Eczema Remedies
Eczema Remedies

Eczema Remedies: सर्दियों में खुजली की समस्या भले ही आम बात हो, लेकिन जब त्वचा हद से ज्यादा सूखी और खिंची हुई लगे, त्वचा में जलन, फुंसियां तथा फुंसियों में से तरल पदार्थ का रिसाव हो तो यह एक्जिमा हो सकता है। समय रहते इनका उपचार कर इस गंभीर त्वचा रोग से बचा जा सकता है।

सूजन, खुजली, त्वचा पर दरारें, खुरदुरापन, वगैरह-वगैरह अगर आपको सता रहे हैं, तो इसे हल्के में मत लीजिए। ये एक्जिमा है, यानी त्वचा का वह रोग, जो आमतौर पर हर मौसम में सर उठाता है, लेकिन सॢदयों में ज्यादा परेशान करता है क्योंकि इन दिनों घर के अंदर हीटर, ब्लोअर आदि का प्रयोग करना, गर्म पानी से स्नान करना और बाहरी शुष्क हवा के संपर्क में आना हमारी त्वचा को और भी शुष्क बना देती है और संवेदनशील त्वचा से लेकर सामान्य त्वचा पर भी एक्जिमा के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। वैसे तो यह शिशुओं और बच्चों को ज्यादा परेशान करता है, लेकिन बड़े भी इससे बच नहीं पाते। एक अच्छी बात यह जरूर है, कि आम धारणा के विपरीत यह संक्रामक रोग नहीं है।

1. अत्यधिक खुजली होना
2.खुजली के कारण त्वचा पर लाल चकत्ते और फुंसियां होना
3. फुंसियों में से तरल पदार्थ का रिसाव
4. त्वचा में जलन होना

एटोपिक डर्मेटाइटिस: विशेषज्ञ बताते हैं कि आमतौर पर जिस एक्जिमा से हमारा सामना होता है, उसे एटोपिक डर्मेटाइटिस कहा जाता है। यह अक्सर बचपन में शुरू होता है और बड़ा होने के साथ-साथ धीरेधीरे समाप्त हो जाता है।
डिशिड्रोटिक एक्जिमा: जो महिलाओं को ज्यादा परेशान करता है उसे डिशिड्रोटिक एक्जिमा कहते हैं। इसमें उनके हाथों पर और पैरों पर छोटे फफोले बन जाते हैं।
हैंड एक्जिमा: जो लोग ऐसे व्यवसाय में हैं, जहां उन्हें हेयर ड्रेसिंग या सफाई के लिए विभिन्न रसायनों का प्रयोग करना पड़ता है, उन्हें हैंड एक्जिमा हो जाता है।
न्युमुलर एक्जिमा: कभी-कभी त्वचा पर सिक्के के आकार का स्पॉट बन जाता है,
जिसमें बहुत खुजली होती है, इसे न्युमुलर एक्जिमा कहते हैं।
स्टैटिस डर्मेटाइटिस: जब त्वचा में कमजोर नसों से तरल पदार्थ बहने लगता है और उसकी वजह से सूजन, खुजली और दर्द की शिकायत हो जाती है, त्वचा लाल पड़ जाती है तब इसे स्टैटिस डर्मेटाइटिस कहा जाता है।

एक्जिमा शरीर में कहीं भी हो सकता है, लेकिन आमतौर पर बाहों, कोहनी का अंदरूनी हिस्सा, घुटनों के पीछे का हिस्सा या सिर ही इसका शिकार बनते हैं।

इस विषय में कोई बहुत स्पष्ट राय नहीं है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं, कि हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली किसी उत्तेजक पदार्थ के संपर्क में जब आती है, तो प्रतिक्रिया करती है और तब इस तरह के लक्षण सामने आते हैं।
क्लीनर, डिटर्जंेट, रसायन, सिन्थेटिक कपड़े, तापमान में परिवर्तन, तनाव, फूड एलर्जी, पशु के बाल, फेफड़ों में तेज संक्रमण आदि आमतौर पर एक्जिमा के प्रकोप के कारण बनते हैं।

chikitsakon kee raay
Doctor recommendation

उत्तर भारत की सुप्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सक एवं योग एक्यूपंचर एक्सपर्ट डॉ. सुनीता गर्ग का कहना है कि अगर शरीर में से विषैले तत्त्व निकल जाएं तो त्वचा पर कोई रोग नहीं होगा। विषैले तत्त्व निकालने के लिए शंख प्रक्षालन (आंतों की सफाई) किसी योग एक्सपर्ट के निर्देशन में करना चाहिए, साथ ही पश्चिमोत्तानासन, मर्कटासन सर्वांगासन, भस्त्रिका, कपालभाति और उज्जई प्राणायाम इसके उपचार में सहायक
सिद्ध हो सकते हैं।

1. अगर समस्या गंभीर है, तो हल्के गुनगुने पानी से नहाना चाहिए, त्वचा में नमी बनाए रखनी चाहिए,
धूप में अधिक समय नहीं रहना चाहिए, रात को अच्छी नींद लेनी चाहिए और गर्म तापमान से
तुरंत ठंड में नहीं जाना चाहिए।

2. खानपान में मटर, आलू, कटहल, अरबी, भिंडी जामुन, आड़ू, केला, दही, और उड़द खाने से परहेज करना चाहिए। उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टर रूपक सक्सेना का कहना है, कि
दाद और एक्जिमा एक ही चीज नहीं है। एक्जिमा को हिंदी में ‘छाजन’ के नाम से जाना जाता है। दाद फंगल इंफेक्शन है, जबकि एक्जिमा त्वचा के अंदर से उठा एक रोग है। एक्जिमा चाहे किसी भी प्रकार का हो, पूरी तरह ठीक हो सकता है, लेकिन इसमें काफी संयम रखने की जरूरत है। आमतौर पर मरीज और उसके घरवाले तुरंत फायदा चाहते हैं, जो कि इस रोग में नहीं होता। जरूरी यह है कि हमेशा विशेषज्ञ डॉक्टर के पास ही जाएं, उसकी सलाह पर पूरी तरह अमल किया जाए और संयम के साथ रोग के ठीक होने का इंतजार किया जाए। आमतौर पर यह ठीक होने में 6 महीने का वक्त भी ले सकता है और ठीक होने के बाद अगर डॉक्टर के बताए हुए निर्देशों को पालन नहीं किया गया, तो यह रोग दोबारा भी आक्रमण कर सकता है।
बार-बार डॉक्टर या थेरेपी बदलने से या इधर उधर की चीजें लगाने से, रोग खराब अवस्था में आ सकता है और फिर विशेषज्ञ को भी उसे ठीक करने में मुश्किल आती है।

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इससे कैसे बचा जाए, इस संबंध में डॉक्टर रूपक कहते हैं कि मॉश्चराइजर का प्रयोग करना चाहिए और वह भी
डॉक्टर की सलाह से। चेहरे के लिए अलग, हाथों और पैरों के लिए अलग और शेष शरीर के अलग, साथ ही साबुन भी बहुत माइल्ड इस्तेमाल करना चाहिए। तो सर्दियां अब शुरू हो ही गई हैं, जाहिर है कि त्वचा में खुश्की भी आएगी, रूखापन भी आएगा और एक्जिमा की शिकायतें भी उभर सकती हैं, अगर आपने हमारे बताए गए उपायों पर ध्यान दिया होगा, तो आप इस रोग के आक्रमण से बचे रहेंगे और अगर दुर्भाग्य से आप इसके चक्रव्यूह में फंस भी जाते हैं, तो निश्चित रूप से ऊपर दिए हुए विशेषज्ञों के सुझाव, आपको सही उपचार करने में मदद तो देंगे ही देंगे। सही मॉइश्चराइजर, त्वचा फ्रेंडली साबुन और उचित दिनचर्या अपनाइए, एक एक्जिमा क्या सभी रोग आप से दूरी बनाकर रखेंगे और यह सर्दियां आपको सेहत का उपहार देकर जाएंगी।

Home Remedy
Home Remedy

हमारी दादी-नानी के पास एक्जिमा से बचने के तमाम नुस्खे हैं। मसलन नारियल के तेल में कपूर मिलाकर बनाया लेप, शहद, ताजे एलोवेरा के पत्तों का पेस्ट, हल्दी में दूध या गुलाब जल का मिश्रण, तुलसी के पत्तों का रस, अलसी के बीज पीसकर उसमें नींबू का रस मिलाकर बनाया हुआ लेप, नारियल तेल में नीम के पत्ते डालकर बनाया हुआ लेप, बबूल के फूल। इन सब में से किसी को भी त्वचा पर जहां एक्जिमा का प्रकोप हो लगाकर, 20 मिनट तक छोड़ देने के बाद, ठंडे पानी से धो दिया जाए तो एक्जिमा से आराम मिल सकता है, ऐसा दादी-नानी के नुस्खे बताते हैं, साथ ही वे त्रिफला और गिलोय की छाल के रस में नींबू मिलाकर पीने की सलाह देते हैं।

“दाद और एक्जिमा एक ही चीज नहीं है। एक्जिमा को हिंदी में ‘छाजन’ के नाम से जाना जाता है। दाद फंगल इंफेक्शन है, जबकि एक्जिमा त्वचा के अंदर से उठा एक रोग है।”