kanjoos ke nae kapade moral story
kanjoos ke nae kapade moral story

पुराने समय की बात है, काशी नगरी में रहता था सेठ रामलुभाया। वह काफी पैसे वाला था, व्यापार भी दूर-दूर तक फैला था, पर था बहुत कंजूस। अपने ऊपर पैसे खर्च करना उसे बहुत अखरता था। कपड़े फट जाते, तो भी किसी तरह उन्हीं को पहनकर गुजारा करता। पत्नी से कहता, ”अरे, जरा दो टाँके और लगा दो, तो यह कपड़ा अभी महीने भर और चल जाएगा।”

उसकी पत्नी गोमती फटे कपड़ों में टाँके लगाते-लगाते परेशान हो गई थी। कई बार वह बिना पूछे उसके लिए नए कपड़े ले आती। पर वे अकसर पड़े ही रह जाते। रामलुभाया जहाँ तक निभता, पुराने कपड़ों से ही काम चलाता था।

एक दिन रामलुभाया व्यापार के सिलसिले में कहीं बाहर जा रहा था। गोमती बोली, ”बाहर जा रहे हो? ये पुराने कपड़े अच्छे नहीं लगते। अब इन्हें छोड़ो, नए कपड़े पहन लो।”

कहकर वह अंदर से नया कुरता-धोती ले आई।

रामलुभाया ने एक क्षण सोचा, फिर बोला, ”अरी भागवान, बाहर किसे पता है कि मैं सेठ हूँ या गरीब आदमी? यों भी वे लोग मेरे बारे में कुछ भी सोचें, क्या फर्क पड़ता है? इसलिए यही कपड़े ठीक है।”

गोमती मुसकराकर चुप रह गई।

जब रामलुभाया लौटकर फिर से अपने शहर आ गया, तो एक दिन फिर गोमती ने सुबह-सुबह नए कपड़े निकालकर दिए। कहा, ”नहाकर यही पहनना।”

रामलुभाया हँसकर बोला, ”अरे भागवान, तुम समझती तो हो नहीं। यहाँ तो सारे बाजार में हर कोई मुझे जानता है कि मैं बड़ा सेठ हूँ। इसलिए नए कपड़े पहनूँ या पुराने, क्या फर्क पड़ता है?”

सुनकर गोमती कटकर रह गई। पर तभी उसे एक उपाय सूझा। बोली, ”तो फिर ऐसा करती हूँ, इसे किसी जरूरतमंद को दान दे देती हूँ। आपको तो बिल्कुल इनकी जरूरत है ही नहीं। पुराने कपड़ों में आपका काम मजे से चल रहा है।’

सुनकर रामलुभाया चौंका। एक क्षण सोचा, फिर बोला, ”अच्छा, तुम कहती हो तो पहन ही लेता हूँ।”

गोमती मुसकरा दी। अब उसे रामलुभाया को रास्ते पर लाने का तरीका सूझ गया था। वह समय-समय पर रामलुभाया के नए कपड़े सिलवा लाती। कुछ दिन बाद कहती, ”आप तो इन्हें पहनेंगे नहीं। तो फिर मैं किसी जरूरतमंद को दान ही कर देती हूँ।”

इस पर रामलुभाया चुपचाप उन्हें पहन लेता। उसकी कंजूसी धीरे-धीरे दूर होती जा रही थी।

अब वह जरूरत की चीजों पर खुलकर खर्च करता था। कभी-कभी लोग चौंककर उससे पूछ बैठते, ”अरे भई, रामलुभाया जी, आप बदल कैसे गए?”

इस पर रामलुभाया अपनी पत्नी गोमती की समझदारी का किस्सा सुना देता है, जिसने उन्हें राह पर ला दिया।

सुनकर बरबस लोग मुसकरा देते हैं।