vikram aur betaal ki hindi story
vikram aur betaal

Vikram or Betaal Story in Hindi : राजा विक्रम हमेशा की तरह शव को कंधे पर लादे, चुपचाप चल दिया। बेताल ने उसका ध्यान तोड़ते हुए कहा :- “विक्रम! शमशान तो अभी बहुत दूर है। तुम अपनी थकान मिटाने और समय बिताने के लिए मेरी एक और कहानी सुनो। यह कहकर बेताल ने एक कहानी शुरू की :

देवाशीष नामक एक धोबी था। एक बार उसने नदी के किनारे एक खूबसूरत युवती को पानी भरते देखा। वह इतनी सुंदर थी कि उसे देखते ही वह मोहित हो गया।

उसने पास जाकर युवती का नाम पता पूछा, तो वह बोली “मेरा नाम मधु सुंदरी है। मैं पड़ोसी गांव के ब्राह्मण की पुत्री हूं।”

देवाशीष मधुसुंदरी से विवाह के सुंदर सपने बुनते-बुनते घर लौट आया। उसने अपने माता-पिता से कहा कि वे मधुसुंदरी के घर विवाह का प्रस्ताव लेकर जाएं। मधुसुंदरी के माता-पिता भी खुशी-खुशी इस विवाह के लिए मान गए।

जल्दी ही, दोनों का विवाह हुआ और वे प्रसन्नता पूर्वक रहने लगे। कुछ दिन बाद, मधुसुंदरी का भाई अपनी बहन व जीजा को साथ लेने के लिए आया। वह चाहता था कि वे दशहरे की छुट्टियां उसके यहां बिताए देवाशीष। ने उसका निमंत्रण मान लिया। अगले दिन, वे तीनों मधुसुंदरी के मायके के लिए रवाना हुए।

vikram aur betaal ki hindi story
vikram aur betaal

राह में मां दुर्गा का एक मंदिर आया। भाई मां के दर्शनों के लिए जाना चाहता था इसलिए वह मंदिर में चला गया। वहां उसने मां के सामने भेंट चढ़ाने के लिए अपना सिर ही काट दिया। मधुसुंदरी ने काफी देर तक भाई का इंतजार किया। जब वह नहीं लौटा, तो वह चिंतित हो उठी। उसने अपने पति को देखने के लिए भेजा। देवाशीष मंदिर में पहुंचा, तो उसने देखा कि साले का कटा सिर देवी के चरणों में था और धड़ भी पास ही खून से लथपथ पड़ा था। उसी क्षण, उसने भी तय कर लिया कि वह भी स्वयं को मां के चरणों में बलि चढ़ा देगा। उसने भी अपना सिर काटकर, मां दुर्गा के चरणों में भेंट कर दिया।

vikram aur betaal ki hindi story
vikram aur betaal

काफी इंतजार के बाद मधुसुंदरी भी पति व भाई की खोज में मंदिर पहुंची। वे उन दोनों के कटे सिर देख, जड़ हो गई।

उसने तय किया कि वह भी अपने प्राण त्याग देगी, किंतु यह कदम उठाने से पहले उसने देवी मां से प्रार्थना की कि अगले जन्म में भी उसे वही भाई और पति मिलें।

मां दुर्गा उसके स्नेह व भक्ति से प्रसन्न हुईं व उसे बलि देने से रोक लिया। उन्होंने मधुसुंदरी को आशीर्वाद देते हुए कहा :- “मैं तुम्हारी भक्ति और बलिदान की भावना से बेहद प्रसन्न हूं। मैं तुम्हारे भाई और पति को जीवनदान देती हूं। जाओ उनके सिरों को धड़ों से जोड़ दो।”

vikram aur betaal ki hindi story
vikram aur betaal

मां दुर्गा को धन्यवाद देकर, मधुसुंदरी झट-से उठी व पति तथा भाई के शरीरों से कटे सिर जोड़ दिए। मां दुर्गा की कृपा से, वे दोनों भले चंगे होकर उठ बैठे व मुस्कराने लगे, किंतु मधुसुंदरी को उसी पल, अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने हड़बड़ाहट में पति के शरीर पर भाई का व भाई के शरीर पर पति का सिर जोड़ दिया था। उसने देवी से इस भूल सुधार की विनती की, किंतु अब बहुत देर हो चुकी थी। मां दुर्गा ने कहा :- “नहीं, अब इनके सिर बदलना संभव नहीं है।”

vikram aur betaal ki hindi story
vikram aur betaal

बेताल ने कहानी समाप्त कर, राजा विक्रम से पूछा :- “विक्रम! बता, मधुसुंदरी को अपना पति किसे मानना चाहिए?”

विक्रम ने पल-भर सोच कर उत्तर दिया :- “जिस शरीर पर उसके पति का सिर है, वही उसका असली पति है। मेरे हिसाब से सिर ही मनुष्य के शरीर का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है व बाकी शरीर भी सिर से ही पहचाना जाता है।”

ज्यों ही विक्रम ने प्रश्न का उत्तर समाप्त किया, बेताल फिर से पीपल के वृक्ष की ओर उड़ चला।

vikram aur betaal ki hindi story
vikram aur betaal