ग्रीष्म ऋतु न सिर्फ़ बड़ों के लिए बल्कि बच्चों के लिए भी ढेर सारी समस्याएँ लेकर आती है.आपकी तरह आपका बच्चा भी धूल,मिट्टी,और पसीने के सम्पर्क में आता रहता है,नतीजनआँखों में जलन,आँखें लाल होना,आँखो से पानी आना,,चुभन,कंजैक्टिविटिस आदि समस्याएँ,न सिर्फ़ बड़ों के लिए बल्कि बच्चों को भी परेशान करतीं रहतीं हैं.इन 

१-छः महीने के बच्चों की त्वचा ,मेलनिन से सुरक्षित नहीं होती,और उनकी आँखे बेहद नाज़ुक होती हैं,इसीलिए उन्हें धूप से बचाना निहायत ज़रूरी होता है.

२-जहाँ तक सम्भव हो बच्चे को लेकर बाहर न निकलें,यदि निकलना ज़रूरी हो तो सुबह १० बजे से पहले और शाम चार बजे के बाद ही घर से बाहर निकलें.

३-यदि बच्चे माता-पिता और बच्चे का निकलना ज़रूरी हो तो,अपने साथ ,बच्चे के चेहरे को अच्छी तरह ढकें,UV प्रोटेक्शन के लिए,बच्चे का अपनी साड़ी या चुन्नी(कौटन) से सिर ढकें.एक फ़ेल्ट हैट,सन ग़लासेस ,अपने और बच्चे के लिए रखें

४-सन ग्लासेस का चुनाव करते समय डोक्तर के सलाह अवश्य लें.सनग्लासेस ऐसे हों जोUVA औरUVB किरणो को रोक सकें.ग्लासेस अच्छी क्वालिटी के ही ख़रीदे.बच्चें के सन ग्लासेस रबर बैंड वाले ख़रीदें जिससे वो उसके कान पर टिक सकें.

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आँखो की बीमारियाँ-

१-कनज़ैक्टिवाईतीस -ये एक संक़्रामक बीमारी है,जिसमें आँखे लाल हो जाती हैं,और आँखों से पानी भी निकलता है.

क्या करें-ये बीमारी,बेक्टेरीयल,वाइरल या फ़ंगल इन्फ़ेक्शन के कारण हो सकती है. शीघ्र ति शीघ्र ड़ौक्टर से सम्पर्क स्थापित करें

२-आँखो में सूखापन-अधिक तापमान,पोल्यूशन,AC में ज़्यादा देर तक रहने से ,ये समस्या बच्चों में दिखाई दे जाती है,आजकल छोटे छोटे बच्चे भी मोबाइल और कलर टीवी बड़े ध्यान से देखते हैं,और माता पिता भी उन्हें नहीं रोकते इस से आँखों में शुश्क़ता जैसी समस्याएँ जन्म लेती हैं.

क्या करें-बच्चे को मोबाइल,और टीवी जैसे उपकरणो से दूर रखें.धूल मिट्टी  से बचाव करें. बच्चे की आँखों पर ठंडे पानी से छींटे मारें

स्टाई-बैकटेरियल इन्फ़ेक्शन के कारण आँख की ऊपरी या निचली पलक पर फुंसी सी निकल आती है जिस से आँख में लाली और दर्द शुरू हो जाता है

क्या करें.गुनगुने पानी में बोरिक पाउडर डालकर ,रुई से आख़ों की सिकाई करें,यदि लाभ न हो तो ड़ौक्टर से सम्पर्क करें

३-आँखों की एलर्ज़ि-एक तो गरमी ऊपर से पौल्यूशन और इरिटेंट्स ,इन से बच्चों की आँखों में ऐलर्ज़ी ( खुजली,जलन,और आँखों से पानी निकलने जैसी समस्याएँ) शुरू हो जाती हैं.

क्या करें- बच्चे को धूल मिट्टी से बचाएँ. घर को पोल्ल्यूशन फ़्री रखें. कुछ बच्चों को फ़ूड आइटम्स जैसे दूध,स्ट्रॉबेरीज़,पाईनेप्पल से भी एल्लर्ज़ी हो जाती है.

कुछ हिदायतें-१-बच्चे को हर समय हाइड्रेट रखें

२-घर से बाहर निकलते समय UV प्रोटेक्शन का ध्यान रखें

३-साफ़ तौलिया,पिलो कवर्ज़, और चादरों का इस्तेमाल करें

४-अपने बच्चे को एअर कोंडिशनर के सीधे सम्पर्क में न आने दें

५-अपने बच्चे की हायजीन पर ध्यान दें

६- बच्चे को पूरी नींद सोने दें

७-बच्चे की आँखों को नियमित रूप से साफ़ करें

८-अपने घर को धूल मिट्टी से बचाएँ

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