bhale aadamee
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महात्मा बुद्ध के शिष्य पुन्न ने तप करने के बाद अनुभव किया कि अब उसे अपने देश जाना चाहिये और वहाँ बुद्ध के उपदेशों का प्रचार करना चाहिये। इसके लिए उसने बुद्ध से आज्ञा चाही। बुद्ध ने तुरंत आज्ञा नहीं दी। परीक्षा के लिए उन्होंने उससे कई प्रश्न किये। बुद्ध बोले, “पुन्न! सूनापरंत में तो जंगली खूंखार जातियाँ रहती हैं, वहाँ के लोग निर्दय और कठोर स्वभाव के होते हैं। वे आये दिन लोगों को गालियाँ देते हैं और तरह-तरह से तंग करते हैं। यदि उन्होंने तुम्हें गालियाँ देना शुरू किया और तंग किया तो तुम कैसा अनुभव करोगे?”

पुन्न ने कहा, “मैं अनुभव करूंगा कि सूनापरंत के लोग बड़े भले और रहमदिल हैं। कम-से-कम वे न मुझे मार रहे हैं, न मुझ पर धूल डाल रहे हैं।”

बुद्ध बोले, “यदि उन्होंने तुम पर धूल डाली और तुम्हें मारा, तब तुम क्या करोगे?” पुन्न ने कहा, “मैं अनुभव करूंगा कि ये भले आदमी हैं, कम-से-कम मुझे डंडे या अस्त्र से तो नहीं मार रहे हैं।”

बुद्ध ने कहा, “यदि उन्होंने तुम पर डंडे या अस्त्र से प्रहार किया तो?” पुन्न ने उत्तर दिया, “मैं तो अनुभव करूंगा कि ये लोग भले हैं, कम-से-कम मेरे प्राण तो नहीं ले रहे हैं।”

बुद्ध बोले, “पर पुन्न! मान लो कि उन्होंने तुम्हारे प्राण ही ले लिये तो?” पुन ने कहा, “तब भी मैं उन्हें भला ही मानूंगा। अनुभव करूंगा कि ये मुझे इस सड़े शरीर से मुक्त कर रहे हैं। मैं उन्हें उनकी सेवाओं के लिए धन्यवाद दूँगा।”

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)