National Safe Motherhood Day: किसी भी महिला के जीवन काल में वह दिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, जब वो मां बनती है। मां बनने का सुख किसी भी स्त्री के लिए सबसे ऊपर होता है। एक महिला जब गर्भवती यानिकि प्रेगनेंट होती है, तो उसके लिए खुद की सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। प्रेगनेंट होने पर उसे सिर्फ खुद का ध्यान नहीं रखना होता, बल्कि वो अपने साथ साथ, अपने बच्चे की जिंदगी को भी पाल रही होती है।
गर्भावस्था के दौरान कई महिलाएं कई कड़ी बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं, जिस कारण से उनको काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी हालत में उनका ध्यान न रखे जाने पर कई बार उनकी जान पर भी बन आती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए हर साल 11 अप्रैल को राष्ट्रीय स्तर पर ‘राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस’ मनाया जाता है।
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इस दिन लोगों को गर्भावस्था, प्रसव और पोस्ट-डिलीवरी के दौरान होने वाली समस्याओं और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं के प्रति जागरूक किया जाता है। एक बड़े स्केल पर प्रेगनेंट वूमेन मॉर्टलिटी के आंकड़े बैलेंस करने के लिए ही मुख्य रूप से यह दिन मनाया जाता है। जानकारी के लिए बता दें, मातृत्व सुरक्षा के इस अतुल्य अभियान की शुरुआत ‘व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया’ ने की थी जिसको बाद में भारत सरकार ने ‘नेशनल सेफ मदरहुड डे’ के रूप में मान्यता दी।
कैसे मनाया जाता है सुरक्षित मातृत्व दिवस?
हर साल सुरक्षित मातृत्व दिवस को एक खास थीम के साथ देश भर में मनाया जाता है, जिसकी थीम का चयन डब्ल्यूआरएआई के सदस्य करते हैं। इसी थीम पर आधारित गतिविधियों के संयोजन से गर्भवती महिलाओं और नई माताओं के लिए हेल्थ वेलफेयर और मेटरनल केयर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए काम किया जाता है। बता दें, भारत में हर साल लगभग 35,000 से भी ज्यादा महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल और मेडिकल केयर न होने के कारण जान चली जाती है। इस समस्या के हल के लिए और इसके बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए, भारत सरकार ने सन 2003 में WRAI के आग्रह पर 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में घोषित किया था।
आधिकारिक थीम
बता दें, अभी तक सरकार ने साल 2023 की राष्ट्रीय मातृत्व सुरक्षा दिवस की थीम कीआधिकारिक घोषणा नहीं की है। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस 2022 के सफल संयोजन में महिला सुरक्षा के बारे में जागरूकता लाने और हर हाल में गर्भवती महिलाओं के जीवन का अधिकार सुनिश्चित करने पर भी ध्यान दे रही है।
उद्देश्य
महिला के गर्भवती होने के बाद उनकी समस्याओं से निजात दिलाने के संकल्प के साथ मनाया जाने वाले इस दिन का एकमात्र उद्देश्य यही है कि सभी लोग एक साथ आएं और गर्भावस्था के बाद महिलाओं की आवश्यक देखभाल और मेडिकल चेकअप आदि के बारे में जागरूकता लाई जाए। बहुत से लोग अभी भी इस बात से अनजान हैं या इस बात की समझ नहीं रखते हैं कि एक गर्भवती महिला की देखभाल किस तरह से होनी चाहिए। वे ये तक नही जानते कि एक गर्भवती महिला को सेहत के लिए क्या चाहिए और जच्चा और बच्चा की सेहत का कैसे ख्याल रखा जाए।
भयावह है ये आंकड़ा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक्सपर्ट्स बताते हैं कि हर साल, बच्चे के जन्म के दौरान 830 से ज्यादा महिलाओं की मौत हो जाती है। अधिकारी ये भी बताते हैं कि प्रेगनेंट महिला को प्रसव से पहले, प्रसव के दौरान और प्रसव के बाद में भी कुशल देखभाल की जरूरत होती है। ये देखभाल ही महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं की जान को बचा सकती है। साथ ही बता दें कि महिलाओं की मृत्यु दर को कम करने के तरीकों पर भी इस दिन विचार विमर्श कर जागरूकता लाई जाती है।