एक राजा था धौला मौला। वह बड़ा सनकी था। दरबारियों से अजीब-अजीब सवाल पूछा करता था। न बताने पर दरबार से निकाल देता था। कभी-कभी सख्त सजाएँ भी देता था।
एक दिन राजा धौला मौला ने दरबारियों से पूछा, ”अच्छा, आप लोग बताइए, दुनिया में सबसे कड़वी चीज क्या है?”
इस पर सबने अलग-अलग चीजों के नाम लिए। किसी ने नीम कहा, किसी ने करेला। किसी ने आक-धतूरे को कड़वा बताया, तो किसी ने जंगली बूटी का नाम लिया।
पर राजा को तसल्ली नहीं हुई। उसने कहा, ”आप लोग ठीक-ठीक बताइए, नहीं तो सभी को फाँसी पर चढ़ा दूँगा।”
इस पर सब दरबारी थर-थर काँपने लगे। तभी एक बूढ़ा दरबारी गंगादास खड़ा हुआ। बोला, ”राजन, हमें फाँसी पर चढ़ाना हो, तो चढ़ा दीजिए। पर सच यह है कि आप मूर्ख और सनकी हैं। अपने को आप बुद्धिमान समझते हैं, पर आप में जरा भी अक्ल और समझदारी नहीं है।”
”क्या कहा? मुझमें अक्ल नहीं है? यह मुझसे कह रहे हो तुम…!” राजा को जैसे अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ। उसने पास खड़े सैनिक से कहा, ”ले जाओ इसे, धक्का देकर पहाड़ से नीचे गिरा दो।”
इतने में बूढ़ा दरबारी गंगादास बड़े जोरों से अट्टहास करके हँसा। राजा चक्कर में पड़ गया। बोला, ”अब…अब क्या है! हँस किस बात पर रहे हो?”
बूढ़ा फिर से हँसकर बोला, ”ठीक है राजन, आप मुझे पहाड़ से नीचे फिंकवा दीजिए। मुझे इसमें कोई एतराज नहीं है। पर मरने से पहले मैं जानना चाहता हूँ कि आपको अपने सवाल का सही जवाब मिल गया कि नहीं?”
”जवाब! कैसा जवाब?” राजा अचकचाया।
इस पर बूढ़े दरबारी ने कहा, ”महाराज, आपने पूछा था, दुनिया में सबसे कड़वी चीज कौन सी है? तो सबसे कड़वी चीज कड़वा बोल ही है। मेरी एक कड़वी बात सुनते ही पल भर में आपका पारा ऊपर चढ़ गया और आपने मुझे पहाड़ से नीचे गिराने का आदेश दे दिया। बताइए, इससे कड़वी चीज दुनिया में कोई और है?”
कुछ रुककर उस बूढे़ दरबारी ने कहा, ”महाराज, अब आप भले ही मुझे पहाड़ से नीचे गिरवा दीजिए, पर मुझे खुशी है कि मैंने आपको सवाल का सही-सही जवाब बता दिया। मेहरबानी करके अब दरबारियों को कोई सजा न दीजिए।”
सुनते ही राजा धौला मौला की आँखें खुल गईं। उसने बूढ़े दरबारी से कहा, ”मुझे क्षमा कर दो भाई। आज से मैं किसी को तंग नहीं करूँगा।”
उस दिन से राजा धौला मौला की सनकें कम होती चली गईं। धीरे-धीरे प्रजा भी उसे चाहने लगी।
