bevkoof-kacchua panchtantra ki kahani
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एक बार देश में सूखा पड़ गया, काफी समय तक वर्षा नहीं हुई। सभी झीलें, तालाब व नदियाँ सूखने लगे। पशु-पक्षी व मनुष्य मर रहे थे। चिंतित होकर बगुलों ने दूसरे तालाब पर जाने का फैसला किया। कछुए ने सुना तो बोला- दोस्तों, मुझे छोड़ कर मत जाओ। मुझे भी साथ ले चलो।

कुछ देर सोचने के बाद एक बगुला बोला-हम तीनों एक छड़ी की सहायता से उड़ेंगे। कछुए ने हैरानी से पूछा-“कैसे”। बगुले ने कहा- “हम दोनों अपनी चोंचों से छड़ी के दोनों छोर पकड़ लेंगे। तुम बीच में से छड़ी को मुँह से पकड़ लेना। फिर हम धीरे-धीरे सुरक्षित स्थान की ओर उड़ जाएँगे।”

कछुए को उपाय पसंद आ गया इसलिए उसने हामी भर दी। बगुले ने उसे चेतावनी भी दी- “जब हम आकाश में हों तो मुँह से एक भी शब्द मत निकालना वरना तुम संतुलन खो दोगे और नीचे गिर पड़ोगे।” योजना के अनुसार बगुला एक मजबूत छड़ी ले आया। उन्होंने छड़ी दोनों छोरों से पकड़ी और कछुए ने बीच में से मुँह में दबा ली। इस तरह वे उड़ने लगे।

शहर के लोगों ने आकाश में इस अद्भुत दृश्य को देखा। उन्होंने कभी भी कछुए को हवा में उड़ते नहीं देखा था। वे तालियाँ बजा कर चिल्लाने लगे, “वाह देखो, दो पक्षी कछुए को आकाश में उड़ाए ले जा रहे हैं।”

कछुए को लोगों का चिल्लाना और मजाक उड़ाना पसंद नहीं आया। वह गुस्से पर काबू नहीं रख पाया और बोला- “ये मूर्ख इस तरह चिल्ला क्यों रहे हैं?” ज्यों ही उसने बोलने के लिए मुँह खोला। उसकी पकड़ छूट गई और वह नीचे गिरने लगा। धरती पर गिरते ही उसके प्राण निकल गए।

शिक्षा :- कोई भी काम करने या बोलने से पहले सोचना चाहिए।

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