Summary: हरमनप्रीत कौर की हिम्मत, जज़्बे और जीत की कहानी
हरमनप्रीत कौर ने अपने जुनून और लीडरशिप से भारतीय महिला क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। मोगा की गलियों से वर्ल्ड कप के मंच तक, उन्होंने साबित किया कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती।
Harmanpreet Kaur Inspiring Journey: जब मैदान पर हालात मुश्किल हों, तब असली लीडर और फाइटर पहचाने जाते हैं और 2025 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में हरमनप्रीत कौर और जेमिमा रोड्रिग्स ने वही कर दिखाया। 339 रन के विशाल लक्ष्य के सामने जब उम्मीदें डगमगाने लगीं, तब कप्तान हरमनप्रीत की जुझारू 89 रनों की पारी और जेमिमा के नाबाद 127 रनों ने इतिहास रच दिया। यह सिर्फ एक जीत नहीं थी, बल्कि भरोसे, हिम्मत और टीमस्पिरिट की कहानी थी जहां हरमन की लीडरशिप और जेमिमा की निडर बल्लेबाज़ी ने मिलकर भारत को फाइनल की राह दिखाई।
रिकॉर्ड्स की रानी और नई पीढ़ी की प्रेरणा
हरमनप्रीत कौर भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हैं, जो तीनों फॉर्मेट में टीम का नेतृत्व करती हैं। उनके नेतृत्व में भारत ने 2025 महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल तक पहुंचकर इतिहास रच दिया। यह उनका बतौर कप्तान पहला वर्ल्ड कप था।
साल 2018 में वह भारत के लिए टी20 इंटरनेशनल में शतक लगाने वाली पहली महिला बनीं और तब से लगातार नए कीर्तिमान गढ़ रही हैं। हरमन भारत की एकमात्र महिला क्रिकेटर हैं जिनके टी20 इंटरनेशनल में 3000 से अधिक रन हैं और उन तीन भारतीय खिलाड़ियों में शामिल हैं जिन्होंने वनडे क्रिकेट में भी यह मुकाम हासिल किया है।
लीडरशिप जिसने रचा नया इतिहास
हरमनप्रीत कौर ने न सिर्फ अपने बल्ले से इतिहास लिखा, बल्कि अपनी कप्तानी से भारतीय महिला क्रिकेट को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाया। 2019 में वह 100 टी20 इंटरनेशनल खेलने वाली पहली भारतीय बनीं और 2023 में उन्होंने यह रिकॉर्ड और आगे बढ़ाते हुए 150 टी20 मैच खेलने वाली भारत की पहली खिलाड़ी (पुरुष या महिला) बनकर एक और सुनहरा अध्याय जोड़ा। उनकी मेहनत और निरंतरता को दुनिया ने भी सराहा जब वह “विज़डन की फाइव क्रिकेटर्स ऑफ द ईयर” में शामिल होने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने वो कर दिखाया जो कभी सपना लगता था 2022 में इंग्लैंड में 1999 के बाद पहली बार वनडे सीरीज़ जीतना, 2023 में ऑस्ट्रेलिया को हराकर पहला महिला टेस्ट जीतना और 2025 में इंग्लैंड के खिलाफ टी20 सीरीज़ पर कब्ज़ा जमाना।
पहली मल्टीपल टाइटल-विनिंग कप्तान
WPL में भी हरमन का जलवा बरकरार रहा। मुंबई इंडियंस को लगातार दो बार खिताब जिताकर उन्होंने इस लीग की पहली मल्टीपल टाइटल-विनिंग कप्तान बनने का गौरव हासिल किया।
साल 2017 में मिला अर्जुन अवार्ड उनके समर्पण, जुनून और अडिग लीडरशिप का प्रमाण है एक ऐसी लीडर जो सिर्फ मैच नहीं जीतती, बल्कि दिल भी जीत लेती है।
मोगा की मिट्टी से उठी भारतीय क्रिकेट की शेरनी
पंजाब के छोटे से शहर मोगा में ८ मार्च, 1989 में जन्मी हरमनप्रीत कौर आज भारतीय महिला क्रिकेट की पहचान हैं। उनके पिता हरमंदर सिंह भुल्लर एक समय वॉलीबॉल और बास्केटबॉल के बेहतरीन खिलाड़ी थे, जबकि मां सतविंदर कौर ने पूरे परिवार को सादगी और साहस की सीख दी। छोटी बहन हेमजीत आज एक असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, लेकिन हरमन का दिल बचपन से सिर्फ एक चीज़ में रमता था क्रिकेट।
कभी न्यायालय में क्लर्क रहे उनके पिता ही उनके पहले कोच थे। वे हरमन के लिए न सिर्फ प्रेरणा थे, बल्कि उनके पहले साथी भी, जिन्होंने बेटी के हाथों में गुड़िया नहीं बल्कि बल्ला थमाया।
जहां हिम्मत थी, वहीं रास्ते बने
हर दिन मोगा से 30 किलोमीटर दूर जाकर ग्यान ज्योति स्कूल अकादमी में कोच कमलदीश सिंह सोढी से ट्रेनिंग लेने वाली हरमनप्रीत कौर शुरू से ही अलग थीं। वे लड़कों के साथ खेलती थीं क्योंकि मानती थीं कि अगर आगे बढ़ना है, तो खुद को मज़बूत बनाना होगा।
2014 में उन्होंने अपने सपनों को दिशा देने के लिए मुंबई का रुख किया और इंडियन रेलवे से जुड़ गईं। वहीं से उनके करियर ने उड़ान भरी। वीरेंद्र सहवाग के निडर अंदाज़ से प्रेरित होकर उन्होंने ‘मारो, डरना नहीं’ को अपना मंत्र बना लिया। पढ़ाई को लेकर भले विवाद रहे हों, लेकिन हरमन की पहचान उनकी मेहनत, जुनून और न हार मानने वाली सोच से बनी जिसने उन्हें मोगा की गलियों से दुनिया की सबसे बड़ी पिच तक पहुंचा दिया।
हरमनप्रीत कौर सिर्फ भारतीय टीम की कप्तान नहीं, बल्कि एक जज़्बा हैं जो सिखाती हैं कि हिम्मत और मेहनत से सपनों को हक़ीक़त बनाया जा सकता है। मोगा की मिट्टी से उठी यह शेरनी आज करोड़ों लड़कियों के लिए प्रेरणा बन चुकी है, जो बताती है सीमाएं नहीं, सिर्फ मंज़िलें होती हैं।
