Hepatitis Vaccine for Children
Hepatitis Vaccine for Children

Liver Damage Cause: पेट के दाहिनी ओर स्थित लिवर हमारी बॉडी का दूसरा बड़ा और महत्वपूर्ण ऑर्गन है। लिवर की सबसे बड़ी खासियत है यह बहुत मजबूत होता है और वह खुद को रिपेयर या रिकवर करने की अद्भुत क्षमता होती है। लेकिन बहुत ज्यादा नुकसान होने पर वह काम करना बंद भी कर देता है जिसे लिवर फेलियर की स्थिति कहा जाता है।

क्या है कार्य

लिवर बॉडी के मेटाबॉलिज्म सिस्टम को कंट्रोल में रखता है। हमारी पाचन-प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाता है। बाइल फ्ल्यूड का निर्माण करता है जो भोजन को पचाने, इसमें मौजूद पोषक तत्वों के अवशोषण या स्टोर करने में मदद करता है। ब्लड को फिल्टर कर टॉक्सिक या विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल कर साफ करने का काम करता है। ब्लड में प्रोटीन बनाने का काम भी करता है ब्लड क्लॉटिंग को बढ़ाता है जिससे अधिक रक्तस्राव होने और इंफेक्शन से बचे रहते हैं। शरीर को हर काम करने की एनर्जी देता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।

क्यों होता है लिवरखराब

आज की व्यस्त जीवन-शैली के चलते हमारे खान-पान और रहन-सहन के तौर-तरीकों में काफी बदलाव आए हैं। माना जाता है कि लिवर एल्कोहल के ज्यादा सेवन से खराब होता है। बेशक यह सही है, लेकिन लिवर खराब होने के कई दूसरे कारण भी हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। मौटे तौर पर देखें तो वायरस के शरीर में प्रवेश करने से लिवर संक्रमित होता है। जिनकी बदौलत ठीक से काम करना बंद कर देता है या खराब हो जाता है। संक्रमण की वजह से शरीर का मैटाबॉलिक बैलेंस गड़बड़ा जाता है। लिवर ठीक तरह काम नहीं कर पाता और कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है-

हेपेटाइटिस

hepatitis

यह हैपेटाइटिस नामक वायरस से फैलता है। संक्रमित रोगी के लिवर में सूजन आ जाती है। हेपेटाइटिस मुख्यतः 5 प्रकार (ए, बी, सी, डी और ई) केे हैं। हैपेटाइटिस बी इनमें सबसे गंभीर है। यह वायरस बॉडी फ्ल्यूड (ब्लड, सीमेन और वजाइना फ्ल्यूड) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और लिवर में पहुंचकर नुकसान पहुंचाता है।

हेपेटाइटिस बी

कारण- हेपेटाइटिस संक्रमित व्यक्ति का ब्लड लेने से, असुरक्षित यौन संबंध बनाने से , लंबे समय तक किडनी डायलिसिस से, संक्रमित सीरिंज के उपयोग से, टैटू बनवाने, संक्रमित व्यक्ति की पर्सनल हाइजीन की चीजें (रेजर, ब्रश, नेलकटर) का इस्तेमाल करने से।
लक्षण-आमतौर इसका पता चलने में 6 महीने लग जाते हैं-हल्का बुखार, जी मिचलाना, शरीर में कमजोरी, भूख कम लगना, मांसपेशियों में दर्द होना, पेशाब का रंग पीला होना, पेट में पानी भर जाना।
उपचार- हेपेटाइटिस बी इंजेक्शन और ओरल मेडिसिन दी जाती हैं। लेकिन 5-10 प्रतिशत मरीजों के शरीर में हेपेटाइटिस बी संक्रमण पूरी तरह ठीक नहीं हो पाता। लिवर धीरे-धीरे ज्यादा खराब होता जाता है। लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर होने की संभावना रहती है, मरीज की मौत भी हो सकती है।

हेपेटाइटिस ए और ई

हेपेटाइटिस ए और ई यानी पीलिया का संक्रमण दूषित पानी और दूषित भोजन के सेवन से होता है। फ्लेवी वायरस लिवर में बनने वाले पीले रंग बिलीरुबिन फ्लूड की मात्रा बढ़ा देता है जिससे पीलिया हो जाता है।
लक्षण- तेज बुखार, आंखें और पूरे शरीर की त्वचा का रंग पीला पड़ना, पेशाब गहरे पीले रंग का होना, उल्टी या जी मिचलाना।
उपचार- अधिक दवाइयों की जरूरत नहीं पड़ती। लक्षण दिखने पर हेपेटाइटिस ए की वैक्सीन लगाने पर आसानी से बचाव हो सकता है।

हेपेटाइटिस सी

hepatitis C

हेपेटाइटिस सी बहुत गंभीर और संक्रामक है। यह एचपीवी वायरस के बॉडी फ्ल्यूड (ब्लड, सीमेन और वजाइना फ्ल्यूड) के माध्यम से शरीर में पहुंचने के कारण होता है। आनुवांशिक, संक्रमित व्यक्ति के ब्लड ट्रांसफ्यूजन करने, संक्रमित सीरिंज का इस्तेमाल करने, टैटू में इस्तेमाल की संक्रमित मशीन, पर्सनल हाइजीन की संक्रमित चीजों (रेजर, ब्रश, नेलकटर) के इस्तेमाल, असुरक्षित यौन संबंध बनाने से होती है।
लक्षण- पेट के निचले हिस्से में दर्द, भूख कम लगना, उल्टी, पेट में सूजन पैरों में सूजन, कमजोरी, खून की कमी, पेट में पानी भर जाना।
उपचार- एक्यूट अवस्था में वायरस मरीज के शरीर में कुछ सप्ताह से 6 महीने तक रहता है। जबकि क्रॉनिक हैपेटाइटिस जिंदगी भर चलता है और लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर, लिवर फेलियर का कारण बनाता है। मरीज को इंजेक्शन के अलावा 3-6 महीने के लिए सोफोसफोबिर मेडिसिन भी दी जाती है।

हेपेटाइटिस डी

हेपेटाइटिस डी संक्रमण डेल्टा वायरस से होता है। ज्यादातर हेपेटाइटिस बी के मरीज को होता है। किसी संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक संपर्क में आने से होता है और बॉडी फ्ल्यूड (ब्लड, सीमेन और वजाइना फ्ल्यूड) के माध्यम से लिवर तक पहुंचता हैं।
लक्षण- हेपेटाइटिस डी हेपेटाइटिस बी की तरह जल्दी पकड़ में नहीं आते। लिवर में जलन और सूजन की समस्या होती है। लंबे समय तक सूजन रह जाने पर लिवर सिरोेसिस या कैंसर का रूप ले लेती है।
उपचार- फिलहाल कोई इलाज नहीं है। बचाव के लिए हेपेटाइटिस बी का इंजेक्शन लगाया जाता है।

फैटी लिवर

आरामपरस्त जीवन शैली, गलत दिनचर्या, खान-पान से जुड़ी गलत आदत, मसालेदार और वसायुक्त भोजन के अधिक सेवन, एल्कोहल या शराब पीने से व्यक्ति मोटापे का शिकार हो जाता है। अतिरिक्त वसा या चर्बी लिवर सेल्स पर जमा हो जाती है और लिवर को संक्रमित करती है।
लक्षण- लिवर अपने कुल वजन से 5-10 प्रतिशत बड़ा हो जाता है और अपना कार्य ठीक से नहीं कर पाता। पेट का आकार बढ़ जाता है, दाहिनी हिस्से में दर्द रहता है। सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में सांस फूलना, भूख कम हेाना, चिड़चिड़ाहट, आलस, थकान महसूस करना, अधिक भार से पैरों में सूजन होना, त्वचा के रंग में पीलापन होना जैसी समस्याएं होती हैं।
उपचार- एल्कोहल पीना बंद करे। तला-भुना गरिष्ट भोजन के बजाय पौष्टिक तत्वों से भरपूर सात्विक भोजन करें, फल और उनके जूस को आहार में शामिल करें। रेगुलर एक्सरसाइज और एक्टिविटीज करना जरूरी है।

लिवर सिरोसिस

लिवर की तमाम बीमारियां और उपचार के बावजूद संक्रमित करने वाले वायरस लिवर में बने रहते हैैं, तो वह लिवर सिरोसिस का रूप ले लेता है।
लक्षण-लिवर सिकुड़ने लगता है और लचीलापन खोकर सख्त हो जाता है। लिवर की कोशिकाएं बड़ी मात्रा में नष्ट हो जाती हैं और उनकी जगह फाइबर तंतुओं का निर्माण होने लगता है जो लिवर-टिशूज केा डैमेज करने लगते हैं। इससे लिवर की कार्यों में दिक्कत आती है। लिवर में ब्लड सर्कुलेशन में अवरुद्ध होता है, बल्कि पोषक तत्वों के अवशोषण की प्रक्रिया भी धीमी हो जाती है।
उपचार-लिवर ट्रांसप्लांट ही सिरोसिस का समुचित उपचार है।

लिवर फेलियर

लिवर से जुड़ी बीमारियां जब लंबे समय तक बनी रहती हैं। समुचित इलाज नहीं हो पाता, तो लिवर टिशूज में अवरोध आ जाता है और वे काम करना बंद कर देती हैं।
उपचार- लिवर ट्रांसप्लांट ही इलाज होता है। ट्रांसप्लांट के लिए लिवर डोनर दो तरह के होते हैं- ब्रेन डैड की स्थिति में पहुंचे व्यक्ति का लिवर या ब्लड रिलेशन में। ब्लड रिलेशन में स्वस्थ व्यक्ति के लिवर का 40 फीसदी हिस्सा काट कर मरीज के लिवर की जगह ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। अपनी रिकवरी खुद करने की खासियत के कारण ये दोनों लिवर 6-9 सप्ताह में सामान्य रूप से काम करने लगते हैं।

(डॉ लोकेश नाथ झा, गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, गैस्ट्रो केयर क्लीनिक, दिल्ली)