लखनऊ के रहने वाले विशाल सिंह बताते हैं कि मैंने भी भूख और गरीबी देखी है, मेरे पिता बीमार थे और उस वक़्त मेरे पास पैसे नहीं थे पर भगवान ने जब मुझे इस लायक बनाया, तब मैंने जरूरतमंद लोगों के लिए कुछ सोचा और अपने पिता के नाम पर ही ‘विजयश्री फाउंडेशन’ की शुरुआत की। वे बताते हैं कि एक वक़्त था, जब मेरे पिता बीमार थे, मेरे पास उतने पैसे नहीं थे कि मैं उनका ढंग से इलाज भी करवा सकूँ, इलाज के लिए पैसे भी जोड़े तो एक रात ऐसी आई, जिसने दिन मेरे पास खाने के पैसे नहीं थे और मैं भूखा ही सो गया। मैं उस वक़्त निराश और हताश था, तभी मैंने ठान लिया था जो आज मुझपर गुजर रही है, मैं औरों पर नहीं गुजरने दूंगा। इसीलिए जिस दिन से मैं सशक्त हुआ, मैंने इस अभियान की शुरुआत की।
चंदा नहीं अनाज की करते हैं मांग
विजय श्री फाउंडेशन ‘प्रसादम’ सेवा की तरफ से चलाये जा रहे लखनऊ मेडिकल कॉलेज में निशक्त तीमारदारों को निशुल्क भोजन दिया जाता है, विशाल लोगों से चंदा के बजाय दो दो मुट्ठी आनाज की मांग करते हैं। विशाल सिंह रोजाना करीब 250 लोगों को भोजन कराते हैं। वे कहते हैं मैं नहीं चाहता कि लोग मुझे इस नेक काम के लिए चंदा दें लेकिन हमें अनाज की जरूरत पड़ती है, इसीलिए मैं सबसे यही अपील करता हूँ कि यदि आप मेरी मदद करना चाहते हैं तो चंदा के बजाय कुछ अनाज दें। इस मुहीम से अब तक 50से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं, जो विशाल की इस अभियान में आर्थिक मदद करते हैं। कई ऐसे लोग हैं जो अपना जन्मदिन या अन्य आयोजन इस मुहीम से जुड़कर करते हैं और केक काटने या किसी बड़े आयोजन में पैसे लगाने के बजाय यहाँ आकर गरीबों को भोजन कराते हैं।
रोज रहता है अलग मेनू
विशाल सिंह बताते है कि विजय श्री फाउंडेशन, प्रसादम सेवा की तरफ से रोजाना अलग- अलग मीनू के हिसाब से खाना बांटा जाता है। कभी चावल दाल, रोटी और छोले की सब्जी तो कभी आलू की सूखी सब्जी बांटी जाती है। खाने में उन्हें मीठा भी दिया जाता है। लोगों को भर पेट भोजन कराया जाता है।
टोकन से मिलता है भोजन
संस्था चलाने वाले विशाल सिंह बताते है कि इस मुहीम के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने एक व्यक्ति मुहैया कराया है जिसे हम 200 टोकन देते हैं, वह तीमारदारों में से गरीबी रेखा वाले लोगों को चुनता है और उन्हें वो टोकन देता है। इस पूरे प्रबंध में हर रोज 10 हजार रूपए का खर्चा आता है। इस लिहाज से हर महीने तकरीबन 3 लाख रुपए का खर्च आता है। इस पूरे मिशन में 8 लोगों को स्टॉफ लगा है जिसपर हर महीने 75 हजार रूपए का व्यय आता है। विशाल कहते हैं कि अब वे इस अभियान को आगे बढ़ाना चाहते हैं और इस समाज सेवा की भावना को जल्द ही ट्रामा सेंटर और फिर नोएडा में आरम्भ करना चाहते हैं।
