Hindi kahani : प्रेम का अतिरेक चुबन है। चुबंन, प्रेम की अभिव्यक्ति का माध्यम है। जो यह संकेत देता हेै कि कोई हमें किस हद तक अच्छा लगता है। प्रेम के मामले में चुंबन एक तरह से अधिकार जताने का तरीका है कि तुम सिर्फ मेेरी हो तभी तो मैंने तुम्हारे होंठों या गालेां को चूमा। कुछ ऐसे ही एहसास से मैं तब गुजरा जब पहली नजर में मुझे मीनाक्षी से प्यार हुआ। मीनाक्षी मेरे पड़ोस में रहती थी। मैं बीए में था और वह इंटर में। अक्सर हमदोनों का परिवार एक दुसरे के यहां आता जाता रहता था। “शुरू—शुरू”में मुझे मीनाक्षी में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वह मुझे आम लडकी लगी। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि वह मुझे अच्छी लगनी लगी। इसे उम्र की नजाकत कह सकते हैं|
वही भावनाओं का ज्वर, जब विपरीत सेक्स के प्रति तेजी से आकर्षण होता हैं। किसी का अच्छा लगना ही प्यार की पहली सीढी होती है और मैं मन ही मन उस सीढी पर चढने लगा। वह एक दिन नजरों के सामने न आये तो मन बेचैन हो जाता। ऐसा ही कुछ उसके भी साथ था।
वही भावनाओं का ज्वर, जब विपरीत सेक्स के प्रति तेजी से आकर्षण होता हैं। किसी का अच्छा लगना ही प्यार की पहली सीढी होती है और मैं मन ही मन उस सीढी पर चढने लगा। वह एक दिन नजरों के सामने न आये तो मन बेचैन हो जाता। ऐसा ही कुछ उसके भी साथ था। जैसे ही “शाम को स्कूल से आती किसी न किसी बहाने मेरे घर जरूर आती। फिर जेैसे ही, ‘शाम ढलने लगती अपने घर चली जाती। सवाल था पहल कौन करे? वह कुछ जताने से रही लिहाजा मुझे ही कुछ करना था। एक दिन मौका पाकर अपने मन की बात उससे कह दी। उसके गालो पर सलज्ज मुस्कान के भाव तिर गये। नजरें नत हो गयी। एक तरह से उसने मेरे प्रस्ताव को मैान स्वीकृति दे दी। मेरा उत्साह बढकर दुगना हो गया।
इसके बाद हमदोनों पडोसी न होकर प्रेमी प्रेमिका हो गये। एक देापहर मैं मीनाक्षी के घर पर आया। बहाना था ग्रामर की किताब लेने का। उस समय वह अपने कमरे में पीठ के बल लेटी थी। घर के सभी सदस्य बाहर गये थे सिवाय मां के जो दूसरे कमरे में सोयी हुयी थी। मैंने बिना देर किये उसके गालों पर एक चुबंन जड़ दिया। उसके गाल गुलाब की तरह सुर्ख हो गये। वह सकपकाकर उठ कर बैठ गयी। उसे मुझसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। मुझे लगा वह मेरे इस दुस्साहस का प्रतिरेाध करेगी। इसके विपरीत वह क्षणांष विचलित हुयी फिर किचिंत “शर्माते हुए बोली,‘‘बहुत छूट दे दिया।’’एक तरह से उसने मुझे मर्यादा में बंधने की चेतावनी दी। वही यह मखमली एहसास देर तक मेरे अंतस को गुदगुदाता रहा।
पहला प्यार और पहला चुंबन वह यादगार लम्हा हेाता है जो ताउम्र इंसान केा ताजगी देती है। यह उस बासंती बयार की तरह होती है जिसके स्पर्श मात्र से ही रोम रोम पुलक उठता हैं। उम्र के उस पडाव पर जब नयी यादों के बेवफा होते देर नहीं लगती तब यही यादें एक अमानत की तरह हमें जवां रखती है। हमारे ''शेष'' जीवन के लिए प्राणवायु का काम करती है। तब लगता है मानो वक्त ठहर गया और हम फिर से उन लम्हों मे पहुंच गये जब मीनाक्षी और मैं देर तक प्रेम में डूबे सुनहरे कल का ख्वाब संजोये कल्पनाओं के सागर में डूबते उतराते।
