जैसे-जैसे वक्त बढ़ रहा है, हमारा समाज और लोग भी विकसित सोच वाले बन रहे हैं। लोग, खास कर हमारा शहरी समाज हर किसी के लिए समान अवसर के सिद्धांत में यकीन करते हैं, जहां पुरुष और महिला कंधे से कंधा मिला कर चलने में यकीन रखते हैं। पर एक क्षेत्र ऐसा है जहां अक्सर महिलाओं को ही समझौता करना पड़ता है और पुरुष बेअसर रह जाते हैं। जब बात परिवार बढ़ाने और बच्चे पैदा करने की आती है, तब ऐसा ही होता है।
महिलाओं के लिए जैविक घड़ी की सुई तेजी से भागती है। महिलाओं को करियर और परिवार बढ़ाने के बीच में से एक को चुनने की चुनौती और इसमें बांझपन (इनफर्टिलिटी) का डर बढ़ने का खतरा बना रहता है। करियर के उठान पर कई महिलाओं को यह महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता है। उन्हें या तो ऑफिस में तरक्की की कुर्बानी देनी होती है या फिर बच्चे पैदा करने की योजना कुछ समय के लिए टालनी होती है। जो महिलाएं करियर चुनती हैं, उनके लिए आगे चल कर बच्चा पैदा करने में संघर्ष की स्थिति बन जाती है। बांझपन से बच्चा पैदा होने के अवसर सीमित हो जाते हैं। यह उनके साथ सरासर नाइंसाफी है, क्योंकि महिलाओं के लिए दोनों ही बातों की बराबर अहमियत है।
मेडिकल जगत में काफी तरक्की हो चुकी है। ऐसे में तरक्कीपसंद, कामकाजी महिलाएं राहत की सांस ले सकती हैं। देर होने के बावजूद अनुकूल समय पर गर्भधारण के कई विकल्प उपलब्ध हैं। एग फ्रीजिंग की तकनीक महिलाओं को यह अवसर प्रदान करती है कि वे अपने जीवन के अहम पड़ाव पर करियर या बच्चे में से एक को चुनने की स्थिति से निकल सकें।
एग फ्रीजिंग का विकल्प चुनने की एक मात्र वजह करियर या पढ़ाई ही नहीं हो सकती। कई बार मनपसंद जीवनसाथी मिलने में देरी हो जाती है, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी, संक्रमण या अंग बेकार हो जाना, पुरुष साथी में इनफर्टिलिटी की समस्या होना, आईवीएफ ट्रीटमेंट आदि कारणों से भी इस विकल्प का चयन परिवार बढ़ाने का विकल्प खोलता है। एग फ्रीजिंग को मेडिकल टर्म में mature oocyte cryopreservation (मैच्योर ओसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन) कहा जाता है। यह महिलाओं की फर्टिलिटी को सुरक्षित रखने की मेडिकल विधि है। इस प्रक्रिया में आईवीएफ विशेषज्ञों द्वारा महिलाओं की ओवरीज (अनिषेचित) से अंडे निकाले जाते हैं और इन्हें भविष्य में इस्तेमाल के लिए सुरक्षित रखा जाता है। इस तरह रखा गया अंडा आपके मनचाहे वक्त पर आईवीएफ लैब में स्पर्म के साथ मिला कर आपके गर्भाशय में रखा जा सकता है।
एग फ्रीजिग की प्रक्रिया
एग फ्रीजिग की प्रक्रिया इन 4 चरणों के तहत पूरी की जाती है- ओवरीज का हार्मोनल स्टिमुलेशन, फिर अंडे निकालना, उन्हें फ्रीज करना और फिर महिला के सक्रिय अंडाणुओं को सुरक्षित रखना। एग फ्रीजिंग के लिए दो आधुनिक तकनीक इस्तेमाल की जाती है- स्लो-फ्रीजिंग और विट्रिफिकेशन (फ्लैश-फ्रीजिंग)। इनके जरिए अंडाणुओं के सक्रिय व सुरक्षित रहने की संभावना बढ़ गई है और इस वजह से गर्भधारण की संभावना भी बढ़ जाती है।

एग फ्रीजिंग केवल कॅरिअर पर फोकस करने वाली महिलाओं के लिए ही उपयोगी नहीं है, बल्कि कैंसर की मरीज, समय से पहले मासिक धर्म रुक जाने से परेशान महिलाओं और गर्भाशय की बीमारी से पीड़ित महिलाओं के लिए भी वरदान है। ये शारीरिक रूप से जब भी खुद को फिट पाएं, तब इस विकल्प के जरिए गर्भधारण कर सकती हैं। पुरुष साथी की प्रजनन क्षमता में कमी और आईवीएफ तकनीक की मदद ले रहे दंपतियों के लिए भी यह विकल्प काफी कारगर है।
एग फ्रीजिंग के फायदे
समय की पाबंदी के बिना परिवार बढ़ाने की आजादी आनुवांशिक रूप से समृद्ध संतानोत्पत्त्िा की संभावना डोनर्स की जरूरत कम या बिल्कुल नहीं पड़ना बांझपन के इलाज की जरूरत कम हो जाना समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, पेशेवर लिहाज से देखें तो महिलाओं को समानता भरा अवसर मिलता है।
काम के माहौल में बदलाव, बेहतर छुट्टी नीति आदि जैसे बदलाव की जरूरत नहीं, क्योंकि करियर के महत्वपूर्ण दौर से आप निकल चुकी होती हैं और इस दौर में सुविधानुसार समय निकाल कर काम निपटाने की स्थिति में होती हैं।
नकारात्मक पहलू
महिलाओं के शरीर पर असर के चलते स्वास्थ्य संबंधी खतरे उम्मीद व सुरक्षा का झूठा भाव जाग्रत करना, क्योंकि प्रक्रिया की सफलता या असफलता बहुत सारे कारकों पर निर्भर करती है। पैसों के लिए जरूरतमंद महिलाओं को अंडाणु बेचने के लिए प्रोत्साहित होने का खतरा बना रहता है।
ये कुछ नकारात्मक पहलू होने के बावजूद नैतिक व कानूनी लिहाज से प्रक्रिया का सही तरीके से पालन किया जाए तो तकनीक बहुत अच्छी है और जरूरतमंत महिलाओं का सपना सही वक्त पर साकार करने में सक्षम है।
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