बच्चे को लेकर ओवर प्रोटेक्टिव होने के हैं 5 गंभीर नुकसान: Parenting Mistakes
Parenting Mistakes

बच्चे का भविष्य ख़राब कर सकती हैं ओवरप्रोटेक्टिव माता पिता की ये 5 आदतें

अगर आप भी अपने बच्चों की परवरिश इस तरह से कर रहे हैं तो यकीन मानिये बचपन के साथ साथ आप बच्चे का भविष्य भी खतरे में डाल रहे हैं।

Parenting Mistakes: बच्चों को असफल होने से बचाना, हर गतिविधि पर नज़र रखना, बार बार टोकना, जिम्मेदारियों का एहसास ना कारन ये सभी ओवरप्रोटेक्टिव पेरेंटिंग के गंभीर लक्षण हैं। अगर आप भी अपने बच्चों की परवरिश इस तरह से कर रहे हैं तो यकीन मानिये बचपन के साथ साथ आप बच्चे का भविष्य भी खतरे में डाल रहे हैं। अभी आपको इस बात का एहसास नहीं हो रहा होगा लेकिन जब तक आप ये सब समझ पाएंगे आपका बच्चा पहले से ही परेशानी में पड़ चुका होगा, और उस समय उसे वहां से निकाल पाना और उसका मनोबल बढ़ाना बेहद मुश्किल काम होगा।

आइये जानते हैं पेरेंट्स किन गलतियों को दोहराकर बच्चों के लिए ओवरप्रोटेक्टिव होते चले जाते हैं।

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Parenting Mistakes
Build confidence of your kids

बार बार बच्चे को टोकने पर उसके मन में हीं भावना बैठ जाती है।  बच्चे आत्मविश्वास खो बैठते हैं। धीरे धीरे बड़े होने पर जब उन्हें अपने फैसले खुद लेने पड़ते हैं ऐसे में वो समझ ही नहीं पाते हैं वो सही फैसला कर रहे हैं या गलत। बच्चे का प्रोजेक्ट कठिन हैं सोच कर आप उसे पूरा करने ना बैठे, बल्कि उसके साथ बैठ कर थोड़ी मदद करें और उसका मनोबल बढ़ाएं, जैसा भी हो  पाए बच्चे को ही उसका काम करने के लिए प्रेरित करें।

Make them socially active
Make them socially active

माता पिता के ज्यादा ओवरप्रोटेक्टीव होने पर बच्चे के आस पास एक सुरक्षा रेखा सी बन जाती हैं जिससे बाहर निकलने की कोशिश बच्चा कभी नहीं करना चाहता हैं। वो हर समय बस अपने माता पिता के आस पास ही रहना चाहता हैं। घर में आने वाले मेहमान, पडोसी , रिश्तेदार या कोई हमउम्र बच्चा भी आपके बच्चे के करीब नहीं आ पाता हैं। इस तरह बच्चा दुनिया और समाज से कटा कटा महसूस करने लगता हैं। उसके बचपन के साथ साथ आगे का जीवन भी काफी कठिनाई से भरने लगता हैं।

overprotective kids

किसी भी तरह का फैसला कोई इंसान तब ले पाता हैं जब उसमे आत्मविश्वास हो। ओवरप्रोटेक्टिव माता पिता जाने अनजाने में अपने बच्चे का आत्मविश्वास छीन चुके होते हैं। बच्चा किसी भी तरह का फैसला नहीं ले पाता हैं, हर छोटी छोटी बात में उसे माता पिता की ही कमी खेलने लगती हैं। अगर आप वाकई अपने बच्चे से प्यार करते हैं तो उसे अपने फैसले खुद लेने दें और ओवरप्रोटेक्टिव होने से बचें।

Communication is must
Communication is must

जब माता पिता बच्चों पर बहुत सख्ती करने लगते हैं तो बच्चे अपने मन की बातें उनके साथ साथ किसी और से भी साझा करना बंद कर देते हैं। मन की बात मन में ही रह जाने से बच्चे गुस्सैल और चिड़चिड़े बन जाते हैं। छोटी छोटी बातों पर नाराज हो जाना और हाथ चलन उनकी आदत बन जाता हैं। जब तक आप अपने मन की बात कसी से नहीं शेयर करते हैं तब आपका मन भी बेचैन रहता हैं ठीक इसी तरह बच्चों के बारे में सोचें और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएं।

बार बार टोके जाने पर बच्चे अपनी हर बात और फैसले को गलत मानने लगते हैं। इस तरह धीरे धीरे बच्चा मानसिक अवसाद से घिर जाता हैं। बचपन से ही इस तरह की परेशानी अपने बच्चे को ना सहने दें। समझदार और कद्र करने वाले माता पिता बने ओवरप्रोटेक्टिव होकर बच्चे का वर्तमान और भविष्य ख़राब ना करें।