‘‘मुझे ऐसा लगता है कि इस गर्भावस्था से मेरा कोई लेनादेना नहीं है। मैं काफी अकेला पड़ गया हूं।

अधिकतर पिता को ऐसा लगने लगता है कि पत्नी की गर्भावस्था के बाद वे अलग-थलग पड़ गए हैं क्योंकि उस समय उनकी पत्नी सबके ध्यान का केंद्र बिंदु होती है। उसका अपने शिशु के साथ शारीरिक संबंध होता है।आप जानते हैं कि आप भी पिता बनेंगे आप किसी तरीके से दिखा नहीं सकते।

चिंता न करें। यह सब आपके शरीर में नहीं घट रहा इसका मतलब यह नहीं कि आप इसे बाँट नहीं सकते आप अपनी पत्नी के साथ अपनी भावनाएँ बांटें। कहीं ऐसा न हो कि आपके रूखेपन का गलत मतलब निकाला जाए। पत्नी को ऐसा न लगे कि आपको उनकी गर्भावस्था में कोई रुचि नहीं है।

इसके लिए आपको क्या करना होगा?

डॉक्टर के पास जाते समय उसके साथ जाएँ। उसे पूरा सहारा दें। डॉक्टर की हिदायतें ध्यान से सुनें क्योंकि आपने ही पूरे नौ महीने तक अपनी पत्नी व नन्हे मेहमान की देखरेख करनी है। इस तरह आपको अपनी पत्नी के शरीर में होने वाले बदलावों की भी जानकारी मिलेगी।

आप भी अल्ट्रासाउंड में अपने शिशु के दिल की धड़कन सुन सकेंगे।आपकी गर्भावस्था से जुड़े नियमों का पालन करें। आपको पेट पर तकिया बांधने या मैं गर्भवती हूँ’ लिखी टी-शर्ट पहनने की जरूरत नहीं है। इन दिनों शराब व सिगरेट पीना छोड़ दें। अपनी पत्नी के साथ पोषक आहार लेने पर बल दें।

गर्भावस्था, शिशु के जन्म व देखभाल से जुड़ी जानकारी लें क्योंकि यहाँ आपकी बड़ी-बड़ी डिग्रियाँ भी किसी काम नहीं आने वालीं। अपने दोस्तों व सहकर्मियों से इस बारे में बात करें ताकि आपकी जिज्ञासाओं का समाधान हो सके।

अपने शिशु से संपर्क बनाएँ। आप भी पत्नी के गर्भाशय में पल रहे नन्हे मेहमान से दोस्ती कर सकते हैं।उससे बातचीत करें, उसे अपनी आवाज में गाने सुनाएँ ताकि डिलीवरी के फौरन बाद वह आवाज से अपने पापा को पहचान ले।

अपने साथी के साथ मिलकर कोई छोटा झूला, पालना या पलंग तैयार करें। उसके नाम के लिए किताबें लाएं। उसके आने की तैयारियों में जुट जाएँ।

 

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