babli ke sapne
babli ke sapne

भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

ये बात 1999 की है, जब ओडिशा में चक्रवाती तूफान आया था। सुबह जागने के बाद, बबली अपनी दिनचर्या पूरी करने के बाद अपने गाँव की देवी माँ भगवती की पीठ पर जाती हैं। हर शाम बबली माँ भगवती के आँगन में धूप जलाती है। वह अपने पूरे मन की बात माँ को बता कर घर लौटता है। उस दिन गुरुवार था। आकाश में, बादलों की एक काली छाया बन गयी थी, और हवा का गर्जन सुनाई दे रहा था। भारी बारिश भी हो रही थी। गाँव के लोग तूफान के बारे में बात कर रहे थे।

उस समय गाँव में बिजली, टीवी या मोबाइल नहीं था। चिराग पर थोड़ा तेल डालकर बबली मंदिर जा रही थी, क्योंकि उसके माता-पिता उस समय कुजांग में थे। घर पर नहीं थे। वह बहुत डरी हुई थी। इस समय ठीक 10 बजे अचानक जोरो से तूफान आ गया, हवा का तेज बढ़ रहा था। चारों तरफ हा-हाकार मच गया था। सड़कों पर गहरा अंधेरा छा गया था, एक-दूसरे का चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था, रेडियो बार-बार रिपोर्ट कर रहा था कि पारादीप द्वीप पर विनाशकारी बाढ़ आ रही है। उसके बाद जल्द ही बांध टूट जाएगा। बबली के पिता भी कुजंग में थे! कुजंग से दलेइघाई एक या दो किलोमीटर दूर था। गांवों के लोग ये बातें कर रहे थे, अगर बांध टूटा तो बबली के माता-पिता कभी घर नहीं लौटेंगे।

बबली गाँव के लोगों की बात सुन रही थी। उसकी आँखों में आँसू आ जाती थी। और मन में सोच रही थी माँ भगवती! क्या सच में मेरे माता-पिता कभी गाँव नहीं लौटेंगे? शाम को तूफान लगभग खत्म हो गया था, बबली ने तूफान के थमने के बाद दरवाजा खोला, और गावों के लोग उसके पास आ कर बोल रहे थे- माँ भगवती की प्रार्थना कर कि तेरे माता-पिता अच्छे से वापस लौट आयें।” वह नहीं जानती थी कि माँ को बुलाने से क्या होता है, ये सोच कर कब उसकी आंख लग गयी उसको पता नहीं चला। लगभग 3 बजे, बबली ने एक सुंदर महिला का सपना देखा, जो उसे बुला रही थी और उसके नरम हाथ बबली के सर पर रख कर कह रही थी कि तम्हारे पिता कल ठीक 3 बजे जरूर आयेंगे, तम चिंता मत करो।

ये सुन कर बबली जोर से रोने लगी। बाबुली ने रोते हुए कहा, “आप कौन हो माँ? क्या तुम सच कह रही हो?” क्या मेरे पिताजी सच में वापस आएंगे? माँ ने मस्कराते हए कहा. “मैं दर्गा हं. मैं तझसे वादा कर रही हूं कि तेरे पिता कल जरूर आयेंगे। इस बात का बबली को विश्वास नहीं हो रहा था, लेकिन वह अभी भी मन को शांत कर रही थी। जब अलार्म बजा तो सुबह का वक्त था, अब बबली की नींद टूट गई और वह दिन भर घड़ी देखती रही। अचानक, जब गाँव में कुछ बच्चे दौड़ते हुए आए, तो उन्होंने बबली को बुलाया और कहा, “चलो, देखते हैं कि तुम्हारे पिताजी आ गये हैं” उसके पिता को देखने के लिए गाँव के लोग दौड रहे थे। उस समय बबली घड़ी को देख रही थी, घड़ी में ठीक दोपहर 3 बज रहे थे, और बबली चिल्लाकर बोल रही थी कि “माँ, आप सही थीं, आप सच बोल रहे थीं, माँ! आप सही हैं।”

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’