Hindi Kahani "Ek Lockdown Aisa Bhi"

Hindi Kahani “Ek Lockdown Aisa Bhi”

Hindi Kahani : कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगा की पूरी दुनिया बस खिड़की से झांकती रह जाएगी।  खिड़कियों से झांकती आंखों में दो जोड़ी आंखें सिया और जान्हवी की भी थीं . सिया और जान्हवी जो पुणे में अपनी फैमिली के साथ रहते थे. इधर लगभग पूरी दुनिया के राष्ट्र प्रमुख राष्ट्रों में लॉक डाउन की घोषणा करने लगते हैं और थम जाते हैं पहिए रेलों के;कारों,बसों की आवाज़ अब सुनाई नहीं देती मेट्रो तो जैसे पटरियों पर चलना ही भूल गई और हवाई जहाज जमीनों पर आ गए।

घर से निकलना अब बंद हो गया या कहें कि हम घर को लौट आए और एक बार मौका मिला अपने आशियाने में वाकई में बसने का जिसे ना जाने कितनी मिन्नतों,ख्वाबों और एहसासों से तिनका-तिनका जोड़कर बनाया था।

दुनिया के कई देशों में अब लॉक डाउन हो चुका था पर क्या यह लॉक डाउन जिसने एक महामारी पर कमोबेश ब्रेक लगाया क्या यह सफल हो पाता यदि वह ना होती वही खिड़की से झांकती एक जोड़ी आंखें। 
तालाबंदी से सरकारी दफ्तर ,प्राइवेट कंपनियां, फैक्ट्रियां सब बंद हो गए पर काम नहीं। सिया और राजीव की शादी को 8 साल हो गए थे राजीव की सरकारी नौकरी थी , अपने मां बाप का इकलौता बेटा था उसके पिता रिटायर्ड सरकारी अधिकारी थे। मां और पिता राजीव के साथ ही रहते थे उनका बेटा रोहन सबका लाड़ला था। 

राजीव ने सिया से कहा कुछ पता है तुम्हें दुनिया में क्या चल रहा है, सिया ने कहा हां कोई बीमारी आ गई है जिसमें सरकारें लोगों को लोगों से दूर रहने कह रही हैं। राजीव तपाक से कह पड़ा बीमारी नहीं कोरोना वायरस है, चीन से शुरू हुआ है और अब तो हमारे यहां भी आ गया है अब देश में लॉकडाउन हो रहा है आज ही मुझे मेल आया है कि अगले आदेश आने तक ऑफिस का काम घर से ही करना है। 
सिया ने कहा हां रोहन के स्कूल से भी मैसेज आया है कि नेक्स्ट इंफॉर्मेशन आने तक स्कूल बंद रहेंगे अपनी बात खत्म होने के पहले ही सिया का मन जैसे मयूर हो गया झूम रहा था। जिन पतिदेव के पास उसके लिए वक्त नहीं होता था अब वह दिन रात उसके साथ रहेंगे रोहन तो स्कूल, ट्यूशन, एक्टिविटी क्लासेस के बाद बस सोने लायक बच पाता था अब उसके चहकने से घर के कोने महकने लगेंगे।

आज पूरी दुनिया चिंता में थी पर वो खुश थी, राष्ट्र दुविधा में थे पर वो खुश थी ,देशों के प्रमुख सोच में थे पर वो खुश थी। सिया अपने कपड़े लेकर बाहर आई तो देखा जान्हवी घर में आए कोरियर को सेनिटाइज कर रही थी, सिया ने जान्हवी से कहा क्या कर रही हो?

Hindi kahani , कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगा की पूरी दुनिया बस खिड़की से झांकती रह जाएगी।  खिड़कियों से झांकती आंखों में दो जोड़ी आंखें सिया और जान्हवी

जान्हवी सिया को देखकर खुश हो गई यूं तो जान्हवी एक बड़ी आईटी कंपनी में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थी और सिया एक हाउसवाइफ अभी दो साल पहले ही सिया के बगल वाले घर में जान्हवी, राघव और उसकी बेटी काव्या रहने आए थे पर ऐसा लगता था वह एक दूसरे को हमेशा से ही जानती हैं।

सिया हर समय जान्हवी को ऑफिस जाते आते देखती और सोचती जान्हवी कितनी किस्मतवाली है, किसी पर डिपेंडेंट नहीं है खुद कमाती है और एक मैं हूं जो कुछ कर नहीं पाई और इस तरह हमेशा जान्हवी से इंस्पायर्ड रहती थी और जान्हवी उसे हमेशा मैजिशियन होम क्वीन सिया कहती थी। 

सिया ने जान्हवी से पूछा तुम्हारा ऑफिस भी बंद हो गया क्या?जान्हवी ने लगभग झूमते हुए कहा, हां सिया मुझे और राघव दोनों को अब वर्क फ्रॉम होम ही करना है, काव्या और रोहन के स्कूल भी सस्पेंड हो गए हैं ना, मैसेज मिल गया तुम्हें, सिया ने कहा हां। तभी राघव ने जान्हवी को आवाज दी तुम्हारा फोन बज रहा है!जान्हवी ने सिया को बाय किया दोनों अपने काम में लग गए।

साथ में यह भी सोचने लगीं कि लॉकडाउन के बहाने ही सही अब मेरा परिवार मेरे साथ है पर वह नहीं जानती थी कि शायद उनका साथ किसी को चाहिए नहीं था, चाहिए था तो बस आराम और किचन से हर वक्त के खाने में आने वाले पकवानों की खुशबू । पर वो खुश थी , उसने गर्मी में खुद को पिघलाया रसोई में और सास-ससुर, पति और बच्चे सबकी उंगलियां चटखारो में डूबा दीं।

हां दोनों की मेड शांता जो उनके हिस्से का कुछ काम कर लेती थी वो  भी लॉकडाउन में है और इन्ही की तरह वह भी खुश थी । फोन पर कह रही थी भाभी मुझे कब तक नहीं आना ? सिया ने कहा – मैं बताऊंगी तू अपना और बच्चों का ध्यान रखना , कुछ जरूरत हो तो मुझे बताना और हां अपने आदमी को कहना पीकर तेरे साथ मारपीट न करे।

अब सिर्फ शांता के हिस्से के काम ही नहीं  बल्कि और ना जाने कितनी फरमाइशें इच्छाएं डिमांड पूरी करने वाली जिन्न बनने वाली थीं वो कि बस कहो और हाजिर। दिन गुजरने लगे और रातें भी पति जब हर समय पास हो तो वक्त कौन  देख पाता है हफ्ते गुजरते गए महीने भी और बढ़ता गया लॉकडाउन ।

एक दिन स्कूल से मैसेज आया कि क्लासेस ऑनलाइन होंगी। बस यही एक कसर बाकी थी सो वो भी हो गई छोटे बच्चों को तो मां ही पढ़ा सकती है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसके दादा-दादी पापा या घर में हर कोई कितना एजुकेटेड है अब तो सुबह से शाम चल रहा था तो बस काम। शरीर तो कब का जवाब दे चुका था पर तब मन खुश था क्योंकि सब खुश थे। पर मन अब थकने लगा था, अब पति से आती हुई पुरवाई गुदगुदाती नहीं थी बच्चों से घर के कोने नहीं चहकते थे , आशीष के हाथ अब नहीं उठते थे।

आज जान्हवी की 10:00 बजे से वर्चुअल मीटिंग थी कल ही उसने राघव को बता दिया था पर किसको परवाह थी? इधर मीटिंग का वक्त हो रहा था और उधर राघव और काव्या दोनो नींद पूरी कर रहे थे। वर्क फ्रॉम होम की जब खबर मिली थी तो जान्हवी ने सोचा था चलो घर पर रहेंगे राघव और काव्या के साथ इत्मीनान से काम भी होता रहेगा और थोड़ा आराम भी शायद उसे जरा भी अंदाज़ नहीं था कि वर्क फ्रॉम होम के पहले और बाद में एक बहुत बड़ा टास्क था वर्क फॉर होम का जिसे उसे अकेले खुद ही पूरा करना है।

जान्हवी जरा देर से मीटिंग ज्वाइन कर पाई तो बॉस की फटकार सुन ही  रही थी कि इधर टीवी पर रामायण देखते हुए राघव ने काव्या से कहा खाओ यह ब्रेड-टोस्ट, कुछ और नहीं मिलने वाला आज, मना किया था मत करो नौकरी, क्या जरूरत है,  मैं तो कर ही रहा हूं घर पर रहो ,घर की, बच्चे की देखभाल करो पर इन्हें तो इंडिपेंडेंट बनना है और किसी से कोई मतलब नहीं ।

हर तरफ से मिलने वाली इस उलाहना से जान्हवी की आंखें भर आईं उसे याद आ गया किस तरह न्यूजीलैंड में कंपनी के एक बड़े प्रोजेक्ट के लिए उसे प्रोजेक्ट हेड चुना गया था पर राघव और काव्या की वजह से उसने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को न कह दिया था जो उसके कैरियर को ना जाने कितनी ऊंचाई दे जाता ।

इधर सिया पापा जी को चाय देने गई तभी रामायण में सीता अग्नि परीक्षा दे रही थी पर ना जाने क्यों सीता की उस तपन को आज सिया और जान्हवी खुद में महसूस कर रही थीं।

अब लॉकडाउन में कुछ ढील देने की बातें चल रही थीं, खिड़की से झांकती आंखों को कुछ पाबंदियों के साथ आजादी मिलने वाली थी।  राजीव ने कहा, सिया मेल आया है मुझे ऑफिस जाना है और रोहन के स्कूल का मैसेज है ऑनलाइन क्लासेस समर वेकेशन में अभी बंद रहेंगी ।

आज राजीव तैयार होकर इतने दिनों बाद काम पर जा रहे थे पर ना जाने क्यों वो खुश थी । राघव को अभी घर से ही काम करना था, जान्हवी ने ऑफिस जाने के लिए अपनी गाड़ी मैं बैठकर बालकनी में खड़ी सिया को  बाय किया  तभी शांताबाई काम पर आ गई और बोली जान्हवी मैडम आप जाइए पहले मैं आपका ही काम करूंगी फिर सिया भाभी के घर जाऊंगी।

आज फिर सिया और जान्हवी जिंदगी का अपना सिर्फ अपना हिस्सा जीने वाली थीं  छोटी ही सही पर सिर्फ उनके हिस्से की जिंदगी… पर मन तो चंचल है ना उसे कौन समझाए, राजीव के ऑफिस जाते ही सिया को याद आने लगा दोपहर में राजीव का उसकी गोद में सर रखकर लेटना ड्राइव करते हुए जान्हवी के सामने राघव की आंखों की वो शरारतें घूमने लगीं जो मेज के दूसरी तरफ से काम करते हुए उसके साथ करता था।

कितना अच्छा होता यदि सब बांट लेते थोड़ी-थोड़ी जिम्मेदारी; तभी एफएम पर बता रहे थे सर्तकता को देखते हुए अभी हर सैटरडे संडे लॉकडाउन रहेगा ।

बस दोनों फिर से करने लगे इंतजार एक बार फिर किसी उम्मीद के साथ कि उन्हें भी मिलेगा उनके हिस्से वालालॉक डाउन*

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