naitik jimmedaaree
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अमेरिका में डंकर्क शहर के सुप्रसिद्ध न्यायमूर्ति रेमंड एक विशेष कार्य से कार से- कही जा रहे थे। समय पर पहुँचना जरूरी था परंतु रास्ते में ट्रैफिक जाम होने के कारण उनकी गाड़ी बीच में फँस गई। सड़क पर पंक्तिबद्ध गाड़ियाँ खड़ी थीं। इसमें उनकी गाड़ी भी थी। ड्राइवर ने उस पंक्ति से गाड़ी निकालने के लिए नया रास्ता निकाला। उसने गाड़ी को पंक्ति से निकाल गलत दिशा में चलाते हुए अपने मंजिल पर सही समय पर पहुँचा दिया।

कार्य निपटने के बाद वापस आते समय ड्राइवर ने रेमंड को कहा- सर! आज अगर गलत साइड या दिशा से गाड़ी निकालकर नहीं चलाता तो हम समय पर उस जगह पर पहुँच ही नहीं सकते थे। ड्राइवर की बात सुनकर न्यायमूर्ति रेमंड क्षुब्ध हो गए और आदेश दिया कि गाड़ी सीधी पुलिस स्टेशन ले जाएं पुलिस अधिकारी को उन्होंने कहा- आज मुझसे एक अपराध हो गया है।

मेरी गाड़ी ने गलत दिशा में चलकर नियम भंग किया है। मैं नियम भंग के लिए 5 डॉलर दंड की सजा देता हूँ और ये रहे 5 डॉलर आप ले लें। पुलिस अधिकारी अवाक रह गया। वह उन्हें जानता था। कहा, सर! आपने कोई अपराध नहीं किया जिसके लिए आप जुर्माना भरें। ना! यह परिवहन नियम भंग है, जिसकी जिम्मेदारी मेरी है इसीलिए मैं जुर्माना राशि भर रहा हूँ। वह सब ठीक है आपको न तो किसी पुलिस ने पकड़ा है न चालान पेश किया है, न आपको दोषी करार दिया है। मैं यह राशि आप से किस प्रकार ले सकता हूँ? न्यायमूर्ति रेमंड बोले- भाई! गाड़ी को पुलिस ने मुझे भले ही नहीं पकड़ा हो। मेरी अन्तरात्मा ने तो पकड़ा ही है। अपराध पकड़े जाने पर ही अपराध माना जाए यह मैं नहीं मानता। अपराध अपराध ही होता है। अतः दंड राशि स्वीकार कर रसीद बना दें। नैतिक जिम्मेदारी भी कोई चीज होती है कि नहीं। पुलिस को अंत में दंड राशि स्वीकार करनी पड़ी।

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)