Summary: आलोचना से आत्मविश्वास तक जेमिमा रोड्रिग्स का सफर
जेमिमा रोड्रिग्स ऐसी युवा महिला का नाम है, जिसने आलोचनाओं और मुश्किलों को अपनी ताकत में बदला। हॉकी के मैदान से लेकर क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल तक का उनका सफर हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों के लिए डटी रहती है।
Jemimah Rodrigues: भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास में गुरुवार की रात को हमेशा याद रखा जाएगा। यह वो समय था, जब जेमिमा रोड्रिग्स ने ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ नाबाद 127 रनों की शानदार पारी खेलकर भारत को महिला वनडे वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में पहुंचाया। लेकिन इस जीत के पीछे केवल एक बल्लेबाज की नहीं, बल्कि एक बेटी, एक सपने और एक परिवार की कहानी छिपी है। आइए आज जानते हैं जेमिमा रोड्रिग्स की सफलता की कहानी के बारे में।
जेमिमा रोड्रिग्स का संघर्ष
JEMIMAH RODRIGUES HUGGING HER FATHER. ❤️
— Johns. (@CricCrazyJohns) October 30, 2025
– A lovely video. pic.twitter.com/kj4tGRRkKI
सफलता की राह कभी सीधी नहीं होती, यह कहावत जेमिमा पर भी लागू होती है। जेमिमा के जीवन में भी कई उतार-चढ़ाव आए। पिछले साल उनके परिवार को एक विवाद का सामना करना पड़ा, जब उनके पिता पर क्लब परिसर में धार्मिक गतिविधियां करने का आरोप लगा और उनकी जिमखाना मेम्बरशिप को कैंसल कर दिया गया। इस घटना ने उनके परिवार को भावनात्मक रूप से झकझोर दिया था। लेकिन जेमिमा ने इसे अपनी ताकत बना लिया।
उन्होंने एंजायटी , खुद पर संदेह और सामाजिक दबाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी। यही वजह है कि जीत के बाद वह सीधे अपने पिता इवान रोड्रिग्स के गले लगकर रोईं, जो उनके कोच भी हैं। खुद जेमिमा ने सेमीफाइनल के बाद कहा, “मैं लगभग हर दिन इस दौरे में रोई हूं। मैं मानसिक रूप से ठीक नहीं थी, लेकिन ऊपर वाले ने सब संभाल लिया।”
जेमिमा रोड्रिग्स का बचपन
मुंबई के भांडुप में जन्मी जेमिमा एक मैंगलोरियन क्रिश्चियन परिवार से हैं। उनके पिता इवान रोड्रिग्स एक जूनियर कोच हैं, उन्होंने कम उम्र से ही अपनी बेटी में खेल के प्रति जुनून जगाया। सेंट जोसेफ कॉन्वेंट हाई स्कूल और फिर रिजवी कॉलेज में पढ़ने वाली जेमिमा बचपन से ही खेलों में टॉप पर आती रही। हॉकी, फुटबॉल और बास्केटबॉल जेमिमा हर खेल में आगे रहती। लेकिन किस्मत ने उनके लिए क्रिकेट को चुना। मात्र 13 साल की उम्र में उन्हें महाराष्ट्र की अंडर-19 टीम में चुना गया।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में जब भारत को 339 रनों का लक्ष्य मिला, तो किसी ने यह नहीं सोचा था कि इस पर जीत पाना संभव भी है। लेकिन जेमिमा ने कप्तान हरमनप्रीत कौर के साथ मिलकर ऐसी पार्टनरशिप की जिसने मैच की दिशा ही बदल दी। जब भारत ने जीत दर्ज की, तो मैदान पर नहीं बल्कि स्टैंड्स में बैठे उनके पैरेंट्स के आंसू भी निकल आए। जब जेमिमा ने दौड़कर अपने पिता को गले लगाया, तो यह उन सालों की मेहनत, त्याग और विश्वास की जीत थी जो इवान रोड्रिग्स ने अपनी बेटी के अंदर बोया था।
जेमिमा रोड्रिग्स की पसंद
क्रिकेट के मैदान से अलग जेमिमा खुशमिजाज और क्रिएटिव हैं। गिटार बजाना और गाना उन्हें खूब पसंद है। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो लाखों लोगों को मुस्कुराने का मौका देते हैं। उनके कई वीडियो देखे जा सकते हैं। आज जेमिमा रोड्रिग्स न सिर्फ भारतीय महिला क्रिकेट की नई पहचान हैं, बल्कि उन तमाम युवतियों के लिए प्रेरणा हैं, जो सपने देखने की हिम्मत रखती हैं। रविवार को जब भारत फाइनल में उतरेगा, तब सिर्फ 11 खिलाड़ी नहीं, बल्कि 140 करोड़ लोगों की उम्मीदें मैदान में होंगी। और उस उम्मीद की धड़कन होगी जेमिमा रोड्रिग्स।
