thyroid symptoms and treatment
thyroid symptoms and treatment

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थायराइड को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन का आंकड़ा डराने वाला है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करने वाला यह रोग। यह रोग पीड़ित शख्स के हार्मोन से लेकर फर्टिलिटी तक को प्रभावित कर सकता है।

Thyroid Genetic Risk: थायराइड‘, एक ऐसा रोग जिससे भारत में लगभग 42 मिलियन लोग प्रभावित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह आंकड़ा डराने वाला है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करने वाला यह रोग, सुनने में भले ही एक छोटी बीमारी लगे। लेकिन असल में यह पीड़ित शख्स के हार्मोन से लेकर फर्टिलिटी तक को प्रभावित कर सकता है। यहां तक कि आपकी आने वाली पीढ़ियों पर भी इसका असर हो सकता है। क्या है थायराइड के कारण और कैसे आप इस रोग से मुक्ति पा सकते हैं, जानते हैं दिल्ली के क्लाउड नाइन हॉस्पिटल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रुचि जैन से।

हर अंग से जुड़ा है यह हार्मोन

Combination Food for Thyroid
Combination Food for Thyroid

थायराइड हार्मोन शरीर के महत्वपूर्ण हार्मोन्स में से एक है। मेटाबॉलिज्म, वजन से लेकर हृदय गति, ऊर्जा का स्तर, शरीर का तापमान, त्वचा-बाल-नाखूनों की सेहत सब थायराइड हार्मोन पर निर्भर होता है। यह हार्मोन शरीर की लगभग हर अंग प्रणाली से जुड़ा होता है और उसकी गतिविधियों को पूरा करता है। इस हार्मोन के असंतुलन के कारण थायराइड रोग होने की आशंका रहती है।

दो रूप में होता है मौजूद

यह हार्मोन शरीर में दो रूप में मौजूद होता है। ट्राईआयोडोथायरोनिन, जिसे टी 3 कहते हैं। और थायरोक्सिन जिसे टी 4 कहा जाता है। जब शरीर में थायराइड हार्मोन का स्तर बढ़ता है तो इसे हाइपरथायराइड बोला जाता है। इसमें वजन तेजी से कम होने लगता है, दिल की धड़कनें अनियमित हो जाती हैं। वहीं जब शरीर पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन नहीं बनता तो इस स्थिति को हाइपोथायराइड कहते हैं। ​इसमें वजन बढ़ने लगता है और थकान महसूस होती है।

इसलिए बढ़ रहा है थायराइड

डॉ. रुचि का कहना है कि थायराइड को आप एक लाइफस्टाइल डिजीज बोल सकते हैं। खराब लाइफ स्टाइल हाइपोथायराइड और हाइपरथायराइड दोनों ही प्रकार के थायराइड को ट्रिगर करती है। तनाव, खराब आहार, और एक्सरसाइज की कमी जैसे कारक थायराइड का जोखिम काफी हद तक बढ़ा देते हैं। क्योंकि यह हार्मोन शरीर के कई अंगों से जुड़ा है। इसलिए इसके असंतुलन से वे सभी प्रभावित होते हैं। संतुलित जीवनशैली इस बीमारी को कंट्रोल करने में मददगार होती है।

वजन और थायराइड के बीच कनेक्शन

महिला रोग विशेषज्ञ का कहना है कि वजन बढ़ना, थायराइड असंतुलन का एक सामान्य कारण होने के साथ ही लक्षण भी है। आज के समय में कम उम्र में थायराइड होने का एक कारण मोटापा है। हालांकि ऐसा नहीं है कि यही इस बीमारी का एकमात्र कारण या लक्षण है। वजन बढ़ने के साथ ही अगर कोई महिला लगातार थकान महसूस करती है, ठंड ज्यादा लगती है, मूड स्विंग होते हैं, बाल बहुत ज्यादा झड़ रहे हैं या फिर पीरियड्स अनियमित होने लगे हैं तो आपको थायराइड टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।

लक्षण महसूस हों तो करवाए टेस्ट

Thyroid and Pregnancy
Thyroid and Pregnancy

अगर आपको थायराइड के लक्षण नजर आ रहे हैं तो आपको तुरंत टीएसएच यानी थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन टेस्ट करवाना चाहिए। इसमें आपके थायराइड हार्मोन को टेस्ट किया जाता है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर टी3 या टी4 जैसे हार्मोन टेस्ट भी करवा सकते हैं।

सिर्फ महिलाओं को होता है थायराइड

अक्सर माना जाता है कि थायराइड सिर्फ महिलाओं को होता है। डॉ. जैन का कहना है कि यह एक मिथक है। थायराइड महिलाओं और पुरुषों दोनों को ही होता है। हालांकि अधिकांश महिलाएं समय पर खुद पर ध्यान नहीं देती, इसलिए थायराइड बहुत ज्यादा बढ़ने पर उन्हें इसका पता चल पाता है। इसलिए थायराइड के शुरुआत लक्षणों पर गौर करना जरूरी है।

गर्भधारण के कारण होता है थायराइड

डॉ. रुचि ने बताया कि यह धारण गलत है कि गर्भधारण के कारण थायराइड होता है। गर्भावस्था के दौरान करीब 50 प्रतिशत महिलाओं को थायराइड हो जाता है। लेकिन प्रेगनेंसी के बाद यह अपने आप ठीक भी हो जाता है। क्योंकि गर्भावस्था में शरीर पर दबाव पड़ता है, जिससे थायराइड हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है। यही कारण है कि गर्भावस्था में थायराइड टेस्ट करवाया जाता है।

क्या थायराइड आनुवंशिक होता है?

बहुत कम लोग जानते हैं कि थायराइड आनुवंशिक भी हो सकता है। अगर आपके परिवार में थायराइड की हिस्ट्री रही है तो ऐसी आशंका है कि आप इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं।

जिंदगी भर नहीं लेनी पड़ती दवाएं

थायराइड को लेकर आज भी लोगों के बीच कई मिथक प्रचलित हैं, इन्हीं में से एक है कि थायराइड से पीड़ित महिलाओं को जिंदगीभर दवाएं लेनी पड़ती हैं। डॉ. रुचि का कहना है कि ऐसा सोचना गलत है। हाइपोथायराइड और हाइपरथायराइड दोनों का ही इलाज संभव है। अगर दवाओं और हेल्दी लाइफस्टाइल से थायराइड कंट्रोल हो जाता है तो दवाएं कम या बंद की जा सकती हैं।

डाइट से कंट्रोल हो सकता है थायराइड

Thyroid is a lifestyle related disease.
Salad for weight loss

थायराइड लाइफस्टाइल से जुड़ा रोग है। आप अपनी लाइफस्टाइल में सुधार करके इससे छुटकारा पा सकते हैं। संतुलित और पौष्टिक आहार से आप थायराइड को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं। आपकी डाइट में कार्ब के साथ ही प्रोटीन, फाइबर और जरूरी मिनरल्स होने चाहिए। इसी के साथ नियमित एक्सरसाइज से भी थायराइड को कंट्रोल किया जा सकता है।

फर्टिलिटी पर थायराइड का असर

डॉ. रुचि ने बताया कि आज के समय में थायराइड इन​फर्टिलिटी का एक बड़ा कारण है। इससे महिलाओं के अंडों की गुणवत्ता कम होने लगती है। साथ ही ओव्यूलेशन प्रभावित होता है। जिससे गर्भ धारण करने में परेशानी आती है। इतना ही नहीं थायराइड के कारण गर्भावस्था के दौरान भी कई जटिलताएं हो सकती हैं। यह गर्भस्थ शिशु के मानसिक विकास पर बुरा असर डाल सकता है।

आयोडीन कितना जरूरी

आयोडीन को आप थायराइड की ‘दवा’ कह सकते हैं। आयोडीन से सेवन से थायराइड हार्मोन के उत्पादन में मदद मिलती है। हालांकि इसका ज्यादा या कम सेवन करना खतरनाक भी हो सकता है। क्योंकि यह थायराइड हार्मोन का संतुलन खराब कर सकता है। इसलिए अपनी डाइट में पर्याप्त आयोडीन शामिल करें। इसके सप्लीमेंट डॉक्टर की सलाह पर ही लें। आमतौर पर नमक में मौजूद आयोडीन ही काफी होता है। सेलेनियम युक्त भोजन भी फायदेमंद रहता है। जैसे ब्राजील नट्स, ब्राउन राइस, ओट्स, समुद्री भोजन, मांस, अंडे, मुर्गी आदि फायदेमंद हो सकते हैं।

इन चीजों से बनाएं दूरी

थायराइड से पीड़ित महिलाओं को कुछ चीजों से दूरी बनानी चाहिए। गाइट्रोजेनिक उत्पादों जैसे पत्ता गोभी, शलजम से दूर रहें। इनमें गोइट्रोजन नामक रसायन होता है, जिसे थायराइड प्रभावित होता है। इसी के साथ जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, पाम ऑयल से बना खाना, अत्यधिक मीठा, तला भुना खाना आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...