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दरअसल, आज एक भी ऐसा क्षेत्र नहीं जहां भारतीय महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा ना मनवाया हो, सफलता के हर पायदान को इन्होनें अपने संघर्ष से पार कर नया इतिहास लिख दिया है। चाहे वह खेल जगत हो ,राजनीति, कला, बिजनेस, बैंकिंग या विज्ञान हर क्षेत्र में इन्होनें अपनी मेहनत से धाक जमाई है। सफलता के नये मायने गढ़े हैं। पहले से सर्वविदित पुरूषों के कार्यक्षेत्र में भी इन्होनें ना सिर्फ अपनी दस्तक दी है बल्कि इस पूरे कार्यक्षेत्र को बखूबी संभाला भी है। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ बेहतरीन भारतीय महिलाओं के सफलता का सफर-
(1.) किरण मजूमदार शॉ
23 मार्च 1953 को बैंगलुरू के कर्नाटक में जन्मी यह बुद्धिमान मेहनती महिला आज देश की सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में शुमार हैं। विश्व में जैव प्रौद्योगिकी को नया प्रारूप देने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। वर्तमान में यह बायोकॉन लिमिटेड कंपनी की अध्यक्ष और प्रबंधनिदेशक हैं। प्रारंभिक शिक्षा इन्होनें बंगलौर के बिशप कॉटन गल्स हाई स्कूल से वर्ष 1968 में पूरी की। साल 1978 में बंगलौर के पास कोरमंगला में दस हजार की पूंजी लगाकर इन्होनें अपने सपनों का सफर शुरू किया। आज इनके जीवन की उपलब्धियां अनगिनत हैं। इनके द्वारा शुरू की गई कंपनी बायोकॉन लिमिटेड का कारोबार अरबों में है। जैवप्रौद्योगिकी में अपना अहम योगदान देने के लिए इन्हें पद्मश्री और पद्मविभूषण से नवाजा जा चुका है। टाइम्स और फोर्ब्स की शक्तिशाली महिलाओं की सूची में कई बार इनका नाम शीर्ष पर आ चुका है।
(2.) चंदा कोचर
17 नवंबर 1961 में राजस्थान राज्य के जोधपुर में जन्मीं चंदा कोचर आज किसी नाम का मोहताज नहीं। इन्होनें पुरूष प्रधान बैंकिग क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी से अपने करियर की शुरूआत कर आज बैंक के उच्चतम पद तक का यह सफर इन्होनें अपनी कठोर मेहनत और संघर्ष से हासिल किया है। हमेशा से पढ़ाई में प्रतिभावान और मेधावी रहीं चंदा कोचर ने फोर्ब्स पत्रिका में अपना नाम भारतीय सशक्त महिलाओं की सूची में कई बार दर्ज करवाया है। आईसीआई बैंक को एक रीटेल फाइनान्स के रूप में स्थापित करने में इन्होनें अपनी अहम भूमिका निभाई है। इन्हें इनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्मविभूषण से नवाजा है।
मणिपुर के चराचांदपुर जिले में एक गरीब किसान परिवार में इनका जन्म हुआ है। यह बचपन से ही बहुत मेहनती हैं। इन्होनें भी मुक्केबाजी जैसे पुरूष प्रधान क्षेत्र में अपनी अलग ही धाक जमाई है। ब्रॉन्ज से लेकर गोल्ड तक के सारे मेडल्स ओलंपिक खेलों में इन्होनें अपने नाम किए हैं। दो जुड़वा बच्चों की मां और तब भी वो अपने इस बॉक्सिंग के प्यार से पीछे नहीं हटीं बल्कि डटी रहीं। उन्होनें अपने सपनों की पहली उड़ान 18 वर्ष की उम्र में भरी। आज यह राज्यसभा की सदस्य भी हैं और ना जाने कितनी लड़कियों के सपनों की प्रेरणास्त्रोत। इनकी सफलताओं का फलसफा काफी ही लंबा है। 2005 में मैरीकॉम ने अपने दोस्त ओन्लर कॉम से शादी की। इनकी आत्मकथा पर पुस्तक होपर कोलिन्स के द्वारा 2013 में लिखी गई जिसका नाम अनब्रेकेबल है। इस पूरी किताब में उनके संघर्षों की कहानी लिखी गई है। इनके जीवन पर आधारित मूवी मैरीकॉम प्रियंका चोपड़ा द्वारा अभिनीत औऱ उमंग कुमार द्वारा निर्देशित हैं।
(4.) निर्मला सीतारमण
निर्मला सीतारमण भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। राजनीति के सफर में इन्होनें बहुत कम समय में अपना एक अलग ही मुकाम हासिल किया है। वर्तमान समय में ये देश के वित्त मंत्रालय को संभाल रहीं हैं जो कि निसंदेह ही पुरूष प्रधान क्षेत्र है। 18 अगस्त 1959 को जन्मीं सीतारमण एक अर्थशास्त्री और समाजसेविका के रूप में अपनी पहचान बना चुकीं हैं। फोर्ब्स ने अपनी सशक्त महिलाओं की जो वार्षिक सूची जारी की है उसमें निर्मला सीतारमण का नाम शीर्ष पर है।
एक न्यूज चैनल से अपने करियर के सफर की शुरूआत कर फोर्ब्स की वार्षिक सूचि में 57 पायदान पर आने वाली रोशनी नादर मल्होत्रा की कहानी काफी ही दिलचस्प है। शिव नादर की इकलौती संतान होने के नाते इन्हें काफी मौके मिलें और इन्होनें इन मौकों का सही इस्तमाल भी किया और आज 48 हजार करोड़ रूपये की कंपनी की सीईओ बन सफलता का एक अलग ही परचम लहराया है। फिलहाल के दिनों में एचसीएल कंपनी से जुड़े सारे स्ट्रैटजिक फैसले यही लेती हैं।