भारत कथा माला
उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़ साधुओं और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं
बाहर बारिश हो रही थी। दादी बिस्तर में लेटी थी। अचानक उसकी पोती कमरे में आई और अपनी दादी को जागते देख उनसे कहने लगी, “दादी, दादी! मुझे नींद नहीं आ रही है। आप बताएँ कि मैं क्या करूँ?” दादी ने बड़े प्यार से कहा- सोने की कोशिश करो, मेरी प्यारी बच्ची।
“कोशिश करने के बाद भी नींद नहीं आ रही है, पोती ने कहा। “अच्छा चलो, तुम्हें एक कहानी सुनाती हूँ।” यद्यपि दादी काफी थकी हुई क्योंकि वह पूरे दिन खेत में व्यस्त थी, लेकिन दादी अपनी पोती को नाराज नहीं करना चाहती थी। दादी ने कहा- आओ, बिस्तर में बैठो, मैं तुम्हें एक बहादुर लड़की की कहानी सुनाती हूँ।
मेघालय के मिल्लिएम नामक गांव में एक परिवार रहता था। उस परिवार में नौ लोग थे। माँ-पिता के साथ छः भाई-बहन रहते थे। सुबह सभी बच्चे स्कूल जाते थे और स्कूल के बाद दोपहर में खेती करते थे। वे मेहनती बच्चे थे। सभी आपस में स्नेह, प्रेम और मिल-जुलकर रहते थे। खेत से घर की ओर लौटते समय पंक्ति बनाकर चलते थे जिसमें सबसे बड़ा भाई पीछे और सबसे छोटा भाई आगे। धूम, स्लिप, धीप और फिलिफ यह सभी लड़कों का नाम है और आईसी, दलियन और लू लड़कियाँ थीं।
सन 1971 ई. भारत, बांग्लादेश की स्वतंत्रता में सहयोग कर पाकिस्तान के साथ युद्ध कर रहा था। इस समय में मेघालय में रहने वाले लोगों के लिए दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं होता था फिर भी सब मेहनत करके किसी तरह भोजन की व्यवस्था करते थे। भोजन के लिए लोग आलू उगाते थे। मिल्लिएम गांव बांग्लादेश जाने वाले रास्ते में पड़ता है। इस गांव से होकर सेना का हथियार से भरा ट्रक जाता था। युद्ध का समय था फिर भी लोग जान हथेली पर लेकर खेती और अपने काम के लिए घर से निकलते थे।
दिलियन की उम्र 15 वर्ष थी। एक दिन वह किसी कारण घर देरी से पहुँची, धूम ने उसको सभी के लिए भोजन तैयार करने की जिम्मेदारी दी। दलियन ने भोजन पकाया और पैक करके घर से निकली। रास्ते में सेना के बहुत सारे ट्रक एक पंक्ति में तेजी से चल रहे थे। दलियन सड़क के किनारे-किनारे से चल रही थी। अचानक तेजी से आते एक ट्रक ने उसको टक्कर मारी और वह बेहोश हो गयी। जब उसकी आँखें खुली तो वह बिस्तर में लेटी हुई थी।
उसने अपने भाई से पूछा, “कहा हूँ भाई?” यह सुनकर उसका भाई जोर-जोर से रोने लगा और बताया, “बहिन, तुम अभी हॉस्पिटल में हो, तुम्हारे साथ दुर्घटना हुई है।” यह सुनकर दलियन भी रोने लगी। जब उसका ध्यान अपने शरीर की ओर गया तो देखा कि उसका दायाँ हाथ नहीं है। वह जोर-जोर से रोने लगी जब डॉक्टर ने उसको बताया कि उसने अपना दाहिना हाथ एक्सीडेंट के कारण खो दिया। जिस हाथ से वह खाती, लिखती और काम करती, अब वह नहीं रहा। इस हादसे से दलियन की जिंदगी बिलकुल बदल गई।
दलियन और लड़कियों से अलग एक बहादुर लड़की थी। वह स्कूल जाकर पढ़ाई करती और खेत में भी काम करने जाती। दलियन अब पहले जैसी लड़की नहीं रही। गांव के सभी लोग उसको अपंग (लूली) लड़की कह कर बुलाते थे। दलियन जब पांचवी कक्षा में पढ़ रही थी, उसकी माँ और पिताजी का निधन हो गया था। उसके बाद वह स्कूल नहीं जा सकी, न ही उसके भाई-बहन। अब वे सभी भाई-बहिन स्कूल न जाकर सिर्फ खेती और काम करने जाते थे। दलियन भी घर-घर जाकर छोटा-मोटा काम करने लगी। वहाँ से उसको पैसे मिलते थे, उसमें से वह अपने भाई को देती और कुछ पैसे बचाकर रखती थी।
दलियन 25 वर्ष की हो गई। फिर भी अपंगता उसे मेहनत करने से नहीं रोक पाया। जब वह 26 वर्ष की हुई, उसके जीवन में एक प्रेमी आया और दोनों ने भाइयों की सहमति से शादी करके अपना घर बसा लिया। दोनों पति-पत्नी मेहनत से काम करते रहे ताकि आने वाले उनके बच्चों को परेशानी न हो। दलियन सिर्फ एक हाथ के सहारे से खेती करती थी। भगवान से प्रार्थना करती थी कि उसको स्वास्थ्य अच्छा दे और वह हर हालात में खुश रहे। बस उसकी इतनी ही इच्छा थी। कुछ साल बाद उसको एक लड़का हुआ और फिर लड़की। दलियन अपने बच्चों का प्यार-स्नेह से पालन-पोषण करती। अब वह दूर-दूर जाकर काम करती। जब लड़का बड़ा हो गया, उसका स्कूल में दाखिला करवाया। कुछ साल बाद लड़का कक्षा दसवीं पास होकर सेना में भर्ती हो गया। इस तरह दलियन की मेहनत रंग लाई और उसके परिवार में खुशियाँ लौट आईं।
रात काफी हो गई और पोती को भी नींद आ रही थी। दादी ने पूछामेरी कहानी कैसी लगी? पोती नींद में बोली- बहुत अच्छी। मेरी प्यारी दादी, मैं भी खूब मेहनत और पढ़ाई करूँगी। यह सुनकर दादी बिलकुल खुश हो गयी और कहा, “चलो अब सो जाओ”। दादी ने फिर पोती को कम्बल उढ़ाया और खुद भी सो गई।
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’
