गर्भावस्था के दौरान सी वी एस टेस्ट  98 प्रतिशत तक क्रोमोसोमल समस्याओं का सही पता लगा लेता है। इसलिए इसको गर्भावस्था के 10 से 13 सप्ताह के बीच करवा लेना चाहिए ।

यह क्या है? :- सी.वी.एस. एक प्रसव पूर्व निदान जांच है, जिसमें प्लेसेंटा के अंगुली जितने आकार से, छोटे कोशिका का नमूना लेकर जांच की जाती है कि कहीं क्रोमोसोमल असामान्यताएं तो नहीं? वर्तमान में, डाऊनसिंड्रोम, टे-शेक, सिकिल सैल एनीमिया वसिस्टिक फाइबरोसिस की जांच के लिए सी.वी.एस. टेस्ट किया जाता है। इससे न्यूरल ट्यूब व इससे एनाटोमिकल विकारों का पता नहीं चलता। किसी विशेष रोग की जांच तभी की जाती है, जब परिवार में इसका इतिहास रहा हो या माता-पिता में से किसी एक को वह रोग (माना जाता है किसी वी एस ऐसी 1,000 से अधिक विकारों का पता लगा पाएगा) जिसके लिए विकृत जींस या क्रोमोसोम उत्तरदायी हैं।

यह कैसे होता है? :- यह अस्पताल में ही किया जाता है, हालांकि इसे डॉक्टर के क्लीनिक में भी किया जा सकता है। प्लेसेंटा की स्थिति के अनुसार वैजाइना या सरविक्स ट्रांससर्वाइकलया पेट के निचले हिस्से की दीवार तक सुई घुसा कर (ट्रांसएब्डॉमिनल सी वी एस) कोशिकाओं का नमूना लिया जाता है। कोई भी तरीका ऐसा नहीं जो पूरी तरह दर्द रहित हो। थोड़ी-बहुत तकलीफ सभी तरीकों में होती है। कई महिलाओं को नमूने लेते समय ऐंठन के साथ हल्के दर्द की तकलीफ भी होती है। इन तरीकों में शुरू से आखिर तक 30 मिनट लगते हैं जबकि नमूना लेने में एक-दो मिनट का समय लगता है।

ट्रांसएब्डॉकल तरीके में आपको पीठ के बल लिटा कर, योनि के रास्ते गर्भाशय तक लंबी पतली ट्यूब डाली जाती है इसके साथ ही अल्ट्रसाउंड जुड़ा होता है। डाक्टर ट्यूब की स्थिति को सही करते हैं फिर उस कोशिका का नमूना ले लिया जाता है। ट्रांसएबडामिनल तरीके में भी पीठ केबल लिटाया जाता है। अल्ट्रासाउंड की मदद से प्लेसेंटा की स्थिति और यूटेरास की दीवारों का अंदाजा लगाया जाता है। फिर पेट के निचले हिस्से में एक सुई डाली जाती है और इसी की मदद से सब काम होता है। भ्रूण की जांच से उसके जेनेटिक मेकअप का पूरा अंदाजा हो जाता है। एक-दो सप्ताह में जांच के नतीजे आ जाते हैं।

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यह कब होता है? :- यह गर्भावस्था के 10 से 13 सप्ताह के बीच होता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसे पहली तिमाही में किया जाता है और यह एमनियो सेंटेसिस से कहीं पहले परिणाम दे देता है, जोकि आमतौर पर 16 सप्ताह बाद होता है। प्रारम्भिक निदान उन लोगों के लिए है, जो पहले ही किसी परेशानी या तकलीफ को भांप कर उसका इलाज करना चाहते हैं। इस प्रकार यदि गर्भपात भी पहले ही हो जाए तो ज्यादा मुश्किल नहीं होती और सदमा भी नहीं लगता।

यह कितना सही होता है? :- सीवीएस 98 प्रतिशत तक क्रोमोसोमल समस्याओं का सही-सही पता लगा लेता है।

यह कितना सुरक्षित है?:- यह सुरक्षित और भरोसेमंद है। 370 में से 1 गर्भपात का मामला हो सकता है। आपको अच्छे रिकार्ड वाला जांच केंद्र चुनना चाहिए तथा ठीक 10 सप्ताह तक इंतजार करना चाहिए, ताकि इस विधि से जुड़े किसी भी खतरे को घटाया जा सके। सीवीएस के बाद योनि से थोड़ा रक्तस्राव हो सकता है। इसे गंभीरता से न लें हालांकि इसके बारे में डॉक्टर को बता देना चाहिए यदि यह तीन से अधिक दिन तक होता रहे, तब तो डॉक्टर को अवश्य बताएं। वैसे तो इंफेक्शन का कोई डर नहीं होता लेकिन कुछ दिन के भीतर बुखार हो जाए तो डॉक्टर को दिखाएं।

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