नाग या कोबरा  यह फन वाला सांप है ओर अक्सर काले रंग का होता है, जब यह सिर उठाकर फुंकार मारता है तो फन को चैड़ा और चपटा कर लेता है।

धमिन या वायपर  यह प्रायः पीला या कत्थई रंग का चितकबरा और छोटा सांप होता है। यह बड़ी तेज दौड़ता है।

समुद्री सांप यह समुद्र में और कभी-कभी बड़ी झीलों में पाया जाता है यह बड़ा विषैला होता है, इसका शरीर काफी लंम्बा होता है।

सांप कब काटता है  सांप शांत प्रकृतिका जीव है यह किसान का मित्र है प्रायः यह चूहों और अन्य छोटे कीड़े-मकोड़ों आदि को खाकर उनसे फसलों की रक्षा करता है। बिना छेड़े यह कभी नहीं काटता है। यह तभी काटता है जब इस पर पैर पड़ जाये या इसे ललकारा जाये।

सांप के काटने के लक्षण क्या हैं  अलग-अलग प्रकार के विष वाले सांपों के काटने से अलग-अलग प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं।

काले नाग के काटने के लक्षण नाग के विष में तंत्रिका तंत्र को शिथिल एवंम् निष्क्रिय कर देने वाले तत्व मौजूद रहते हैं। काटे जाने के समय उस स्थान पर हल्का सा दर्द होता है। इसके कुछ मिनट बाद से लेकर आधे घण्टें के अंदर रोगी को सुस्ती और नींद आने लगती है, पलकें बंद होने लगती हैं। नाड़ी मंद पड़ जाती है। शरीर ठण्ड़ा और नीला पड़ जाता है। हाथ पैरों की शक्ति बहुत कम हो जाती हैं कभी-कभी दस्त और उल्टी भी होने लगते हैं, और हैजा जैसे लक्षण पैदा होने लगते हैं। इस तरह शरीर का पानी कम हो जाने से एक दो घण्टें में ही रोगी की मृत्यु हो सकती है। र्मूछा की स्थिति में रोगी की सांसे धीमी हो जाती हैं, और धीरे-धीरे बंद हो जाती है। जिससे काटे जाने के एक घण्टें से लेकर दो-तीन घण्टे में ही रोगी मर जाता है। नाग के काटने से अधिकांश मौतें इतनी जल्दी हो जातीं है कि रोगी अस्पताल तक बहुत कम पहुॅच पाता है। यदि रोगी को चैबीस

घण्टे तक बचाया जा सके तो फिर बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।

सांप के काटने से बहुत सी मौतें केवल भय के कारण होती हैं। रोगी प्रायः सांप के जहरीले होने के भय से बहुत डर जाता है। यह डर उसके मन में बुरी तरह बैठ जाता है। ओर वह भय से मूर्छित हो जाता है। यहाॅ तक कि वह मर भी सकता है। चाहे सांप बिना जहर वाला ही क्यों न हो।

धमिन या वायपर के काटने के लक्षण इस सांप के काटने पर कुछ ही मिनटों में काटे जाने वाले स्थान पर काफी दर्द होता है, ओर वह जगह सूजने लगती है। काटने के स्थान से लगातार खून बहता रहता है। सूजन ऊपर की ओर बढ़ने लगती है और धीरे-धीरे पैर और टांग का काफी हिस्सा सूज जाता है। कभी-कभी मूत्र में भी खून आने से उसका रंग काला या लाल हो सकता है। पाखाने में खून आना और उल्टी में खून आने के लक्षण भी हो सकते हैं। ऐसे रोगी को थोड़ी सी चोट लगने पर उस जगह से खून बहना बहुत देर में बंद होता है। एक दो दिन में काटे जाने के स्थान पर कीटाणुं पनपने लगते हैं। ओर वहां मवाद बनने लगता हैं खून की लाल रूधिर कणिकाओं के टूटने (विनष्ट होने) से ह्यूमोग्लोबिन निकलता है। यह गुर्दे में जमा होने लगता है, जिससे गुर्दे कार्य करना बंद कर देते हैं। और रोगी को मूत्र आना बंद हो सकता है। काटने की जगह पर जो मवाद बनता है। वह खून में मिलकर रक्त में विष (सेप्टिसीमिया) को स्थिति उत्पन्न कर सकता है। अधिकतर मौंतें दो तीन दिन के बाद ही होतीं है। मृत्यु के प्रमुख कारणों में गुर्दे की खराबी सेप्टिसीमिया और लगातार खून बहते रहने से होने रक्ताल्पता (खून की कमी या एनीमिया) मुख्य है।

समुद्री सांप के काटने के मुख्य लक्षण इन सांपों के काटने से सांपों के विष से मांसपेशियां गलने लगती हैं। ओर शीघ्र ही गुर्दे खराब होकर कुछ दिनों में रोगी मर जाता है।

सांपों के काटने पर चिकित्या कैसे करें सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि शीघ्रता से सब चिकित्सा समय रहते की जाये। रोगी को अनर्थक रूप में भयभीत होने से बचाया जाये। यदि पैर या हाथ में सांप ने काटा हो तो तत्काल उसके थोड़े ऊपर रस्सी, अंगोछे या रूमाल से खूब कड़ी गांठ उस अंग के चारों ओर बांध देनी चाहिये। ताकि उस स्थान पर से विषैला खून वापस जाकर पूरे शरीर के शेष खून में न मिलने पाये। काटने के स्थान पर प्रायः कुछ विष बाहर घाव पर भी लगा रहता है, अतः एक ऐसे आदमी को, जिसके मुह में काई घाव न हो, उस स्थान पर मुंह लगाकर जोर से जहर चूस कर धूक देना चाहिये। या उस स्थान को पानीसे काफी देर तक धोना चाहिये, इससे बाहर लगा हुआ विष वह जायेगां इतना सब जल्दी से जल्दी कुछ मिनटों में कर लेने के बाद तत्काल यथाशीघ्र रोगी को पास के किसी अहस्पताल में ले जाना चाहिये। उसे सोने नहीं देना चाहिये। गर्म दूध, या चाय या काफी पिलाना चाहिये। गांठ या बंध को एक-एक घण्टे के बाद एक दो मिनट के लिये ढीला करते रहना चाहिये।

खून में पहुंचे हुये विष को निष्क्रिय करने के लिये पालीवेलेण्ट एण्टीस्नेक वीनम सरिम (बहु आयामी सर्प विष मारक दवा) नस के द्वारा खून में चढ़ाया जाता है। यदि समय पर यह दवा रोगी को मिल जाये तो अधिकांश मौतें बचायी जा सकतीं है। यह दवा सभी जिला अस्पतालों और बड़े-बड़े अन्य अस्पतालों में मिलती है।

सांप के काटने से कैसे बचें अंधेरे में कभी नंगे पैर नहीं चलना चाहिये। खेतों मेंकाम करते समय भी नंगे पैर नहीं रहना चाहिये। यदि पानी मेंकाम करना पड़े तो प्लास्टिक के जूते अवश्य पहने रहना चाहिये। अंधेरे स्थान में हाथ से कुछ ढूढ़ने के बजाय रोशनी करके काम करना चाहिये। यदि कहीं सांप दिखाई पड़ जाये तो उसे छेड़ना नहीं चाहिये, बल्कि उसे चुपचाप चले जाने देना चाहिये। बरसात के मौसम में जम़ीन पर नहीं सोना चाहिये और इस मौसम में सोने से पहले सारे बिस्तर पके कपड़ों को अच्छी तरह से देखभाल कर उन्हें झाड़ कर बिछाना चाहिये।