World Lungs Day
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World Lungs Day: सांस लेना जीवन का सबसे प्राकृतिक कार्य है, लेकिन जिन लोगों को क्रॉनिक लंग डिजीज जैसे कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), इंटरस्टिशियल लंग डिजीज या पल्मोनरी फाइब्रोसिस है, उनके लिए यह सबसे कठिन काम बन जाता है। वर्ल्ड लंग डे पर हमें उन नई चिकित्सा पद्धतियों और देखभाल के तरीकों पर प्रकाश डालना चाहिए, जो मरीजों को बेहतर और सक्रिय जीवन जीने में मदद कर रही हैं। इनमे से दो प्रमुख उपाय हैं – पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन और नई इनहेलेशन थैरेपीज़

पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन – मजबूती और आत्मविश्वास की ओर

पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन केवल सांसों के व्यायाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण कार्यक्रम है जो फेफड़ों की समस्या वाले मरीजों को अपनी सेहत बेहतर ढंग से संभालने में मदद करता है। इसमें शामिल हैं:-

  • संरचित शारीरिक व्यायाम – जिससे मांसपेशियों की ताकत और सहनशक्ति बढ़ती है।
  • सांस लेने की तकनीक – ताकि रोजमर्रा की गतिविधियों में सांस फूलने की समस्या कम हो।
  • शिक्षा और जागरूकता – जीवन शैली, खान पान और लक्षण प्रबंधन की जानकारी देना।भावनात्मक सहयोग – तनाव, चिंता और अवसाद से निपटने में मदद।

डॉक्टरों का अनुभव बताता है कि इस थेरेपी से मरीजों में असाधारण सुधार देखने को मिलता है जिन लोगों को पहले कुछ कदम चलने में कठिनाई होती थी, वे दोबारा परिवार की गतिविधियों में शामिल हो पाते हैं। यह न केवल शरीर की मजबूती लौटाता है, बल्कि आत्मविश्वास और स्वतंत्रता भी देता है। अध्ययनों से भी यह सिद्ध हुआ है कि पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन अस्पताल जाने की जरूरत को कम करता है और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।

नई इनहेलेशन थेरेपी – आधुनिक चिकित्सा की प्रगति

रिहैबिलिटेशन के साथ-साथ आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने नई इनहेलेशन थेरेपी विकसित की हैं, जो मरीजों की व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार अधिक प्रभावी साबित हो रही हैं। ये दवाएं सीधे फेफड़ों तक पहुंचाई जाती हैं ताकि परिणाम जल्दी और गहराई से मिल सकें। इनमें प्रमुख प्रगति शामिल हैं:-

  • नई दवा संरचनाएं – जो फेफड़ों के भीतर तक जाकर असर करती हैं।
  • लक्षित थैरेपी – जो खास प्रकार की फेफड़ों की बीमारियों के लिए तैयार की गई हैं और सूजन को मूल स्रोत से कम करती हैं।
  • कंबीनेशन थेरेपी – जो कई स्तरों पर काम करके सांस लेने की सहजता और स्थिरता में मदद करती हैं।

इन थेरेपी से अस्पताल में भर्ती होने की संभावना घटती है, बीमारी की प्रगति धीमी होती है और मरीजों को अपने लक्षणों पर बेहतर नियंत्रण मिलता है।

बेहतर जीवन की ओर कदम

किसी भी इलाज की असली सफलता तभी है जब वह मरीज के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाए। क्रॉनिक लंग डिजीज के कारण अक्सर मरीज साधारण खुशियों से वंचित हो जाते हैं – जैसे सीढ़ियां चढ़ना, पार्क में टहलना, या बिना खांसे खुलकर हंसना। पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन शरीर की ताकत और लचीलापन बढ़ाता है, जबकि नई इनहेलेशन थेरेपी सांस लेने को सहज बनाती हैं। दोनों मिलकर मरीजों को रोजमर्रा की जिंदगी में सामान्यता और आत्मनिर्भरता लौटाने में मदद करती हैं।
इस वर्ल्ड लंग डे पर याद रखें कि फेफड़ों की सेहत पूरे शरीर की सेहत से जुड़ी है। समय पर निदान, उचित इलाज और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन जैसी थेरेपी तक पहुंच मरीजों का जीवन बदल सकती है। भले ही क्रॉनिक लंग डिजीज हमेशा पूरी तरह ठीक न हो पाए, लेकिन सही देखभाल से मरीज गरिमा, आत्मनिर्भरता और उम्मीद के साथ जी सकते हैं।

(डॉ. राज कुमार, इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर (आईएसआईसी) में वरिष्ठ सलाहकार, होप फॉर लंग्स के संस्थापक)

वर्तमान में गृहलक्ष्मी पत्रिका में सब एडिटर और एंकर पत्रकारिता में 7 वर्ष का अनुभव. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी दैनिक अखबार में इंटर्न के तौर पर की. पंजाब केसरी की न्यूज़ वेबसाइट में बतौर न्यूज़ राइटर 5 सालों तक काम किया. किताबों की शौक़ीन...