Hindi Motivational Story: तुम से कितनी बार कहा है कि जब मैं घर से बाहर निकलूँ तब सामने मत आया करो। मेरे बेटे को तो तुम खा चुकी हो, क्या मुझे और मेरे दूसरे बेटे को भी खाना चाहती हो? सरला ने अपनी विधवा बहू को डाँटते हुए कहा। बेचारी बहू ऐसे ताने पिछले चार साल से सुनती आ रही थी। बस आँखें नम करके रह जाती।
एक दिन सरला छोटे बेटे के लिए लड़की देखने जाने के लिए अपने कमरे से निकली, तो बहू उत्साहित होकर विदा करने आ गई कि देवर अपने लिए लड़की देखने जा रहा है। सरला उस पर आग-बबूला होते हुए वही पुराने ताने देने लगी। छोटे बेटे ने माँ को समझाते हुए कहा “माँ क्यों बिना बात भाभी को भला-बुरा कह रही हो।” चलो वरना देर हो जायेगी। तू बहुत तरफ़दारी करता है इसकी हमेशा। सरला बड़बड़ाती हुई कार में जाकर बैठ गई। वे कुछ दूर ही चले थे कि कार का टायर पंचर हो गया। सरला इसका दोषी सीधे-सीधे विधवा बहू पर लगा रही थी। स्टेपनी बदलने में बेटे ने पंद्रह-बीस मिनट लिए और फिर माँ-बेटे चल दिए। रास्ते में एक जगह बहुत भीड़ थी। एक निर्माणाधीन पुल का कुछ हिस्सा गिर गया था, जिनके मलबे के नीचे दो-चार गाड़ियाँ दब गई थीं। बेटे ने कहा, “माँ जब अपनी गाड़ी का टायर पंचर हो गया था, तब आप सारा दोष भाभी पर लगा रही थी। ज़रा सोचो अगर पंचर नहीं हुआ होता, तो उस मलबे के नीचे हम दबे हुए होते। ये दुर्घटना लगभग पंद्रह-बीस मिनट पहले ही हुई है। उस देवी के कारण ही हम दोनों जिंदा है।”
यह सुन सरला ने धीरे से कहा, ‘घर चल वापस’। ‘क्यों माँ हमें पहले ही देर हो चुकी है।’ बेटा अपनी बड़ी बहू को भी साथ लेकर चलते हैं, तेरे लिए लड़की देखने। सरला ने अधरों पर मुस्कान छोड़ते हुए कहा। छोटे बेटे ने तुंरत कार घुमा ली। शायद माँ की आँखों से अंध-विश्वास की पट्टी उतर गई थी।
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