निवेश के  लिए घर बेचना, फिर घाटा होते देख 70 कर्मचारियों को घटाकर 10 कर देना। ऐसी तमाम दिक्कतें आईं लेकिन गुप्ता दंपती ने हार नहीं मानीं और 10 लाख के निवेश से आज करोड़ों के टर्नओवर वाली कंपनी खड़ी कर दी। हम बात कर रहे हैं हैंडमेड आइटम के लिए जानी जाने वाली कम्पनी क्राफ्ट्सविला की, जिसने कई कारीगरों को रोजगार और मेहनत की असली कमाई देना शुरू किया।

ऐसे हुई शुरुआत 
जिस क्राफ्ट्सविला से आप बड़े ही आसानी से कपड़े और तमाम चीजें खरीदते हैं, उसे खड़ा करना इतना आसान नहीं था, दरअसल इसके पीछे लाखों का निवेश और पति पत्नी का संघर्ष शामिल है। क्राफ्ट्सविला ऐसी शॉपिंग साइट है, जहां आपको हाथ से बनें कपड़े और चीजें मिलती हैं। इसकी शुरुआत 2011 में मनोज और मोनिका ने की थी। दरअसल मोनिका ने आर्टिसन्स के साथ 3 साल लगातार काम किया था और उनके कामों को नजदीक से समझा था, इसी के बाद उन्होंने हाथ से बने आइटम में स्टार्ट अप की सोची। US से अकाउंट्स की पढ़ाई करने वाली मोनिका चार्टर्ड अकाउंटेंट हुआ करती थीं लेकिन उन्हें ये नौकरी रास नहीं आई। इसके बाद वो राजस्थान, गुजरात जैसे शहरों में घूमीं और वहां इन कारीगरों का काम देखा।  उन्होंने उनकी दिक्कतों को भी समझा और उनको विश्नवास दिलवाया कि वो उनके लिए कुछ करेंगी और काम की सही कीमत दिलवाएंगी। इस दौरान उन्होंने कई संस्थाओं से भी बात की।  सहज, साधना जैसी संस्थाओं से संपर्क में आईं और यहीं से क्राफ्ट्सविला की नींव रखी गयी।

ऐसे है कम्पनी अलग 
मोनिका की मानें तो उन्हें इस साल 1.5 करोड़ का फायदा हुआ जो आने वाले साल में बढ़ेगा। इस वक़्त पूरे देश में 35000 से कारीगर क्राफ्ट्सविला से  जुड़ा हुआ है और अपनी सेवाएं दे रहे हैं। खास बात ये है कि अब कंपनी अब खुद प्रोडक्ट्स पर डिस्काउंट नहीं करती बल्कि अब उसे बनाने वाले कारीगर ही डिस्काउंट की कीमत तय करते हैं। कच्छ के इनकी इस कंपनी में बहुत बड़ा योगदान है, दरअसल, इसी शहर ने उन्हें कुछ करने की दिलचस्पी जगाई। कच्छ में लगभ हर घर में कोई न कोई क्राफ्ट के कामों में लिप्त था। यहीं पर दोनों को आईडिया आया की इस फील्ड में कुछ न कुछ क्रिएटिव जरूर करना है. इस दौरान एक समय ऐसा भी आया था कि उन्हें अपना घर तक बेचना पड़ा।

चुनौतियाँ आयीं हजार 
शुरुआत में कंपनी खड़ा करने में दोनों को बहुत दिक्क्तों का सामना करना पड़ा। निवेश के लिए एक वक़्त ऐसा आया, जजब उन्हें अपना घर तक बेचना पड़ा। इसके अलावा शुरुआत में कारीगरों में विश्वास जताने में काफी वक़्त लगा।

2500 करोड़ रुपए के रेवेन्यू का लक्ष्य 
क्राफ्ट्सविला ऑनलाइन शॉपिंग साइट है, जहां आपको साड़ी, सलवार सूट, लहंगा, ज्वेलरी से लेकर होम डेकोर और दूसरे एथनिक प्रोडक्ट्स भी मिल जाएंगे, खास बात ये है कि यहाँ हैंड मेड प्रोडक्ट्स मिलते हैं, जिनमें कारीगरों की मेहनत लगी होती है। यहाँ 3.5 मिलियन प्रोडक्ट्स शामिल हैं। यहाँ न सिर्फ ग्राहक संतुष्ट होते हैं बल्कि कारीगरों को भी उनके काम और मेहनत की सही कीमत मिलती है। इसने गुजरात और कच्छ जैसे शहरों के इन छोटे कारीगरों को नई पहचान दी है। देश के साथ साथ विदेशी मार्केट में भी यह अपनी पहचान बना चुका है। इस वक़्त न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया में सक्रीय है। बहुत जल्द इंडियन यूनिकॉर्न स्टार्टअप क्लब में शामिल होने जा रहा है और इसका लक्ष्य 2500 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जुटाने की है।