Hindi Poem: जिन बेटों ने पिता को खोया, वे समय से पहले बड़े हो गए—
मानो बचपन की किताब का आख़िरी पन्ना
अचानक किसी ने फाड़ दिया हो।
वे खेलों की जगह
जिम्मेदारियों के पथरीले आँगन में उतरे,
जहाँ हँसी के स्वर दबकर
सिर्फ़ माँ की थकी हुई साँसें गूँजती थीं।
कम उम्र के कंधों पर
भारी बोझ उतर आया—
रोटी, शिक्षा, और घर की चौखट
सब उनके सहारे खड़ी रही।
उनकी आँखों में बचपन के सपने
जल्दी बूढ़े हो गए,
पर उनमें एक दृढ़ता जगी—
जो आँसू को ही साहस में बदल देती है।
जिन बेटों ने पिता को खोया,
वे जीवन के विद्यालय में
सबसे कठिन पाठ सबसे पहले पढ़े—
त्याग, संयम और संघर्ष।
और यही असमय परिपक्वता
उन्हें भीतर से
एक ऐसा वृक्ष बना देती है,
जिसकी जड़ों में पीड़ा है,
पर शाखाओं में छाँव और सुरक्षा।
