Overview: न्यूट्रिशन एक्सपर्ट मंजरी चंद्रा ने बताया कि असली खुशी हमारे खानपान के संतुलन में छिपी है
खराब मूड में जंक फूड खाना हमारे शरीर के लिए एक इमोशनल ट्रैप साबित हो सकता है। मंजरी चंद्रा का सुझाव है कि ऐसे समय में प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाकर हेल्दी विकल्प अपनाएं। असली ‘कंफर्ट फूड’ वही है जो शरीर को पोषण दे और मन को स्थिर रखे — क्योंकि मूड ठीक करने का असली तरीका पेट नहीं, संतुलित सोच है।
Healthy Food for Bad Mood: आजकल जब भी हमारा मूड खराब होता है, तो ज्यादातर लोग अपने फ्रिज या फूड डिलीवरी ऐप की ओर रुख करते हैं। कुछ मीठा, तला-भुना या चटपटा खाकर मन को सुकून देने की कोशिश की जाती है। लेकिन मशहूर न्यूट्रिशनिस्ट मंजरी चंद्रा का कहना है कि ये आदत जितनी आम है, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि प्रोसेस्ड या बाहर का खाना हमारे मूड को अस्थायी रूप से ठीक कर सकता है, लेकिन लंबे समय में ये मानसिक और शारीरिक सेहत दोनों को प्रभावित करता है।
मूड और फूड का रिश्ता जितना दिखता है, उतना सीधा नहीं होता
मंजरी चंद्रा बताती हैं कि जब हम उदास या तनाव में होते हैं, तो शरीर में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है। ऐसे में जंक फूड तुरंत “कम्फर्ट” देता है, लेकिन ये सिर्फ कुछ मिनटों के लिए होता है। इसके बाद शरीर थकावट, सुस्ती और गिल्ट से भर जाता है।
प्रोसेस्ड फूड बढ़ाता है इंफ्लेमेशन और ब्लड शुगर
बाहर का खाना अक्सर अधिक नमक, शुगर और ट्रांस फैट से भरा होता है। मंजरी के अनुसार, यह शरीर में इंफ्लेमेशन यानी सूजन बढ़ाता है, जिससे मूड और भी ज्यादा खराब हो सकता है। इसके अलावा ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव होने से इमोशनल अस्थिरता बढ़ जाती है।
असली खुशी आती है पोषक तत्वों से, न कि पैकेजिंग से
मूड को सुधारने के लिए शरीर को सही विटामिन्स, मिनरल्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स की जरूरत होती है। हरी सब्जियां, फल, नट्स, और साबुत अनाज ऐसे फूड हैं जो मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। मंजरी कहती हैं, “अगर मन उदास है, तो अपने शरीर को पोषण दो, ना कि प्रोसेसिंग।”
तनाव में क्या खाएं और क्या नहीं
तनाव या उदासी में कैफीन और शुगर से भरे पेय से दूरी बनाएं। उनकी जगह हर्बल टी, नारियल पानी या ताजा जूस पिएं। साथ ही प्रोटीन युक्त भोजन जैसे मूंग दाल, पनीर या अंडे शामिल करें — ये शरीर में सेरोटोनिन स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं।
माइंडफुल ईटिंग से भी सुधरता है मूड
मंजरी चंद्रा का कहना है कि खाना सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं, बल्कि मानसिक शांति का माध्यम भी है। धीरे-धीरे, बिना फोन या टीवी के खाना खाने से भी मस्तिष्क को सिग्नल मिलता है कि उसे पर्याप्त पोषण मिल रहा है। यही “माइंडफुल ईटिंग” की असली ताकत है।
मूड ठीक करने के लिए आदत बदलें, खाना नहीं
अगर बार-बार उदासी या तनाव महसूस हो, तो अपने मूड को बेहतर करने के लिए टहलना, संगीत सुनना, या किसी दोस्त से बात करना ज्यादा फायदेमंद है। मंजरी कहती हैं, “खुश रहने के लिए शरीर को नहीं, मन को सुकून देना जरूरी है — और वो किसी पैकेट वाले खाने में नहीं मिलता।”
