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Hindi Story: डॉक्टर ने हैरान होते हुए खड़क सिंह से पूछा कि मैं अभी तक समझ नहीं पा रहा कि एक साथ तुम्हारे तीन दांत कैसे टूट गये? खड़क सिंह ने बताया कि आज मेरी बीवी ने खुश होकर मेरे लिये हलवा बनाया था। हलवा थोड़ा कड़क बन गया था, बस उसी हलवे को खाने से मेरे तीन दांत टूट गये। डॉक्टर ने कहा कि यदि हलवा इतना ही कड़क बना था तो तुमने उसे खाने से मना क्यूं नहीं कर दिया। खड़क सिंह ने सहमी-सी आवाज में कहा- ‘डॉक्टर साहब, आप भी कमाल करते हैं, हलवे को खाने से मना करके मैंने क्या अपने 32 के 32 दांत तुड़वाने थे।’

डॉक्टर ने हैरान होते हुए खड़क सिंह से कहा कि मैंने यह तो सुन रखा था कि कनाडा और इंग्लैंड में शादी के बाद कई बरसों तक भी पति-पत्नी एक दूसरे को ठीक से समझ नहीं पाते। खड़क सिंह ने गहरी सांस लेते हुए कहा- ‘अंग्रेजों के देश में ही क्यूं हमारे देश में भी ऐसा ही होता है। मुझे लगता है कि आपकी अभी तक शादी नहीं हुई, क्योंकि हर शादीशुदा व्यक्ति यह अच्छी तरह से जानता है कि शादी का दूसरा नाम ही जिंदगी से समझौता है। न चाहते हुए भी शादीशुदा व्यक्ति को बहुत से ऐसे काम करने पड़ते हैं जो सिर्फ उसके पार्टनर को अच्छे लगते हैं, फिर चाहे उस काम में आपकी कोई रुचि हो या नहीं। हर किसी को जीवन की गाड़ी शांतिमय तरीके से चलाने के लिए कहीं न कहीं हालात से समझौता करना ही पड़ता है, अब चाहे वो आपका घर हो या दफ्तर। एक शायर ने तो यहां तक कहा है कि हर किसी को पूरा जहान नहीं मिलता, किसी को जमीन नहीं मिलती तो किसी को आसमान नहीं मिलता।’

रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर बात चाहे खाने-पीने की हो या कठिन हालात में जीने की, असैनिक लोगों के मुकाबले सैनिकों को जिंदा रहने के लिए हर प्रकार की नाजुक स्थितियों से रोजमर्रा के जीवन में अधिक समझौता करना पड़ता है। खड़क सिंह ने अपना सारा जीवन देश की सैन्य सेवा को समर्पित करके कुछ अरसा पहले कारगिल युद्ध के बाद सेवानिवृत्ति लेकर अपने घर वापिस आ गया। सेना में नौकरी के दौरान फौजी कुत्तों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी निभाते हुए उसे कुत्तों से बेहद प्यार हो गया था। सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद वो हर समय अपने आप को अकेला सा महसूस करने लगा था।

कुत्तों के प्रति इसी आकर्षण के कारण वो अपने लिए एक अच्छा-सा कुत्ता खरीदने के लिए अपने इलाके के मशहूर जानवरों के डाक्टर के पास पहुंचा जो कुत्तों का इलाज करने के साथ उनको खरीदता और बेचता भी था। खड़क सिंह ने वहां बहुत सारे सुन्दर और अच्छी नस्ल के कुत्ते देखे, लेकिन वो सभी बहुत ही महंगे थे। इतनी अधिक कीमत सुनने के बाद फौजी खड़क सिंह को लगा कि यहां से कोई भी कुत्ता खरीदना उसकी हैसियत में नहीं है। जब निराश होकर खड़क सिंह दुकान से बाहर जाने लगा तो उसकी नजर उसी दुकान के एक कोने में लेटे हुए सुस्त से कुत्ते पर पड़ी। खड़क सिंह ने उस कुत्ते की कीमत पूछी तो दुकानदार ने कहा कि उसको लेकर क्या करोगे? वो तो बहुत बीमार और एक पैर से लंगड़ा भी है। खड़क सिंह ने कहा कि तुम वो सब छोड़ो, यह बताओ कि तुम वो कुत्ता कितने में बेचोगे? दुकानदार ने कहा- ‘अगर वो तुम्हें इतना ही पसंद है तो तुम जो भी ठीक समझो वो कीमत दे दो, क्योंकि मुझे तो उसकी बीमारी पर काफी पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि न तो वो तुम्हारे साथ ज्यादा खेल पायेगा और न ही दौड़ भाग कर सकेगा, क्योंकि उसकी एक टांग बिल्कुल खराब है जिससे वो लंगड़ा कर मुश्किल से धीरे-धीरे ही चल पाता है।’

खड़क सिंह कुछ पल के लिये गहरी सोच में डूब गया। दुकानदार ने कहा कि मुझे पहले से ही मालूम था कि लंगड़ा कुत्ता जो ठीक से चल-फिर और भाग नहीं सकता, उसे कोई नहीं खरीदेगा? खड़क सिंह ने कहा- ‘यह बात नहीं है, मुझे तो कुछ इसी प्रकार का कुत्ता ही चाहिए। लेकिन आज मेरे पास पैसे कुछ कम है।’ दुकानदार ने कहा- ‘तुम कुत्ते को ले जाओ बाकी के पैसे बाद में भिजवा देना। लेकिन इसको ले जाने से पहले मुझे एक बात बताओ कि तुम इतने अच्छी नस्ल के कुत्तों को छोड़ कर इस बीमार और लंगड़े कुत्ते को ही क्यूं खरीद रहे हो?’ बार-बार लंगड़ा शब्द खड़क सिंह को गाली की तरह सीने में चुभ रहा था। उसने अपनी पैन्ट का एक हिस्सा ऊपर उठा कर उस दुकानदार को दिखाते हुए कहा कि यह देखो मैं भी एक टांग से लंगड़ा हूं। मेरी भी एक टांग दुश्मन के साथ युद्ध में गोली लगने से कट गई थी। मेरी यह नकली टांग लकड़ी की बनी हुई है। तुम शायद यह नहीं जानते कि किसी भी चीज को समझने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है, किन्तु उसे महसूस करने के लिए अनुभव की आवश्यकता होती है।

जब तक खुद को दर्द नहीं होता, हम लोग किसी दूसरे का दर्द नहीं समझ सकते। मैं बहुत समय से ऐसे ही कुत्ते की तलाश कर रहा था, जो मेरी जिंदगी के साथ समझौता कर सके और मेरी तरह मेरे साथ धीरे-धीरे ही चले। अब अगर यह मेरे साथ रहेगा तो हम दोनों एक-दूसरे की पीड़ा और तकलीफ को अच्छी तरह से समझते हुए एक-दूसरे का साथ अच्छी तरह से निभा पायेंगे। खड़क सिंह जब वो कुत्ता वहां से लेकर जाने लगा तो डॉक्टर के मन से यह आवाज आई कि दूसरों के दुःख-दर्द को समझने से बड़ा परोपकार कोई नहीं हो सकता, ऐसे नेक कार्य को केवल इंसान ही नहीं ईश्वर भी देखते हैं। जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई तो यह है कि इस जगत में सब कुछ परमात्मा द्वारा संचालित है। अतः मनुष्य को अपने जीवन की डोर उसके हाथ में दे देनी चाहिए। विद्वानों की बात को गौर से समझे तो यह तथ्य सामने आता है कि दूसरों की सेवा करने वालों को स्वयं कभी कोई कष्ट महसूस नहीं होता। वैसे भी जो इंसान अपनी कमियों को जानता और समझता है, उसे स्वप्न में भी किसी पराये में कोई कमी नहीं दिखाई देती। दुनिया में खुशनसीब इंसान वो नहीं जो रिश्तों को अपनी शर्तों पर चलाना चाहे, बल्कि सबसे खुशनसीब वो होता है जो रिश्तों को निभाने के लिये अपनी शर्तें बदल लेता है। महापुरुषों का ज्ञान तो यही कहता है कि सच्चे प्रेम का देह से कोई सम्बन्ध नहीं होता।

जौली अंकल का अनुभव भी यही कहता है कि जो स्वयं को हर परिस्थिति के अनुसार ढालना जानता है, उसे ही असल जीवन जीने की कला आती है। हर प्रकार की परिस्थितियों के साथ समझौता कर लेना एक ऐसा गुण है, जो करोड़ो लोगों में से किसी एक को नसीब होता है। अगर आपका व्यवहार मैत्रीपूर्ण है तो सब आपके मित्र ही बनेंगे, शत्रु नहीं ।

ये कहानी ‘कहानियां जो राह दिखाएं’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं

Kahaniyan Jo Raah Dikhaye : (कहानियां जो राह दिखाएं)