Jataka Story in Hindi : किसी गाँव में एक बौना अपने माता-पिता के साथ रहता था।
हालांकि वह दिखने में काफी छोटा था लेकिन बड़ा सयाना और चतुर था। वह बहुत अच्छा धनुष-बाण चलाता था पर गाँव में उसे कोई भी काम नहीं देता था। बच्चे उसे ‘छोटू’ कहकर चिढ़ाते। वह इस वजह से काफी परेशान रहने लगा।
एक दिन, उसके एक दोस्त ने सलाह दी-‘‘तुम कितना अच्छा धनुष-बाण चलाते हो। राजा के पास क्यों नहीं जाते, वे तुम्हें सेना में अवश्य भर्ती कर लेंगे।’’
अगले दिन वह माता-पिता की आज्ञा लेकर राजा के महल की ओर चल दिया। उसे अपने छोटे कद का एहसास था। वह सोचने लगा कि अगर राजा ने भी छोटे कद का मजाक उड़ाया तो…..। हो सकता है कि वे उसे सेना में भर्ती ही न करें। चलते-चलते उसके दिमाग में आया कि उसे एक मजबूत सहायक अपने साथ रखना चाहिए।
महल जाते समय, रास्ते में उसने एक लंबा सा आदमी देखा जो खेतों में काम कर रहा था। उसका नाम था ‘भीमा’। छोटू ने उससे कहा-‘‘तुम बड़े बलवान हो। तुम्हें तो राजा की सेना में होना चाहिए।’’
भीमा बोला-‘‘पर मुझे तो धनुष-बाण पकड़ना तक नहीं आता।’’ ‘‘तुम चिंता मत करो। मै एक अच्छा निशानेबाज हूँ। मैं तुम्हारी मदद करूँगा! बस तुम मेरे साथ राजा के महल तक चलने के लिए मान जाओ’’ छोटू ने कहा।
भीमा को राजा की सेना में काम करने का प्रस्ताव बेहद भाया। वह झट से साथ चलने को मान गया। वह भी अपनी किस्मत आजमाना चाहता था।

जब वे राजा के महल में पहुँचे तो राजा एक बौने और एक बलवान व्यक्ति को साथ देख कर हैरान रह गया। भीमा ने कहा कि वह सेना में भर्ती होना चाहता है। भीमा ने छोटू को अपना सहायक बताते हुए कहा- ‘‘महाराज! हम हमेशा साथ रहते हैं।
यह मुझे युद्ध के मैदान में तीर पकड़ कर मदद करेगा।’’
राजा ने उसे खुशी-खुशी सेना में भर्ती कर लिया व कहा- ‘‘मुझे सेना के लिए तुम्हारे जैसे वीर और बहादुर नौजवान ही चाहिए।’’ भीमा व छोटू बेहद खुश थे, उनकी इच्छा पूरी हो गई थी।

उनकी वीरता की परख के लिए राजा ने एक काम सौंपा। पास ही एक गाँव में कई दिन से आदमखोर शेर का आतंक फैला था। वह कई गाँव वालों को मार चुका था। राजा ने हुक्म दिया- ‘‘जाओ, उस शेर को मार दो। उन्हें सेना के सिपाही की वर्दी भी मिल गई।
भीमा महल से निकला तो काफी परेशान था। उसे लग रहा था कि गाँव वालों का सामना करना और शेर को मारना, कोई आसान काम नहीं था पर छोटू ने तसल्ली दी। शेर को मारने के लिए सिर्फ धनुष-बाण या बहादुरी की जरूरत नहीं, तुम्हें बुद्धिमान भी होना चाहिए।
‘‘पर वह कैसे हो सकता है?’’ भीमा काफी परेशान था।

छोटू ने उसके कान में एक योजना बता दी। फिर वे दोनों गाँव के लिए निकल पड़े। उन्हें सिपाहियों की वर्दी में देख कर गाँव वालों ने भरपूर स्वागत किया। मुखिया बोला, ‘‘हम शुक्रगुजार हैं कि राजा ने हमारी मदद के लिए आपको भेजा, हम आपकी मदद करेंगे। आप चाहें तो अपने साथ कुछ गाँव वालों को ले जा सकते हैं।’’

जल्दी ही कई गाँव वाले हाथों में लंबी लाठियाँ लिए उनके साथ हो लिए। अचानक उन्हें शेर के दहाड़ने की आवाज़ सुनाई दी। सभी गाँव वाले उसी दिशा में भागने लगे- ‘‘शेर को मार दो, शेर को मार दो!’’ वे यह भी नहीं देख सके कि वहाँ भीमा का कोई अता-पता नहीं हैं। वे बिना भय के आगे बढ़ते गए और अपनी पूरी शक्ति से शेर पर आक्रमण कर दिया। अपने लंबे लट्ठों से उन्होंने शेर पर कड़ा प्रहार किया। शेर मारा गया। गाँव वाले निडर होकर खुशी से झूमने और नाचने लगे।
भीमा शेर के मृत शरीर को राजमहल ले आया। राजा उनसे बहुत प्रसन्न हुआ। छोटू व भीमा को इनाम में सोने के सिक्कों की थैली दी गई। भीमा ने छोटू को धन्यवाद देकर कहा- आज तुम्हारी बुद्धिमानी के कारण ही शेर मारा गया। हमने इतनी तारीफ और इनाम पाया! इसके बाद उन दोनों को सेना में पक्की नौकरी मिल गई। वे खुशी-खुशी रहने लगे।
शिक्षा:- बुद्धिमान बाहुबल से श्रेष्ठ होता है।

