छुअन तेरे की सुख अनुभूति-गृहलक्ष्मी की कविता: Grehlakshmi Hindi Poem
Chuan Tere ki Sukh Anubhuti

Hindi Poem: दे दे मुझको स्पर्श कोई मां तेरे जैसा
याद में तेरी तरस रही हूं, प्यार हो ऐसा

इस धरती पे आने से पहले
मैंने तेरा ही स्पर्श जाना
अंश तेरा बना मेरा जीवन
तेरा उदर था मेरा ठिकाना
मैं ना जानूं इस दुनिया को कौन करें कैसा
दे दे मुझको स्पर्श कोई मां तेरे जैसा।

मृत्यु तुल्य प्रसव पीड़ा सह
मां ने मुझको जन्म दिया
दर्द सह गई क्रोध न आया
आंचल से ले बांध लिया
मेरे दुख में दुखी बड़ी सुख में सुखी हमेशा
दे दे मुझको स्पर्श कोई मां तेरे जैसा।

मैं अबोध अज्ञानी बालक पर
तेरे आंचल को पहचान सकूं
दुग्ध धार तेरे आंचल की
मन भर भर पयपान करुं।
तेरी छवि है मात अलौकिक दूजा नहीं तेरे जैसा
दे दे मुझको स्पर्श कोई मां तेरे जैसा।

छुअन तेरे की सुख अनुभूति
फिर से मां एक बार करें
भाल पे हाथ फिरा दे माता
आ अलका मन याद करे
क्या बुआ क्या मामा मासी नहीं कोई तेरे जैसा
दे दे मुझको स्पर्श कोई मां तेरे जैसा।

दे दे मुझको स्पर्श कोई मां तेरे जैसा
याद में तेरी तरस रही हूं, प्यार हो ऐसा