Posted inहिंदी कहानियाँ

मां तो बस मां ही होती है – गृहलक्ष्मी कहानियां

निहाल के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। उसकी दो साल की बेटी नेहा उसकी गोद में बैठी टुकुर टुकुर उसकी और देख रही थी। पास ही कुसुम निर्जीव सी फर्श पर जड़ पड़ी थी, न कुछ बोल रही थी और न ही उठ रही थी। थोड़ी देर पहले तक सब ठीक था।

Posted inहिंदी कहानियाँ

मां का प्यार – गृहलक्ष्मी कहानियां

ट्रेन जैसे ही प्लेटफार्म पर रुकी, मैंने इधर उधर नज़रे दौड़ाई। तभी सामने चाय की दुकान पर छह- सात बरस के बच्चे पर निगाह पहुंच गयी। नए पैंट-शर्ट, धूल-धूसरित बाल, फटे गाल, वो लड़का वहां पड़े कुल्हड़ों में बची चाय पीने की कोशिश कर रहा था।

Posted inहिंदी कहानियाँ

गृहलक्ष्मी की कहानियां : मां की सीख

गृहलक्ष्मी की कहानियां : सुबह के चार बजे थे, अचानक बज रही फ़ोन की घंटी ने मेरी नींद को तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, सुबह के चार बजे फ़ोन आना किसी अनहोनी घटना के होने की और हमेशा इशारा होता है। पापा का फ़ोन.. इस टाइम.. मेरे हाथ एक दम से सुन्न हो […]

Gift this article