aise mana pinki ka janmadin Motivational story
aise mana pinki ka janmadin Motivational story

पिंकी का जन्मदिन था। पर उसके मम्मी-पापा दोनों ही काम पर गए थे। पिंकी के पापा तो रोज रात के ग्यारह बारह बजे आते थे। एक कंपनी में मैनेजर थे। जल्दी आना उनके लिए मुश्किल था। मम्मी के दफ्तर में भी उस दिन कोई जरूरी काम आ पड़ा था। उन्होंने कहा था, “पिंकी, मैं कोशिश करूँगी कि शाम को छह बजे तक जरूर आ जाऊँ। ऐसा करो, तुम अपनी सहेलियों को सात बजे के आसपास बुला लो।” सुनकर पिंकी उदास हो गई। सोचने लगी, ‘मेरी सहेलियाँ तो दूर-दूर रहती हैं। सर्दी के दिन में वे मेरी बर्थ-डे पार्टी में शामिल होने के लिए रात को सात बजे आएँगी तो वापस घर कब पहुँचेंगी?

उन्हें घर पहुँचाने कौन जाएगा? इस चिंता में तो जन्मदिन का सारा मजा ही किरकिरा हो जाएगा।’ पर भला पिंकी मम्मी- पापा को कैसे समझाए यह बात? चलो, पापा न सही, पर मम्मी ही एक दिन की छुट्टी ले लेतीं तो मजा आ जाता। पर मम्मी कह रही थीं, “इन दिनों दफ्तर में छुट्टी किसी को मिल ही नहीं सकती। छोटे से लेकर बड़े तक सभी सुबह से शाम तक डटे रहते हैं। दफ्तर में कोई जरूरी इंस्पेक्शन होना है! फिर मैं कैसे आ सकती हूँ?” यही सब सोचते हुए पिंकी घर में परेशान सी बैठी थी।

बार- बार एक ही बात उसके मन में आती, ‘अच्छा है मेरा जन्मदिन! ओह! आज के दिन भी मेरे जीवन में कोई खुशी नहीं।’ पिंकी सोच रही थी कि क्या करूँ, जिससे मेरी ऊब मिटे? इतने में सीढ़ियों पर जोर-जोर की धप्प – धप्प की आवाज सुनाई पड़ी। और फिर जोर से दरवाजा पीटने की आवाजें। पिंकी दौड़कर गई। दरवाजा खोला तो उसके मुँह से खुशी के मारे चीख निकल गई। एक-एक कर उसकी सारी सहेलियाँ और दोस्त धप्प-धप्प करते घर के अंदर दाखिल हो रहे थे। सबने ‘हैप्पी बर्थ-डे’ और ‘जन्मदिन मुबारक’ कहकर पूरे घर को गुँजा दिया था। पिंकी की खुशी का ठिकाना न रहा।

बोली, “अरे वाह! तुम लोगों ने तो कमाल कर दिया! मैं सोच रही थी कि तुम लोगों को किस समय बुलाऊँ, क्योंकि पापा तो आज रात देर से लौटेंगे। मम्मी भी छह सात बजे से पहले दफ्तर से आने से रहीं। लेकिन तुम लोगों ने अच्छा किया, बिन बुलाए आ पहुँचे।” “और क्या! भला अपनी प्यारी-प्यारी पिंकी के जन्मदिन पर भी क्या हमें किसी बुलावे का इंतजार करना था।” गुंजन चहककर बोली। इस पर पिंकी के चेहरे पर खुशी छा गई। बोली, “सच तुम लोगों के आने से बहुत अच्छा लग रहा है।” “सो तो ठीक है! मगर तुमने यह तो पूछा ही नहीं, पिंकी कि हम तुम्हारे लिए क्या उपहार लाए हैं?” चिनिया आँखें नचाती हुई बोली। “देखना चाहोगी? बोलो!” कहकर चुनमुन ने उपहार के सारे पैकेटों को खींचकर पास रख लिया। और फिर तो जैसे रंग-बिरंगे पैकेटों में छिपी खुशियाँ उछल-उछलकर बाहर आने लगीं। सबने खोल-खोलकर पैकेट दिखाना शुरू कर दिया था। सबसे पहले गुंजन ने डांस करने वाली अपनी जापानी गुड़िया निकाली। बटन दबाया तो वह अपना घाघरा फैलाकर नाचने लगी।

और उसमें से गाने की आवाज आने लगी, ‘हैप्पी बर्थ-डे टू यू…!’ चिनिया एक सुंदर पेंटिंग लाई थी, जिसमें पहाड़ों के बीच मोती जैसी एक सुंदर झील का दृश्य बना था। बरखा हरे पन्नों वाली एक खूबसूरत डायरी लाई थी, जिसके हर पेज पर एक अलग पेंटिंग बनी हुई थी। लतिका ने गणेश जी की एक बड़ी ही सुंदर कलात्मक मूर्ति भेंट की थी। चुनमुन एक खूबसूरत पेन सेट लाया था और धीरू हरे, नीले, पीले सुंदर फूलों से सजा पीतल का चमचमाता फूलदान। देखकर पिंकी तो झूम उठी। बोली, “तुम लोगों को पता है, अभी थोड़ी ही देर पहले मैं अपने जन्मदिन को लेकर कितनी दुखी थी। लेकिन अब तो लग रहा है मेरे जन्मदिन पर खुशियाँ ही खुशियाँ बिखर रही हैं। रंगों की बरसात हो रही है। ओह, मैं कितनी खुश हूँ!” इस पर पिंकी की सहेलियाँ और दोस्त मिलकर गाने लगे- बार-बार आए, बार-बार आए पिंकी का जन्मदिन! खुशियाँ भर लाए, सबको गुदगुदाए… पिंकी का जन्मदिन!! यह प्यारा गाना सुनकर पिंकी का चेहरा खुशी के मारे लाल हो गया। बोली, “ठहरो, तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाती हूँ। मम्मी तो हैं नहीं, पर जो कुछ भी रूखा-सूखा है…!” “क्या है रूखा-सूखा? जरा बताना तो!” बरखा ने भौंहें नचाकर कहा। “घर में ब्रेड पड़ा है। जैम भी है और बिस्किट – नमकीन! कुछ फल पड़े हैं, काजू-बादाम वाले लड्डू भी। और कल ही मम्मी ने बनाया था गाजर का हलवा!” “ठीक है, मगर जन्मदिन क्या इसी से मन जाएगा? कुछ स्पेशल डिश होनी चाहिए पिंकी रानी स्पेशल! समझीं कुछ?” “पर स्पेशल क्या?” पिंकी झिझकती हुई बोली, “मुझे तो कुछ बनाना नहीं आता।” “अरे, तुम्हें नहीं आता तो हमें तो आता है!” चिनिया ने कहा तो पिंकी की सभी सहेलियाँ और दोस्त हँस पड़े। “बस, तुम यह बताती जाओ पिंकी कि चीजें कहाँ पड़ी हैं!” बरखा बोली, “बाकी तो हम खुद बना लेंगी।” और फिर पूरी की पूरी मंडली धप्प-धप्प करती रसोईघर में जा पहुँची। वहाँ पहले गरम-गरम पकौड़े बने, फिर पराँठे और उबले हुए आलू की चाट । सबने जी- भरकर खाया। फिर ऊपर से गाजर का हलवा भी, जो पिंकी की मम्मी ने कल ही बनाया था। खाने-पीने के बाद सबने किस्से-कहानियाँ छेड़ दीं। चिनिया ने ऐसे प्यारे गाने सुनाए कि चुनमुन उठा और सिर पर हाथ रखकर नाचने लगा। सभी हँसते-हँसते लोटपोट थे। पिंकी का ऐसा शानदार जन्मदिन मना कि पिंकी भी खुश और उसकी मित्र-मंडली भी खुश। बाद में सबने मिलकर एक बार फिर खूब शानदार डांस किया। शाम को पाँच बजे पिंकी की सहेलियों ने विदा ली। जाते-जाते उन्होंने पिंकी के साथ मिलकर रसोई को भी खूब साफ करके चमका दिया था। कोई सात बजे पिंकी की मम्मी आई तो बोलीं, “अरे, मैं बहुत थक गई हूँ, पिंकी। बता तो, तेरे दोस्त कब आएँगे?” “मम्मी, वे सब आकर चले भी गए। लो आप भी खाओ आलू की यह चाट।” कहकर पिंकी ने पूरा किस्सा सुनाया तो मम्मी भी धीरे से मुसकरा दीं। प्यार से चाट खाते हुए बोलीं, “हैप्पी बर्थ-डे टू यू पिंकी।” और उन्होंने पिंकी का माथा चूम लिया। तभी एकाएक गुंजन की दी हुई जापानी गुड़िया घाघरा फैलाकर नाचने लगी, ‘हैपी बर्थ-डे टू यू!’ इस पर पिंकी और उसकी मम्मी की एक साथ हँसी छूट गई। और पिंकी को लगा, ‘अरे, मैं तो बेकार परेशान हो रही थी। जबकि मेरा बर्थ-डे तो इस बार ऐसे मजेदार ढंग से मना कि हमेशा याद रहेगा।’