लेकिन कोई इस वजह से कुछ नहीं बोलता था कि मैं बच्ची थी। लेकिन उस दिन जब हम बुआ के घर जा रहे थे तब रास्ते में ही मम्मी ने मुझे डांटते हुए समझा दिया कि वहां जाकर कुछ खाने मत लगना नहीं तो बहुत पिटाई करूंगी। मैं मम्मी की डांट से डरी हुई थी इसलिए जब बुआ ने खाने के लिए कुछ रखा तो मैंने खाने से मना कर दिया। फिर मम्मी भी बोलने लगी कि खा लो, तो मैं तुरंत बोल पड़ी कि रास्ते में तो मना कर रही थी कि कुछ खाना मत नहीं तो बहुत पिटाई करोगी और अब बोल रही हो खा लो। ये सुन कर और मेरा मासूम चेहरा देखकर वहां बैठे सब लोग हंस पड़े। आज भी वो बात याद करके मैं हंस पड़ती हूं।  (-ईशा शर्मा, कानपुर )
2- आपकी शादी में मैं कहां थी?
जब मैं 4 साल की थी तब मैं मम्मी-पापा के साथ एक शादी में गई थी और पहली बार शादी की पार्टी में मैंने दूल्हा दुल्हन को तैयार देखा और जयमाल करते हुए देखा। तब मुझे थोड़ा बहुत शादी के बारे में पता चला। और मेरे लिए शादी मतलब तैयार होकर अच्छी फोटो खिंचवाना और अच्छा खाना ही था। फिर जब मैं घर वापस आई तब मैंने अपने ड्राइंग रूम में अपने पापा-मम्मी की शादी की फोटो लगी देखी। मैं उस फोटो को देखकर चुपचाप बैठकर कुछ सोचने लगी तब मम्मी ने मुझे परेशान बैठा हुआ देखकर पूछा कि बेटा क्या हुआ और मैं गुस्से में बोल पड़ी मम्मी मैं आपकी और पापा की शादी में कहां थी? ये सुनकर मम्मी जोर से हंसने लगीं और मम्मी ने बोला कि तुम ज्यादा शैतानी कर रही थी इसलिए तुम्हें घर पर छोड़ दिया था। आज भी उस बात को याद करके मैं और मम्मी जोर से हंसने लगते हैं।  – (दीप्ति सारस्वत, जयपुर)
3- मेरी बेटी मेढक खाती है
जब मैं छोटी थी तब मेरे घर के गार्डन में बारिश के समय में बहुत से मेढक आते थे। मुझे मेढक इतने प्यारे लगते थे कि मैं उन्हें उठाकर घर ले आती थी। मम्मी-पापा के बार-बार मना करने पर भी मैं नहीं मानती थी और जहां भी मेढक दिखता था दौड़कर पकड़ लेती थी। मम्मी इस वजह से मुझे डांट लगाती थीं कि मुझे मेढक पकड़ने से कोई इन्फेक्शन न हो जाए और पापा भी बहुत प्यार से समझाते थे।  लेकिन मेरा बाल मन कुछ मानने को तैयार ही नहीं था। एक दिन पापा के बेस्ट फ्रेंड घर आए और मेरे लिए ढेर सारी चॉकलेट्स भी लाए। अंकल मुझे प्यार से चॉकलेट्स देते हुए पूछने लगे कि बेटा आपको खाने में और क्या पसंद है वो मैं आपके लिए लाऊंगा। तब तक पापा ने अंकल से बोल दिया कि इसे सिर्फ मेढक पसंद है। जहां भी देखती है दौड़कर पकड़ लेती है और खा लेती है। इस बात पर पापा और अंकल दोनों हंसने लगे, मैं बहुत नाराज़ हो गई। उस दिन से मैंने मेढक पकड़ना छोड़ दिया। आज भी जब वो दिन याद करती हूं तो अपने बचपने पर जोर से हंस पड़ती हूं। –  (भावना तिवारी, लखनऊ )
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1-  मम्मी की डांट
   बात उस समय की है जब मैं 5 साल की थी। मैं अपनी मम्मी के साथ बुआ के घर जा रही थी। तब मेरी आदत थी कि मैं जहां भी जाती थी वहां जो भी खाने को दिया जाता था, बिना किसी के बोले ही खाने लगती थी जो शायद किसी को पसंद नहीं आता था। लेकिन कोई इस वजह से कुछ नहीं बोलता था कि मैं बच्ची थी। लेकिन उस दिन जब हम बुआ के घर जा रहे थे तब रास्ते में ही मम्मी ने मुझे डांटते हुए समझा दिया कि वहां जाकर कुछ खाने मत लगना नहीं तो बहुत पिटाई करूंगी। मैं मम्मी की डांट से डरी हुई थी इसलिए जब बुआ ने खाने के लिए कुछ रखा तो मैंने खाने से मना कर दिया। फिर मम्मी भी बोलने लगी कि खा लो, तो मैं तुरंत बोल पड़ी कि रास्ते में तो मना कर रही थी कि कुछ खाना मत नहीं तो बहुत पिटाई करोगी और अब बोल रही हो खा लो। ये सुन कर और मेरा मासूम चेहरा देखकर वहां बैठे सब लोग हंस पड़े। आज भी वो बात याद करके मैं हंस पड़ती हूं।
-ईशा शर्मा, कानपुर
2- आपकी शादी में मैं कहां थी?
जब मैं 4 साल की थी तब मैं मम्मी-पापा के साथ एक शादी में गई थी और पहली बार शादी की पार्टी में मैंने दूल्हा दुल्हन को तैयार देखा और जयमाल करते हुए देखा। तब मुझे थोड़ा बहुत शादी के बारे में पता चला। और मेरे लिए शादी मतलब तैयार होकर अच्छी फोटो खिंचवाना और अच्छा खाना ही था। फिर जब मैं घर वापस आई तब मैंने अपने ड्राइंग रूम में अपने पापा-मम्मी की शादी की फोटो लगी देखी। मैं उस फोटो को देखकर चुपचाप बैठकर कुछ सोचने लगी तब मम्मी ने मुझे परेशान बैठा हुआ देखकर पूछा कि बेटा क्या हुआ और मैं गुस्से में बोल पड़ी मम्मी मैं आपकी और पापा की शादी में कहां थी? ये सुनकर मम्मी जोर से हंसने लगीं और मम्मी ने बोला कि तुम ज्यादा शैतानी कर रही थी इसलिए तुम्हें घर पर छोड़ दिया था। आज भी उस बात को याद करके मैं और मम्मी जोर से हंसने लगते हैं।
– दीप्ति सारस्वत, जयपुर
3- मेरी बेटी मेढक खाती है
जब मैं छोटी थी तब मेरे घर के गार्डन में बारिश के समय में बहुत से मेढक आते थे। मुझे मेढक इतने प्यारे लगते थे कि मैं उन्हें उठाकर घर ले आती थी। मम्मी-पापा के बार-बार मना करने पर भी मैं नहीं मानती थी और जहां भी मेढक दिखता था दौड़कर पकड़ लेती थी। मम्मी इस वजह से मुझे डांट लगाती थीं कि मुझे मेढक पकड़ने से कोई इन्फेक्शन न हो जाए और पापा भी बहुत प्यार से समझाते थे।  लेकिन मेरा बाल मन कुछ मानने को तैयार ही नहीं था। एक दिन पापा के बेस्ट फ्रेंड घर आए और मेरे लिए ढेर सारी चॉकलेट्स भी लाए। अंकल मुझे प्यार से चॉकलेट्स देते हुए पूछने लगे कि बेटा आपको खाने में और क्या पसंद है वो मैं आपके लिए लाऊंगा। तब तक पापा ने अंकल से बोल दिया कि इसे सिर्फ मेढक पसंद है। जहां भी देखती है दौड़कर पकड़ लेती है और खा लेती है। इस बात पर पापा और अंकल दोनों हंसने लगे, मैं बहुत नाराज़ हो गई। उस दिन से मैंने मेढक पकड़ना छोड़ दिया। आज भी जब वो दिन याद करती हूं तो अपने बचपने पर जोर से हंस पड़ती हूं।
– भावना तिवारी, लखनऊ