shabd kee mahima
shabd kee mahima

एक बार स्वामी विवेकानंद जी एक सत्संग में भगवान के नाम का महत्व बता रहे थे। एक व्यक्ति ने कहा- “शब्दों में क्या रखा है, उन्हें रटने से क्या लाभ!” स्वामी विवेकानंद ने उन्हें उत्तर में अपशब्द कहे। मूर्ख, जाहिल आदि कहा।

इस पर वह व्यक्ति आग-बबूला हो गया और चिल्लाते हुए कहा ‘आप जैसे संन्यासी के मुँह से ऐसे शब्द शोभा नहीं देते।’ ऐसे शब्द सुनकर मुझे बहुत चोट लगी।

स्वामी विवेकानंद ने हंसते हुए कहा- “भाई, ये तो” शब्द मात्र थे, शब्दों में क्या रखा है! मैंने कोई पत्थर तो नहीं मारा!

सुनने वालों को समाधान हो गया। शब्द जब क्रोध उत्पन्न कर सकते हैं, तो प्रेम भाव भी उत्पन्न कर सकते हैं!

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)