‘‘मैं रात को थकान के बावजूद सो नहीं पाती क्योंकि मेरी टांगों में बड़ी बेचैनी रहती है। मैं टाँगों की ऐंठन मिटाने के सभी उपाय आजमा चुकी हूं और मैं क्या कर सकती हूँ?”
आखिरी तिमाही में अक्सर रैस्टलैसलेग सिंड्रोम भी आपके व अच्छी नींद के बीच रुकावट बन जाता है। टाँगों में बेचैनी, छटपटाहट और अजीब सी व्याकुलता का एहसास होता रहता है। वैसे तो यह अक्सर रात को होता रहता है लेकिन दोपहर को लेटते समय भी यह शिकायत हो सकती है। विशेषज्ञ नहीं कह पाते कि गर्भवती स्त्रियों में पैरों में बेचैनी का लक्षण क्यों होता है। शायद इसका कोई जेनेटिक कारण होता हो। उन्हें इसके इलाज के बारे में भी कुछ खास पता नहीं है। टाँगों की ऐंठन मिटाने के सभी उपाय यहाँ फेल हो जाते हैं। दवा भी सुरक्षित नहीं है क्योंकि पैरों में बेचैनी की सभी दवाएं गर्भावस्था में जांची नहीं गई हैं। इसके बारे में आप पहले अपने डॉक्टर की राय लें।
हो सकता है कि तनाव, आहार व पर्यावरण के दूसरे कारकों की वजह से समस्या बढ़ रही हो। अपने खान-पान और जीवनशैली की आदतों पर ध्यान दें। कुछ महिलाएं यदि रात को काबॉहाइड्रेट लेती हैं तो पैरों में बेचेनी की समस्या बढ़ जाती है। कई बार आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया की वजह से भी पैरों में बेचैनी हो जाती है। अपने डॉक्टर से पूछकर ही कोई भी उपाय करें। योगा, एक्यूपंचर व ध्यान आदि से थोड़ी-बहुत राहत मिल सकती है। अगर आप नींद के मामले में भी बदकिस्मत हैं तो शायद आपको डिलीवरी तक पैरों में बेचैनी का सामना करना ही पड़ेगा। यह भी हो सकता है कि आप डिलीवरी के बाद भी दवा न ले पाएं क्योंकि उस समय आप शिशु को स्तनपान करा रही होंगी।
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