हम ऐसे देश का हिस्सा हैं, जहां जितने राज्य, जितने शहर और जितने भी गांव हैं, उनसे कहीं ज्यादा वहां की परम्पराएं हैं। ये परम्पराएं ऐसी हैं, जिनके बारे में किसी को पता होता है, तो किसी को नहीं। बात जब हिन्दू परम्पराओं की आती है तो इसमें भी हर परम्परा से जुड़ी अलग लग मान्यताएं होती हैं। जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती चली आ रही हैं। ये परम्पराएं ऐसी हैं, जो हिंदुत्व की संस्कृति का आइना हैं। देखा जाए तो सदियों से हिन्दुओं ने रोजमर्रा के घरेलू कामों में कई अनुष्ठानों और परम्पराओं का पालन किया है। आज भी ये परम्पराएं पूरी की जाती हैं। आज हम आपको हिन्दू परम्पराओं के बारे में रूबरू कराएंगे। जहां आपको उनके पीछे छिपे वैज्ञानिक महत्व के बारे में पता चल सकेगा। तो चलिए फिर इंतजार किस बात का शुरू करते हैं।
हिंदू धर्म विज्ञान से संबंध रखता है क्योंकि हिंदू धर्म से संबंधित कई क्रियाएं ऐसी है जिन्हें देखा, छुआ और महसूस किया जा सकता है। ऋषि मुनि ने जो भी वेद बताएं यह सब लिखित में मौजूद हैं और सूर्य के ईदगिर्द जो भी क्रियाएं होती है वह वेद में स्पष्ट होता है। योग एक विज्ञान आधारित क्रिया है तथा कई ऐसे और भी सबूत है जो यह साबित करते हैं कि हिंदू धर्म एक वैज्ञानिक आधारित धर्म है और वह इसकी साफ रूप में तस्वीर पेश करता है।
1.दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करना ( JOINING BOTH PALMS TOGETHER TO GREET)
हिंदू धर्म में व्यक्ति एक दूसरे को हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं और इसका कारण यह है कि वह एक दूसरे के प्रति मान सम्मान और इज्जत रखते हैं। वैज्ञानिक रूप में देखें तो जब सारी उंगलियां आपस में मिलती है तो वह आंख, नाक और कान के PRESSURE POINTS को ACTIVATE करती है। जो व्यक्ति को याद रखने में सहायता प्रदान करती है।
2. हिंदू औरतें पैर की उंगली में अंगूठी क्यूं पहनती हैं ( WHY DO HINDU WOMEN’S WEAR TOE RING)
पैर की उंगली में अंगूठी पहनना सिर्फ शादीशुदा होने का प्रमाण ही नहीं देता है बल्कि पैर की दूसरी उंगली में अंगूठी पहनना का संबंध वैज्ञानिक तौर पर गर्भाशय से भी है। दूसरी उंगली में पहनी गई अंगूठी उसकी लाश को सीधा गर्भाशय और हृदय से जोड़ती है तथा पैर की छोटी उंगली में अंगूठी पहनने से गर्भाशय की शक्ति बढ़ती है और गर्भाशय स्वस्थ रहता है।
3. पानी में सिक्के फेंकना (THROWING COINS INTO RIVER)
पानी में सिक्का फेंकने का अर्थ तो यह होता है कि वह एक शुभ अवसर लाएगा या अच्छी खबर। वैज्ञानिक तौर पर माने तो पहले सिक्के तांबे के बने होते हैं और तांबा मनुष्य के शरीर के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण कारक है तथा अगर ऐसे हम नदी में सिक्के को डालते हैं तो इससे पानी की सफाई होती है और पानी मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
4. माथे पर तिलक लगाना ( APPLYING KUMKUM/ TIKA /TILAK ON FOREHEAD)
माथे पर दो आंखों के बोहो के बीच जो स्थान है वह मनुष्य के शरीर का सबसे बड़ा NERVE POINT है। मनुष्य के शरीर में माथे के बीच तिलक लगाने पर यह माना जाता है कि वह मनुष्य के पूरे शरीर के संचालन में उर्जा का प्रवाह सुनिश्चित करता है और शरीर के अन्य भागों में एकाग्रता रखता है।
5. मंदिरों में घंटी क्यों होती है ( WHY DO TEMPLES HAVE BELLS )
जब लोग मंदिर में प्रवेश करते हैं तो वह से पहले घंटी बजाते हैं उस स्थान पर जाने के लिए जहां पर भगवान की मूर्ति विराजमान होती है। वैज्ञानिक आधार पर देखें तो घंटी का बजना हमारे मस्तिष्क से सारी नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देता है और सकारात्मक ऊर्जा को हमारे शरीर में लाता है। घंटी की धुन एकाग्रता बढ़ाती है।
6.खाने के बाद मीठा खाना
हम अक्सर खाना खाने के बाद मीठा जरुर खाते हैं। वैज्ञानिक महत्व के चलते कोई भी मसालेदार खाना हमारे डाइजेशन को बढ़ावा देता है तो वहीं मीठा डाइजेशन को धीमा कर देते हैं। इसलिए खाने के बाद मीठा खाने का रिवाज है।
7. मेहंदी लगाने की परम्परा
मेहंदी को हिन्दू रीती रिवाजों में बेहद शुभ माना जाता है। बिना मेहंदी के कोई भी रस्म पूरी नहीं मानी जाती। मेहंदी में कई औषधीय गुण होते हैं। जिससे ठंडक मिलती है और तनाव कम होता है। इसीलिए दुल्हन के हाथ पैर में मेहंदी लगाई जाती हैं।
8. जमीन पर बैठकर खाना खाना–
हमारे देश में जमीन पर बैठकर खाना खाने की शैली बेहद पुरानी है। खाना किसी भी टाइम का हो, जमीन पर बैठकर खाने से खाना डाईजेस्ट जल्दी हो जाता है।
9. उत्तर दिशा की ओर सिर करके ना सोना–
बात हिन्दू रीति-रिवाजों की करें तो जब हम उत्तर की ओर सिर रखकर सोते हैं तो इससे हाईब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है । इसके अलावा सिर में दर्द, कई तरह के रोग और दिमाग सम्बंधित परेशानियां होने लगती हैं।
10. कान छिदवाना–
हिन्दू संस्कृति में कर्णछेदन यानि की कान छिदवाने का रिवाज है। इससे बुद्धि और सोचने की शक्ति में बढ़ावा मिलता है। पूरी दुनिया में तेजी से इस रिवाज को अपनाया जा रहा है।
11. सूर्य नमस्कार–
हिंदू में सूर्य पूजन का विशेष महत्व है। लोग सूर्य में जल अर्पित कर प्रार्थना करते हैं। हम जब भी जल के माध्यम से सूर्य की किरणों को देखते हैं तो इससे हमारी आँखों की रौशनी में सुधार आता है।
12. क्यों रखा जाता है व्रत?-
आयुर्वेद में दवा और जड़ी बूटियों का उल्लेख देखने को मिलता है। वहीं किसी भी बिमारी का सीधा संपर्क हमारे पेट से होता है। व्रत से हम अपने पेट को शुद्ध रख सकते हैं। इसके अलावा दैनिक गतिविधियों से हमारे पेट को कुछ आराम भी मिलता है। इससे स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
13. पैर छूने का महत्व–
हिन्दू रीति रिवाजों में बड़ों के पैर छूने का काफी गहरा महत्व है। इससे दिलों के बीच में जुड़ाव बढ़ता है। साथ ही पैरों के माध्यम से पैर छूने वाले की उंगली के जरिये ऊर्जा का संचार होता है।
14. पीपल के पेड़ की पूजा करना–
जैसा की हम सब जानते हैं कि, पीपल का पेड़ दिन और रात दोनों ही समय ऑक्सीजन पैदा करता है। हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम ना हो , इसके लिए ही हमारे पूर्वजों ने पीपल के पेड़ की पूजा करनी शुरू की। जो पीढ़ी दर पीढ़ी आज भी चली आ रही है।
15. मांग में सिंदूर लगाना-
हिंदू रिवाजों में किसी भी विवाहित महिला की मांग में सिंदूर का होना बेहद जरूरी है। सिंदूर हल्दी , चूना और पारा धातु से मिलकर बना होता है। पारा ब्लडप्रेशर को कंट्रोल में रखता है। इससे कामुकता का विकास होता है और तनाव से राहत भी मिलती है।
16. तुलसी की पूजा करना–
हिन्दू समाज में तुलसी को मां का दर्जा दिया गया है। इसमें अनगिनत औषधीय गुण होते हैं। तुलसी एंटीबायोटिक होती है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। हर रोज तुलसी का सेवन करने से इन्सान बिमारियों से बचा रहता ही । पुराने समय से ही घरों में तुलसी का पौधा लगाने का महत्व है।
17. मूर्ति पूजा करना–
इंसान अपने विचारों के आधार पर एक आकृति देता है। जो प्राचीन भारत में मूर्तिपूजा का रूप दिया जाता है। मूर्ति बनाने से एकाग्रता बढ़ती है। साथ ही मन्दिर में मूर्ति की पूजा करने से मन शांत भी होता है।
18. चूड़ी पहनने का रिवाज–
भारत में महिलाएं चूड़ी पहनना सबसे ज्यादा पसंद करती हैं। हिन्दू समाज में इसे सुहाग ही निशानी मानी जाती है। देखा जाए तो कलाई शरीर का स्ब्स्र उर्जावान हिस्सा होती हो। जब भी कलाई में चूड़ियां पहनी जाती हैं, तो घरेलू काम के दौरान चूड़ियों में घर्षण होता है, जिससे ब्लड सर्क्युलेशन बढ़ता है।
19. मंदिर जाना–
जमीन एक नीचे से चुम्बकीय और विद्युत तरंगे गुरती रहती हैं। जब भी किसी मन्दिर का निर्माण करते हैं, तो मूर्ति की स्थापना भी मुख्य बिंदु में की जाती है। जिसे कहीं कहीं गर्भगृह के नाम से भी जाना जाता है। जिसकी तरंगे पूरे मन्दिर और आसपास के वातावरण में घुल जाती हैं। जिससे लोगों को सकारामक ऊर्जा मिलती है।
20. हल्दी लगाना-
हल्दी एक प्राकृतिक जड़ी बूटी होती है। ये एक सबसे अच्छा एंटी-सेप्टिक है। स्किन में लगाते ही सभी तरह के कीटाणु मर जाते हैं। इसके अलावा हल्दी से स्किन की सभी गंदगी हट जाती है। और स्किन ग्लोनिंग हो जाती है। साथ स्किन को नमी देने के लिए इसमें तेल भी मिलाया जाता है।
21. शादी की पवित्र अग्नि–
कहते हैं बिना अग्नि को साक्षी माने सात फेरे लिए शादी पूरी नहीं मानी जाती। शादी में जलाई जाने वाली पवित्र अग्नि के पीछे छिपे वैज्ञानिक महत्व की बात करें तो ये एक नेचुरल क्लींजर होती है। इसे वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। इसके अलावा आग में घी लकड़ी और चावल और अन्य जड़ी बूटियों के साथ जलाया जाता ही। इससे हेल्थ भी अच्छी होती है।
22. ‘ॐ’ का जाप करना–
ऐसा माना जाता है की ओम का जाप करने से ब्लडप्रेशर नियंत्रित रहता है। गहरी सांस के साथ ओम का उच्चारण मन को एकाग्र करने में मदद करता है।
23. गायत्री मन्त्र–
आपको जानकर हैरानी होगी कि गायत्री मन्त्र का जाप करने से प्रति सेकंड एक लाख से भी ज्यादा तरंगे निकली हैं। 80 से 90 मिनट का गायत्री जाप आपका स्वास्थ्य अच्छा रखता है।
तो ये तो हिन्दू समाज से जुड़े ऐसे रीति रिवाज जो हमारे पुरखों ने बनाए। इससे जुड़े वैज्ञानिक महत्व आज भी हमे जाने अनजाने में फायदा पहुंचा रहे है। जो यूं ही पीढ़ी दर पीढ़ी हमारी हिंदुत्व की संस्कृति को आगे बढ़ाता रहेगा।
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