Shaant Swabhav
Shaant Swabhav

Hindi Kahani: अचानक आधी रात को मेरी नींद खुल गयी ।
शायद बहुत तेज़ भूख लगी थी और प्यास भी۔۔۔तभी उठने की कोशिश की तो उठा नहीं गया। रात कुछ ज्यादा ही शराब पी ली थी।
अपने आप को सम्भालते हुए याद आया कि पानी तो बेड के पास ही पड़ा होता है। मेरी पत्नी अनु की आदत थी कि रात सोने से पहले हर काम को पूरा करते हुए.. मेरे बिस्तर के पास पानी की बोतल और गिलास रखने देती है ।।
  यही सोच कर बोतल उठाने की कोशिश की तो वो भी आज खाली। हर बार की तरह मुँह से शराब की बदबू के साथ गालियां भी आ गयी और तभी रोसाई घर से अनु हमेशा की तरह मेरे से गालियाँ खा कर भी मुस्कराते हुए बोली,
“अरे आप उठ गए ?”
चलो,अब उठ गए हो तो खाना खा ले।
उसको देख मैं भी गालियों को अपने अंदर ही रोक कर, सिगरेट  सुलगाते हुए अनु को देखकर सोचने लगा ।।
 ये किस मिट्टी की बनी है और इसको गुस्सा क्यों नहीं आता।ये भी नहीं कि ये पढ़ी-लिखी नहीं या समझदार नहीं है।
सबसे बड़ी बात कि बदसूरत भी नहीं है बल्कि हर खूबी की मालिक है और तो और इसका स्वभाव  शांत है या यूं कंहू हद से ज्यादा शांत है।
मेरे को याद है जब हमारी शादी हुई थी, तब हम दोनों ने वादा किया था कि एकदूसरे का साथ देते हुए और दोनों के परिवार को अपना  समझते हुए अपने  इस पवित्र रिश्ते को निभाएगें।
मैं अनु के परिवार वालो से रिश्ते तो निभाता.. पर उसके लिये अनु को बहुत बार मेरे से गालियाँ खानी पड़ती, लेकिन अनु पूरी ईमानदारी से मेरे परिवारवालों के साथ अच्छे से रिश्ता निभाती रही थी।।
          यहां तक मेरे गुस्सैल  और शक्की स्वभाव के आगे कभी उफ तक ना की۔۔क्योंकि अनु का स्वभाव ही ऐसा था ।इनदिनों मैं कुछ ज्यादा ही शराब और सिगरेट पीने लगा था।
सुबह की पहली किरण के साथ जब अनु उठ कर पूजा-पाठ करती तो साथ ही चाय रख जाती। तभी अनु के चेहरे से ही पता चल जाता कि रात को मैंने कितनी गाली-गलौच की है।
जब कभी अनु सुबह चाय के साथ कोई बात करती तो मैं खुद से ही समझ जाता कि पक्का रात को मैं सो गया था। तभी ये बात कर रही है।।
            अरे! ये क्या अनु को देखकर मैं सोचने लगा हूं और ये है कि अपनी रोसाई को समेट रही है।
ये नहीं कि मेरी पानी की बोतल को भर दे और खाना लगा दे।
इससे पहले मैं गाली दे कर बुलाता तभी नजर गयी कि खाना तो सामने पड़ा है।
ये कब छोड़ कर गयी सोच ही रहा था कि फिर से अनु की तरफ ध्यान चला गया।
मेरी पीने की आदत के कारण अनु रात को अच्छी नींद भी ना ले पाती।
जब कभी मैंने शराब नहीं पी होती तब  वो देर से सोकर भी जल्दी उठती, फिर मेरे पुछने पर कि अभी और सोयी क्यों नही ?
तब  बस मुस्करा देती।


एकबार बातो-बातों में उसके परिवार से ही पता चला था कि वो मेरे से डरती है ।
    कभी -कभी अनु को देख सोचता हूं कि ये कहां से मिल गयी और इस बात का यकीन मेरी अम्मा को भी नहीं था ।अम्मा अक्सर मेरे को कहती कि देख बेटा ये लड़की तेरा कितना ख्याल रखती है, फिर भी  तू क्यों इतनी कड़वी जुबान से बात करता है और अगर ये छोड़ कर चली गयी तो सोच तेरा क्या होगा ।जब तक अम्मा साथ रही अनु को अच्छे से अम्मा का साथ मिल जाता और अब सिवा मेरी गालियों के कुछ ना मिलता ।।
  तभी हाथ पर जलती सिगरेट से जलन हुई और मैं एकदम अपनी सोच से बाहर आ अनु को देखने लगा। ये क्या कर रही है ।आज ये कभी रोसाई में बर्तन साफ करती हुई तो कभी कमरे में घुले कपड़ों को तह करती हुई दिखाई दे रही है।।
उसको इधर से उधर काम करता देख एक बार के लिये मन मे आया कि मैं तो अच्छी-खासी नौकरी में हूँ तो भी इसको काम के लिए किसी मैड का प्रबंध नहीं करके दिया और ना ही उसने कभी कहा।।
            इतना सब सोचते-सोचते मेरा सर चकरा रहा था और न जाने आज क्यों अनु को देख बहुत सी बातें आ रही है खुद से ही समझ नही पा रहा था। अभी तो मेरी आवाज़ कांपने भी लगी थी और उसका डर मेरे को दिखता तो था।  फिर क्यों उसे और डराने के लिए गंदी गलियां दे कर बुलाता था ।
                अनु से ध्यान हटा खुद पर जोर दिया तो याद आया।
मैं पुरुष हूँ और ये पुरुष प्रधान देश है। तभी तो खुद गलती कर भी मैं अनु को बोलने का मौका नही देता।
हुआ यूं कि कुछ साल पहले पता नहीं कैसे अपने साथ काम करने वाली महिला -मित्र से सम्बन्ध बना लिए और ये सिलसिला काफी समय चलता भी रहा ।।
        एक दिन अनु को पता भी चल गया और  सबसे बड़ी बात ये हुई कि जिस महिला से रिश्ता बना वो अब पैसो की खातिर मेरे को छोड़ किसी और के साथ समय बीताने लगी… यहां तक कि मेरे से रिश्ता तोड़ कर जाते-जाते हमारे आत्मीयता की सब बातें  मेरी पत्नी अनु को बता गयी ।।
           जैसे ही अनु को पता चला तब मेरे को लगा कि मेरे पर चिल्लाएगी या घर छोड़ मायके चली जाएगी पर ऐसा ना हुआ।।
 अनु ने शांत मन से मुझसे कहा,
” इंसान है सो गलती हो जाती है”
 ऐसा बोलकर फिर पहले से भी ज्यादा शांत हो गयीं।
मैं पुरुष हूँ न, अपनी गलती मानने की बजाय उसकी शांत स्वभाव को ही कमजोरी मान कर, अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए उसकी गलतियों को ढूंढने लगा ।
                     फिर एक दिन वही हुआ जो नहीं होना चाहिए था। जैसे ही अनु को गालियों की बौछार के साथ… हर बार की तरह उसपर हाथ उठाया, तभी मेरी दोनों बेटियों ने आ कर मुझको रोका और अपनी माँ का साथ देते हुए, खूब कड़वे शब्दों के साथ मेरी बोलती बंद कर दी और मै नशे में घुत्त हो कर भी पूरे होश में आ गया ।।
               फिर से हाथ जोड़ते हुए अनु ने मेरे को सोने को कहा,
मैं फिर गलियों के साथ बुरा बोलते हुए अनु को जोर से धक्का मार दिया और खुद भी नीचे गिर गया।।
         अरे, क्या हो रहा है और क्यों अनु के लिये सोच रहा हु और ये क्यों इधर से उधर रोसाई से कमरे की तरफ आ जा रही है।
अनु ओ अनु, और जोर से चीखते हुए …
“अनु क्या तुम्हें सुनाई नहीं देता, मैं कब से आवाज लगा रहा हूं” और जब मेरी बात पर कोई जवाब ना दिया तो, एक बार फिर से  गंदी गालियों के साथ आवाज लगाई ।।
              मेरी तीखी और  कड़क आवाज को सुन मेरे साथ वाले कमरे में रहने वाले किरायेदार आकर  बोले, क्यों चीख-चिल्हाट कर रहे हो और क्या चुप कर बैठा नहीं जाता..बिना मतलब से घर को नरक बना दिया है।
उसकी बातों से नशे से भरी अपनी आंखों को खोल अनु को देखने  का प्रयास करने लगा कि ये कहा गयी, पर वो नहीं थी ।
           तंभी सामने दीवार पर लगी उसकी तस्वीर देखकर याद आया कि मेरे उसदिन धक्का देने पर वो हमेशा के लिये अपने स्वभाव की तरह शांत हो गयी थी और बेटियां अपनी मासी घर चली गयी थी।
आज पहली बार अनु के शांत स्वभाव के आगे मेरा मन भी बहुत शांत से महसूस होने लगा पर अब इस शांत से हुई शांति में मेरा  दम घुटने लगा