चैत्र नवरात्र या वसंत नवरात्र 6 अप्रैल से शुरु हो रहे हैं। इन शुभ दिनों में पूरी भक्ति-भावना से माँ के नौ रूपों को पूजा जाता है। साधना देवी के किसी भी स्वरूप की पूजा की जाए उसमें कुछ नियमों एवं वर्जनाओं का ध्यान रखना आवश्यक होता है, तभी आपकी पूजा सफल होगी। आइए जानते हैं आखिर क्या हैं वे नियम जिनको ध्यान में रखकर ही देवी की आराधना करनी चाहिए-
नियम
1. पूजा पाठ, साधना एवं उपासना के समय साज श्रृंगार, शौक मौज तथा कामुकता के विचारों से अलग रहना चाहिए।
2. मंत्र जप प्रतिदिन नियमित संख्या में करना चाहिए। कभी ज्यादा या कभी कम मंत्र जप नहीं करना चाहिए।
3. किसी भी पदार्थ का सेवन करने से पूर्व उसे अपने आराध्य देव को अर्पित करें। उसके बाद ही स्वयं ग्रहण करें।
4. मंत्र जप के समय शरीर के किसी भी अंग को नहीं हिलाएं।
5. दुर्गा की उपासना में मंत्र जप के लिए चन्दन माला को श्रेष्ठ माना जाता है।
6. माता लक्ष्मी की उपासना के लिए स्फटिक माला या कमलगट्टे की माला का उपयोग करना चाहिए।
7. बैठने के लिए ऊन या कम्बल के आसन का उपयोग करना चाहिए।
8. काली की आराधना में काले रंग की वस्तुओं का विशेष महत्व होता है। काले वस्त्र एवं काले रंग का आसन का प्रयोग करना चाहिए।
9. दुर्गा आराधना में अनेक पूजन वस्तुओं की आवश्यकता समय-समय पर होती है। उन्हें पूर्व में ही एकत्रित करके रख लेना चहिए।
10. दुर्गा आराधना के समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।
11. आप किसी भी देवी की आराधना करते हो नवरात्र में व्रत अवश्य करना चाहिए।
12. घर में शक्ति की तीन मूर्तियां वर्जित हैं अर्थात् घर या पूजाघर में देवी की तीन मूर्तियां नहीं होनी चाहिए।
13. देवी की जिस स्वरूप की आराधना आप कर रहे हों उनके स्वरूप का ध्यान मन ही मन करते रहना चाहिए।
14. दुर्गा के पूजन के लिए पुष्प एवं पुष्प माला, रोली, चंदन, नैवेद्य, फल, दूर्वा, तुलसी दल लेने चाहिए।
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