गृहलक्ष्मी की कहानियां : सुबह के चार बजे थे, अचानक बज रही फ़ोन की घंटी ने मेरी नींद को तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, सुबह के चार बजे फ़ोन आना किसी अनहोनी घटना के होने की और हमेशा इशारा होता है। पापा का फ़ोन.. इस टाइम.. मेरे हाथ एक दम से सुन्न हो गये थे। कई दिनों से मां की तबियत ठीक नहीं चल रही थी। फ़ोन तो उठाओ.. मेरे पति राहुल ने कहा, हेलो पापा.. बेटा जितनी जल्दी हो सके आ जाओ… क्या हुआ पापा… मां ठीक तो है… मैंने नम आँखों से कहा, आ जाओ… पापा ने ये कहते हुए फ़ोन रख दिया था, मैं फूट फूट कर रोने लगी। पागल मत बनो.. सम्भालो अपने आप को… जल्दी करो घर चलना है। राहुल ने मेरी ओर देखते हुए कहा।
करीब 1 घंटे के सफर के बाद मैं घर पहुंची, मां मैं आ गई.. मां ने मुश्किल से आंखें खोल कर मेरी ओर देखा, बेटा तू ठीक तो है.. ये मां ही पूछ सकती है। खुद जिंदगी और मौत से जूझ रही है और अब भी अपनी औलाद की चिंता है। मां मैं ठीक हूं। तुम परेशान मत हो। जल्दी ठीक हो जाओ, फिर बाहर चलेंगे। बेटा मुझको पता है मेरे पास ज्यादा समय नहीं है। ये बोलते हुए मां ने मेरी ओर एक लेटर बढ़ा दिया। ये क्या है… मैंने नम आंखो से कहा। बेटा ये मेरी अंतिम नसीहत है और जरूरी भी। अंतिम शब्द सुन कर मैं अपने आप से काबू खो चुकी थी। मां से लिपट कर फूट फूट कर रोने लगी। पापा ने मेरे कंधे पर हाथ रखा.. बेटा बस कर… वो जा चुकी है। आज मेरी सहेली, मेरी शिक्षक, मेरी मां मुझको छोड़कर जा चुकी थी। ऐसा लगा, मेरे शरीर का कुछ हिस्सा मुझसे अलग हो चुका है। अंतिम संस्कार के बाद मैंने मां का लेटर खोला। लिखा था- मेरी प्यारी बेटी जब तुम ये लेटर पढ़ रही होगी, तब मैं शारीरिक रूप से तुमसे अलग हो चुकी होगी। लेकिन मेरी सीख, मेरे संस्कार हमेशा तुम्हें मेरे होने का आभास दिलाते रहेंगे। मेरी तीन नसीहत हैं।
1-मां बाप के बाद मायका भैया और भाभी से होता है। कभी लेने और देने के बीच प्यार को मत आने देना।
2-तुम ऐसी बनना जैसे तुम अपनी बेटी को बनाना चाहती हो, क्योंकि तुम आने वाली मां हो और मैं बीते हुए कल की बेटी
3-एक औरत की पहचान उसके त्याग, ममता, और प्यार से ही होती है जो हमेशा बनाये रखना।
अगले जन्म में मैं तुम्हारी बेटी बनकर आना चाहती हूं, तुममें आने वाली मां देखना चाहती हूं। तुम्हारी मां।
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