नवजात शिशु की देखभाल के लिए मां को पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है। बच्चे के जन्म के बाद से ही मां की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। शिशु का सही लालन-पालन होगा तो विकास भी सही तरीके से होगा, लेकिन बच्चे के जन्म से लेकर उसके विकास तक कई सारे मिथ्स फैले हुए हैं। अक्सर नई माताएं बिना किसी चिकित्सीय सलाह के इन मिथकों को सच मान बैठती हैं, जिससे बच्चे की देखभाल प्रभावित होती है। इन्हीं मिथ व फैक्ट्स के बारे में विस्तार से बता रहे हैं मैक्स हॉस्पिटल से जुड़े वरिष्ठ सलाहकार पैडीट्रीशियन (बाल रोग विशेषज्ञ) डॉक्टर राजीव रंजन।

1. मिथ: बच्चे के जन्म के बाद सबसे पहले मां का दूध नहीं देना चाहिए, बल्कि पहला दूध फेंक देना चाहिए। फिर पिलाएं।
फैक्ट: वास्तव में सबसे पहले मां का दूध पीले रंग का और पतला होता है। इस पदार्थ को ‘कोलस्ट्रम’ कहा जाता है और यह बहुत ही पौष्टिक होता है। यह शिशु को रोग प्रतिरोधक शक्ति प्रदान करता है। अत: इसे फेंकना नहीं, वरन जरूर पिलाना चाहिए।
2. मिथ: मां का दूध बच्चे के पैदा होने के बाद तुरंत पिलाना ठीक रहता है।
फैक्ट: सामान्य डिलीवरी होने पर शिशु को मां का दूध दो घंटे बाद पिलाना चाहिए और सिजेरियन होने पर चार घंटे बाद।
3. मिथ: ऐसा मानना है कि बच्चे को काजल लगाना चाहिए, ताकि उसे बुरी नजर से बचाया जा सके और इससे आंखें बड़ी हो जाती हैं।
फैक्ट: नवजात शिशु को काजल नहीं लगाना चाहिए। इसके लगाने से आंखें बड़ी नहीं होती हैं। काजल एक जला हुआ तत्व है, जो आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है।

4. मिथ: बच्चों के सिर पर एक पपड़ी जमी होती है और कहा जाता है कि जितना तेल लगाया जाए, वह उतनी जल्दी ठीक होती है।
फैक्ट: शिशु के सिर पर जो पपड़ी जमी होती है, उसे ‘क्रेडल कैप’ कहते हैं। इसमें तेल नहीं लगाना चाहिए। इससे फंगल इंफेक्शन हो जाता है। इसके लिए एक विशेष प्रकार का शैम्पू आता है। उसे लगाकर सिर धोना चाहिए। यदि तेल लगाएं भी तो कुछ देर बाद ही सिर धो दें।
5. मिथ: बच्चे की मालिश करना जरूरी है। इससे उसके हाथ-पैर खुलते हैं।
फैक्ट: मालिश करने में कोई बुराई नहीं है। मालिश की जा सकती है, पर सही तरीके से।
6. मिथ: मालिश के दौरान कान में भी तेल की कुछ बूंदें डाली जाती हैं।
फैक्ट: कान में तेल नहीं डालना चाहिए, क्योंकि कान की नसें अंदर से ब्रेन से जुड़ी होती हैं और तेल बाहर नहीं आता है। अत: धूल-मिट्टी आदि जाने से कान का संक्रमण हो सकता है। इससे बहरापन तक आ जाता है। यहां तक कि मेननजाइटिस भी हो जाता है।
7. मिथ: बच्चे को उबटन लगाने से बड़े होने पर शरीर पर बाल कम आते हैं, विशेष रूप से लड़कियों के।
फैक्ट: उबटन लगाने में कोई बुराई नहीं है, पर सही तरीके से।
8. मिथ: बच्चे के रंग के बारे में अक्सर मांएं परेशान हो जाती हैं कि पैदा तो गोरा हुआ था, पर काला हो गया।
फैक्ट: शिशु का रंग बदलता रहता है। अत: परेशान होने की जरूरत नहीं है।
9. मिथ: बच्चे के रोते ही दूध पिलाना सही है।
फैक्ट: ध्यान रखें कि शिशु तीन चीजों के लिए रोता है। पहला शू-शू, पॉटी होने पर, दूसरा पेट में गैस बनने पर और तीसरा भूख लगने पर। चार महीने तक बच्चे को
गैस बहुत बनती है। अत: दूध पिलाने वाली मां को चाहिए कि वह भी हल्का भोजन करे।
10. मिथ: यह मान्यता है कि शिशु के पैदा होने के एक माह तक मां और नवजात को कमरे में ही रखना चाहिए।
फैक्ट: एक हवादार कमरा मां और बच्चे के लिए अच्छा होता है। दरअसल मां और शिशु दोनों को कुछ ताजी हवा और धूप की जरूरत होती है।
11. मिथ: शिशु के दांत आते वक्त मुंह में टीथर डाल दिया जाता है या शहद से मसूड़ों की मालिश की जाती है। यह सही है।
फैक्ट: कुछ टीथर ह्रश्वलास्टिक से बने होते हैं, जो शिशुओं के लिए बहुत ही हानिकारक और अस्वच्छ होते हैं। इनसे संक्रमण होने की संभावना होती है। इसकी बजाय शहद से मसूड़ों की मालिश की जा सकती है।
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