैं, लेकिन मैं जहां रहती हूं वहां प्लेन जगह है छोटे-छोटे पहाड़ हैं। हमेशा मेरे मन में रहता की काश यहां बरफवाड़ी होती, पहाड़ चढ़ पाती और मैं इसके लिए तरसने लगी। मैंने पहाड़ की चढ़ाई किसी रिकॉर्ड के लिए नहीं की बल्कि निस्वार्थ चढ़ती गई और रिकॉर्ड बन गया।

प्र. आपकी गाइड मिंगमा शेरपा का आपकी सफलता में क्या योगदान रहा?


मेरी सफलता में सबसे ज्यादा योगदान इन्ही का रहा है। इनके बीना शायद यह नहीं हो पाता। मुझे लगता है की हम पर्दे के आगे हैं लेकिन पर्दे के पीछे की रियल हिरो मिंगमा शेरपा हैं। मुझे मेरी तरह ही अपने लक्ष्य की तरफ चलने वाले लोग चाहिए थे जो किसी भी परिस्थिति में न रुके और मिंगमा शेरपा बिलकुल वैसी ही हैं। मैं अपनी सफलता का का श्रेय उन्हीं को देना चाहुंगी।

प्र. इसके लिए आपने ट्रेनिंग कब शुरू किया।


बचपन से मुझे पहाड़ चढ़ने का मन था लेकिन मुझे इसकी जानकारी नहीं थी कि इसके लिए कोई ट्रेनिंग भी ली जाती है। इसके बारे में मुझे अपने कॉलेज के दिनों में पता लगा। वहीं मैंने एनसीसी से जुड़ी और ट्रेनिंग की शुरुआत किया।

प्र. जब आप पहाड़ों पर चढ़ाई करते हैं तो क्या सांसों पर कंट्रोल होना भी जरूरी है?


जैसे -जैसे आप ऊचाई पर जाते हैं ऑक्सीजन लेवल कम होता जाता है ऐसे में आपको अपना ध्यान खुद रखना है। इसके लिए सांसों पर कंट्रोल जरूरी है और इसके लिए आपको प्रैक्टिस करने की जरूरत है।

प्र. वहीं खाने को लेकर आपकी क्या तैयारी थी?


मैं शाकाहारी खाना ही खाती हूं, और ज्यादातर यही होता है जो पहाड़ों पर चढ़ाई करते हैं वह लोग मांसाहारी खाना खाते हैं। मुझे ऐसे में थोड़ी परेशानी हुई और मैंने खुद के लिए खाना बनाया जैसे चावल, रोटी, आलू का पराठा। जहां तक नूडल्स की बात है मैं वह नहीं खा पाती मुझे पसंद नहीं है लेकिन ले पहाड़ो में एक विकल्प के तौर पर है तो मैं सोच रही हू खाना शुरू कर दूं।

प्र. आपने किसी खास वर्क-आउट को भी अपनाया किया हैं?

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Baljeet has trained herself by following the athlete.


मैं किसी कोंच को नहीं रख पाई क्योंकि उनकी फीस ज्यादा थी जो कि मैं देने में समर्थ नहीं थी। मैंने कई एथलीट्स को कोचिंग दी है, योगा टिचर रह चुकी हूं मैं, कई लोगों को ट्रेंड कर चुकी हूं तो मुझे लगता था कि मैं खुद को अच्छे से ट्रेंड कर सकती हूं। तो मैंने आर्टिकल्स पढ़ कर और पहले के एथलीट को फॉलो करके मैंने खुद को ट्रेंड किया है।

प्र. माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला बछेंद्री पाल से आप कितनी प्रभावित हैं?


उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई तब की थी जब लड़कियों के लिए घर से निकलना मुश्किल होता था कई सामाजिक दायरे थे उस समय उन्होंने जो किया वह कई लोगों के लिए मिसाल था और खासकर महिलाओं के लिए प्रेरणा देने वाला रहा। मैं चाहूंगी की उनसे कभी मुलाकात हो।

प्र. सरकार पर्वतारोहियों को और किस तरह से सहायता कर सकती है?


सरकार की ओर से इस सफलता के लिए मेरे पास अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई हैं, मैं चाहूंगी कि सरकार की तरफ से एडवेंचर फिल्ड को भी प्रमोट किया जाए जैसे अन्य फील्ड को किया जाता है। क्योंकि इसमे सिर्फ किसी पहाड़ की चढ़ाई करना ही नहीं है बल्कि पर्यावरण के लिए लोगों को जागरूक करना, लोगों को समझाना, और लोगों को बताया की जिस प्रकृति से हम सब जुड़े हैं उसे कैसे और सुरक्षित रखा जा सकता है, यह सभी शामिल है। इसके अलावा आपातकाल की स्थिति में पर्वतारोही रेस्क्यू कर सकते हैं। इस फील्ड में कही से कोई फंड नहीं दिया जाता ऐसे में हमारे लिए चीजें बहुत मुश्किल हो जाती है।

प्र. पर्वतारोहियों के लिए किस तरह के करियर की संभावना होती है आपकी आगे की क्या प्लानिंग हैं?


अन्य खेलों की बात करूं तो उनके लिए कई विकल्प होते हैं उन्हें फेमस होने रके बाद उन्हे कई एडवटाइजमेंट कंपनी अपना चेहरा बनाती है, वहीं सरकार की तरफ से भी उन्हे नौकरी दी जाती है। ऐसे कई उदाहरण है। लेकिन पर्वतारोहियों के लिए ऐसे विकल्प नहीं हैं। वहीं खुद से आप इंस्टीट्यूट में इंस्ट्रक्टर बन सकते हो, ट्रैक लीड कर सकते हैं, अपनी ऑर्गनाइजेशन भी खोल सकते हैं, एनजीओ के सहारे लोगों को एनवायरमेंट के प्रति जागरूक कर सकते हैं। फ्यूचर बनाने से होता है हर फील्ड में बहुत सारे विकल्प होते हैं।

प्र. मांइंटेन क्लीमिंग के अलावा आपके ऐर क्या शौक हैं

मैं यह कह सकती हूं कि मैं बहुत क्रिएटिव हूं मैं डांस करना जानती हूं और बच्चों को सिखाया भी है इसके अलावा मुझे एक्टिंग भी आती है। इसके अलावा योगा करती हूं और सिखाती भी हूं। मुझे इंडियन आर्मी से बहुत ज्यादा लगाव है मैं चाहूंगी किसी तरह अगर मैं उससे जुड़ पाउं।

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