Hindi Story: बसन्ती की सहेली रेखा ने उसे गले लगाते हुए खुशी से बताया कि मेरे घरवालों ने आज मेरी शादी तय कर दी है। अब क्योंकि तुम ही मेरे सबसे करीब हो तो इसलिये शादी के सफर को रंगीन और हसीन बनाने के लिये तुम्हें ही मेरी मदद करनी होगी।
बसन्ती ने कहा कि मुझे तो जो कुछ कहेगी मैं कर दूंगी। लेकिन एक बात तुझे अभी से समझा देती हूं कि शादीशुदा जिंदगी के सफर में खुशियां कम और कांटे अधिक होते हैं। रेखा ने बसन्ती से कहा कि देखने में तो आप दोनों पति-पत्नी बहुत खुश दिखाई देते हो फिर भी ऐसी अजीब-सी बातें क्यूं कर रही हो? मैं तो जब कभी तुम्हारे घर आती हूं तुम बड़े ही प्यार से अपने पति को ’ऐ जी’, ‘ओ जी’ कह कर बुलाती हो। बसन्ती ने रेखा से कहा कि पति-पत्नी के रिश्ते में चाहे कितनी ही अनबन क्यूं न हो, लेकिन दूसरे लोगों के सामने हर औरत पति को ’ऐ गधे’ या ’ओ गधे’ कह कर तो नहीं बुला सकती। इसलिये हर औरत अपने पति को ’ऐ जी’, ’ओ जी’ कह कर बुलाती है।
रेखा ने बसन्ती से कहा कि क्या तुम्हारे घरवालों ने शादी से पहले जीजाजी के बारे में अच्छे से जांच-पड़ताल नहीं की थी। बसन्ती ने जवाब दिया कि घरवालों ने तो सब कुछ किया ही था, मैंने भी कई प्रकार के व्रत और पूजा की थी। अपनी मौसी के कहने पर मंत्रत नाम की एक नदी में बहुत सारे पैसे भी डाले थे ताकि मेरी शादी किसी अच्छे से लड़के से हो सके। रेखा ने हैरान होते हुए पूछा कि फिर क्या हुआ? बसन्ती ने बताया कि जब शादी के बाद मैंने मंत्रत नदी से इस बारे में शिकायत की तो मुझे यह जवाब मिला कि जितने पैसे तुमने दिये थे उसमें तो ऐसा लड़का ही मिल सकता था। अभी यह दोनों सहेलियां बातें कर ही रही थी कि बसन्ती का पति वीरू दारू के नशे में टुन्न होकर झूमता हुआ घर में घुसा। दरवाजे पर बसन्ती के हाथ में झाड़ू देखते ही वीरू उससे बोला कि डार्लिंग क्या बात है, आज अभी तक तुम्हारा काम खत्म नहीं हुआ। अब जल्दी से यह झाड़ू वगैरह छोड़ो और मेरे लिये खाना बना दो, बहुत जोर से भूख लगी है।
जैसे ही बसन्ती रसोईघर में खाना बनाने के लिये गई तो रेखा ने वीरू से कहा कि जीजाजी मैंने सुना है कि जो लोग शराब पीते हैं उनकी कोई भी दुआ कुबूल नहीं होती। वीरू ने नशे में जोर से हंसते हुए कहा कि जिन्हें दारू मिल जाती है उन्हें दुआ की जरूरत ही नहीं होती। वैसे आज तुम हमारे घर का रास्ता कैसे भूल गई। रेखा ने मिठाई का डिब्बा वीरू की तरफ बढ़ाते हुए कहा कि आज मेरी सगाई हुई है। उसी की मिठाई आपके लिये लेकर आई थी। वीरू ने रेखा से कहा- ‘अगर सच में अपना जीजा मानती हो तो आज अपने हाथ से मिठाई खिलाओ।’ रेखा ने वीरू से कहा कि जीजाजी मैंने तो अभी तक यही देखा है कि एक पत्नी के रहते हुए दूसरी लड़कियों से दोस्ती करना शादीशुदा जिंदगी में बहुत बड़ी मुसीबत पैदा कर देती है। दारू के नशे में झूमते हुए वीरू ने जवाब दिया कि कायर लोग तो मुसीबत को देखते ही उससे डर कर दूर भागते हैं। जबकि बहादुर लोग ही डट कर मुसीबतों का मुकाबला करते हैं।
अभी इन दोनों में बातचीत चल ही रही थी कि बसन्ती वीरू के लिये खाने की थाली लेकर आई। खाने की थाली को देखते ही वीरू जोर से चिल्लाया कि आज खाना तुम्हारी बूढ़ी मौसी ने बनाया है। पास बैठी रेखा ने कहा कि जीजाजी यह तो कमाल हो गया। आपने अभी थाली में पड़े हुए खाने को हाथ भी नहीं लगाया और आपको कैसे मालूम हो गया कि खाना बसन्ती ने नहीं मौसी ने बनाया है? वीरू ने कहा कि कल तक खाने में काले बाल दिखाई देते थे, आज यह देखो थाली में सफेद बाल नज़र आ रहे हैं। रेखा ने वीरू के गुस्से को थोड़ा ठंडा करते हुए उससे कहा कि मेरी सहेली बसन्ती आपसे हर समय प्यार से बात करती है और आप उसे हर समय डांटते रहते हो। वीरू ने कहा कि तुम्हें किस ने कह दिया कि बसन्ती मुझे प्यार से बुलाती है। हां जब हमारी नई-नई शादी हुई थी, उन दिनों यह जरूर जानू-जानू कहती थी। कुछ समय बाद इसने ’ऐ जी’, ’ओ जी’ कह कर बुलाना शुरू कर दिया। उसके बाद तो यही सुनने को मिलता है ’अजी सुनते हो’। मुझे तो लगता है कि और कुछ दिनों बाद यह मुझे इस तरह से बुलाया करेगी कि ’ओ कहां मर गये हो, इतनी देर से पप्पू तुम्हारी जान को रो रहा है’।
रेखा ने बात को हंसी-मज़ाक में टालते हुए कहा कि किसी ने सच ही कहा है कि पति की जिंदगी सुधारने के लिये एक पत्नी का होना बहुत जरूरी है। वीरू ने उसे रोकते हुए झट से कहा-‘लेकिन तुमने शायद यह नहीं सुना कि एक पत्नी को सुधारने के लिये सारी जिंदगी भी कम है।’ रेखा ने वीरू को कहा-‘यदि तुम दोनों एक-दूसरे को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे तो फिर शादी क्यूं की।’ वीरू ने कहा कि तुम्हारी सहेली बसन्ती के बारे में तो मैं कुछ नहीं कह सकता, लेकिन मैंने तो मजबूरी में तुम्हारी सहेली से शादी की थी। रेखा ने कहा कि कैसी मजबूरी थी जो आपको यह शादी करनी पड़ी। वीरू ने जवाब देते हुए कहा कि मैंने तुम्हारी सहेली से वादा किया था कि मैं उसके लिये दुनिया के सारे दुःख और तकलीफें झेल सकता हूं। बस वो वादा निभाने के लिये मुझे यह शादी करनी पड़ी। रेखा ने वीरू से कहा कि उम्र और तजुर्बे में आप मेरे से कहीं अधिक जानते होंगे। परंतु जहां तक मैंने जिंदगी को जानने की कोशिश की है तो यही पाया है कि हम अपने आपको हर काम में निपुण समझ कर दूसरों को ठीक करने की कोशिश करते हैं, यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि हम अपनी शक्ल-सूरत को ठीक करने की बजाए आईने को साफ करने लगते हैं।
जीजाजी प्रेम-प्यार के बिना हमारा जीवन तो बंजर धरती की तरह होता है। रेखा की बातें सुनकर जौली अंकल भी वीरू को यही सलाह देते हैं कि यदि आप चाहते हो कि आपकी पत्नी आपको ’ऐ जी’, ’ओ जी’ कह कर न बुलाये तो फिर आपको अपने जीवन में प्रेम पैदा करना होगा। एक बार जब आप दूसरों के प्रति ईर्ष्या और द्वेश की भावना त्याग देंगे तो फिर आपको सदा ही पत्नी की प्यार भरी आवाज ही सुनाई देगी, आपको कभी भी यह नहीं सुनना पड़ेगा कि ‘अजी सुनते हो’।कोई भी व्यक्ति कभी पूर्ण नहीं होता और कोई भी हर समय नहीं जीतता।
ये कहानी ‘कहानियां जो राह दिखाएं’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं–
