सरिता की आत्महत्या सबके लिए आश्चर्य का विषय था। कौन नहीं जानता था सरिता को, पूरे परिवार में वही तो एक सुशील, समझदार, मेहनती व सुन्दर थी।
सबका ख्याल रखती। पति, सास, ससुर, देवर, देवरानियाँ सब उससे बहुत खुश थे। सबका काम करती, सबका ध्यान रखती। सारे मोहल्ले में उसकी प्रायः सभी लोग प्रशंसा करते थे, उसके व्यवहार, सभ्यता, आदर्श की। सबके लिए उसकी आत्महत्या रहस्य बन गई। आखिर उसने ऐसा क्यों किया?
क्या परेशानी थी? वह तो बहुत सुशील, समझदार थी, सबका बहुत ध्यान रखती… चर्चा चल ही रही थी उसी बीच उसका दस वर्षीय पुत्र बीच में बोल उठा -“हाँ! मम्मी सबका ध्यान रखती थी, पर मम्मी का ध्यान कोई नहीं रखता था।” उसकी इस बात से एकदम सन्नाटा छा गया, सब खामोश हो गये, जैसे उसकी आत्महत्या का रहस्य जान गये…
ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं– Indradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)
