इस साल 18 अप्रैल को पड़ने वाली अक्षय तृतीया को लोग अखा तीज के नाम से भी जानते हैं। हिंदू धर्म में इसे सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन लोग नई वस्तुएं खरीदते हैं तथा नए कार्यों का शुभारंभ भी करते हैं। कोई भी शुभ कार्य करने के लिए अक्षय तृतीया के दिन का खास महत्व होता है। लेकिन क्यों ये दिन इतना खास है? आइए जानते हैं इस तिथि से जुड़ी कुछ धार्मिक मान्यताएं…
- यह दिन सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु जी को समर्पित है। मान्यता है कि इसी तिथि पर विष्णु भगवान ने परशुराम के रूप में धरती पर 6ठा अवतार लिया था। इसलिए इस दिन लोग परशुराम जयंती भी मनाते हैं।
- धन की देवी कही जाने वाली माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं इसलिए दक्षिण भारत में इस दिन लक्ष्मी माँ की पूजा का विधान है।
- मान्यता है कि भारतीय काल गणना के सिद्धांत से अक्षय तृतीया के दिन से ही त्रेता युग शुरू हुआ था इसीलिए इस दिन को सर्वसिद्ध तिथि के रूप में भी जाना जाता है। लोगों का मानना है कि इस दिन सोना खरीदने से घर में समृद्धि आती है।
- अक्षय तृतीया के दिन ही अन्न की देवी माँ अन्नपूर्णा का जन्मदिवस भी मनाया जाता है। इस दिन किचन की साफ-सफाई करके स्वादिष्ट पकवानों का भोग देवी अन्नपूर्णा को लगाकर उनकी पूजा की जाती है।
- महाभारत की कथा के अनुसार, जिस दिन दु:शासन ने द्रौपदी का चीर हरण किया था, उस दिन अक्षय तृतीया तिथि ही थी। द्रौपदी की लाज बचाने के लिए उस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय चीर प्रदान किया था।
- कहते है कि युधिष्ठिर को अक्षय पात्र की प्राप्ति भी अक्षय तृतीया पर हुई थी। और उसकी खूबी यह थी कि पात्र में रखा भोजन कभी समाप्त नहीं होता था। युधिष्ठिर अपने राज्य के गरीब और भूखे लोगों को इसी पात्र की सहायता से भोजन उपलब्ध कराते थे।
नाम के पीछे का रहस्य
वैसे तो दान करने का कोई शुभ समय नहीं होता है, लेकिन कहते हैं इस दिन किए गए दान का फल अक्षय होता है यानि जो कभी नष्ट न हो। मान्यता है की इस दिन किए गए दान का कई गुना फल मिलता है।
